क्या जिनपिंग-बाइडेन की बैठक से कम हुआ वैश्विक तनाव, कब तक रहेगी शांति?

Did Jinping-Biden meeting reduce global tension, how long will peace last?

 

Mhara Hariyana News:

दुनिया अब राहत की सांस ले सकती है. दुनिया की शीर्ष दो आर्थिक और सैन्य शक्तियों, अमेरिका और चीन ने एक-दूसरे के खिलाफ आक्रामक बयानबाजी को कम करने और बातचीत को जारी रखने का फैसला किया है. चीनी मीडिया के मुताबिक बाली में औपचारिक जी-20 शिखर सम्मेलन शुरू होने से पहले करीब साढ़े तीन घंटे तक चली बैठक में दोनों नेताओं ने तनाव को कम करने, टकराव के बजाय बातचीत का प्रयास करने और ‘बिना फायदा वाले भिड़ंत के बजाय सहयोग’ करने करने का फैसला किया.


“राष्ट्रपति बाइडेन ने बताया कि अमेरिका पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के साथ जोरदार प्रतिस्पर्धा करना जारी रखेगा. इसमें घर पर मजबूती प्रदान करने वाले स्रोतों में निवेश करना और दुनिया भर के सहयोगियों तथा भागीदारों के साथ प्रयासों को जारी रखना शामिल है. उन्होंने दोहराया कि यह प्रतिस्पर्धा संघर्ष में नहीं बदलना चाहिए और बताया कि अमेरिका और चीन को जिम्मेदारी से एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए और बातचीत का रास्ता खुला रखना चाहिए,” बैठक पर व्हाइट हाउस ने बयान जारी किया.

बैठक पर व्हाइट हाउस के नोट में आगे कहा गया है कि बाइडेन ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका और चीन को “अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए – जैसे कि जलवायु परिवर्तन, ऋण राहत समेत वैश्विक स्तर पर व्यापक आर्थिक स्थिरता लाने, स्वास्थ्य सुरक्षा और वैश्विक खाद्य सुरक्षा शामिल है – क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय यही उम्मीद करता है.”

चीनी मीडिया शी जिनपिंग और जो बाइडेन के मुस्कुराने और हाथ मिलाने पर कुछ ज्यादा ही भावुक नजर आई. चीन के सत्तारूढ़ अभिजात वर्ग की सोच और नीतियों को दर्शाने वाले ग्लोबल टाइम्स अखबार ने लिखा, “चीन और अमेरिका के बीच लंबे समय से प्रतीक्षित इस दृश्य ने कई संकटों, चुनौतियों और दुनिया की तनावपूर्ण स्थिति के बीच एक शांति और सुकून का संदेश दिया है. चीन-अमेरिका संबंधों के इतिहास में यह एक ऐसा पल होगा जिसे बार-बार याद किया जाएगा.”

तनाव को कम करना
दोनों पक्ष ताइवान जैसे विवादित मुद्दों पर अपने पारंपरिक रुख पर अड़े रहे मगर ऐसे संकेत मिले कि दोनों इस मुद्दे पर तनाव को कम करना चाहते हैं. बाइडेन ने शी को बताया कि “वन चाइना” पर अमेरिका का पारंपरिक रुख यह दर्शाता है कि ताइवान चीन का हिस्सा है. लेकिन अमेरिका ने इस बात पर जोर दिया कि उनके देश ने किसी भी पक्ष द्वारा स्थिति में किसी भी एकतरफा बदलाव का विरोध किया है. उन्होंने रेखांकित किया कि “दुनिया का हित ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता बनाए रखने में है”.

अमेरिका-चीन ने साझा हित पर बात की
शी ने अपनी ओर से हाल के दिनों की तुलना में अमेरिका पर कम आक्रामक रुख का प्रदर्शन किया. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति से कहा कि संघर्ष और टकराव को रोकना और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व हासिल करना “हमारे आपसी और मौलिक हित” में है. चीनी मीडिया के अनुसार शी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से कहा, “मौजूदा परिस्थितियों में, चीन और अमेरिका कम नहीं बल्कि ज्यादा सामान्य हित साझा करते हैं.”

प्रमुख कारण यूक्रेन युद्ध
यूक्रेन युद्ध के नियंत्रण से बाहर होने और परमाणु युद्ध की ओर जाने के खतरे ने अमेरिका और चीन दोनों को यह आभास दिलाया है कि इससे दोनों को बहुत कुछ गंवाना पड़ेगा. ऐसा लगता है जैसे इस मुद्दे ने दोनों को करीब लाने का काम किया. लगता है जैसे चीन ने पश्चिम के साथ संबंधों पर अपने “वुल्फ डिप्लोमेसी” वाले रुख को नरम कर लिया है. उसे लगता है कि महामारी के साथ पश्चिमी देशों से उसके कुछ हद तक अलग होने के कारण उसकी अर्थव्यवस्था दबाव में है. रूस पर अमेरिका-यूरोपियन यूनियन के प्रतिबंधों का भी चीन पर असर पड़ा है.

अत्याधुनिक चिप्स की आपूर्ति पर अमेरिका के प्रतिबंध के कारण चीन के निर्यात के बड़े हिस्से इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन को तगड़ा झटका लगा है.

अमेरिका इस बात से भी वाकिफ है कि चीन के अरबों डॉलर के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में निवेश करने वाले उसके कई यूरोपीय सहयोगी चीन से दूर होने से खुश नहीं हैं. जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने पिछले हफ्ते अचानक बीजिंग का दौरा किया और घोषणा की कि जर्मनी चीन के साथ घनिष्ठ आर्थिक संबंध चाहता है.

अमेरिकी सहयोगी अपने यहां काफी आर्थिक दबाव में हैं और यह ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ के अपने चीनी समकक्ष ली केकियांग के साथ बाली में अलग से मुलाकात के निर्णय में साफ हो गया. अल्बनीज़ से पहले वाले प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के चीन विरोधी नीतियों के कारण जवाबी कार्रवाई में चीन ने ऑस्ट्रेलिया से कोयला, मांस, डेयरी उत्पाद और कृषि वस्तुओं का आयात रोक दिया जिससे ऑस्ट्रेलिया को काफी ज्यादा आर्थिक नुकसान सहना पड़ा.

क्या पुतिन को युद्ध खत्म करने के लिए शी मना सकते हैं?
हो सकता है अमेरिकी सहयोगियों सहित दुनिया भर में गहरी बेचैनी ने बाइडेन प्रशासन को चीन के साथ संबंध बेहतर करने के लिए प्रेरित किया हो. उन्हें शायद यह भी आशा हो कि पुतिन को युक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए शी मना ले सकते हैं. यह आश्चर्य कि बात है कि बाइडेन-शी की मुलाकात अमेरिका के इशारे पर हुई और स्थान वह होटल था जहां चीनी प्रतिनिधिमंडल ठहरा हुआ है. मुलाकात अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के होटल या किसी तटस्थ स्थान पर नहीं हुई.