Income Tax Rules: टैक्स भरते समय न करें ये गलती, नहीं तो होगा नुकसान , देना पड़ सकता है जुर्माना

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी है, ये बाद की बात है कि आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं, कितना टैक्स भरते हैं, क्या छूट क्लेम करते हैं, वगैरह-वगैरह. लेकिन ये ध्यान रखें कि आईटीआर भरते वक्त आपको अपनी हर आय दिखानी होती है.

 

Mhara Hariyana News, New Delhi: इनकम टैक्स रिटर्न भरे जा रहे हैं. इनकम टैक्स नियमों के मुताबिक, देश में किसी भी रास्ते से इनकम कर रहे लोगों को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी है, ये बाद की बात है कि आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं, कितना टैक्स भरते हैं, क्या छूट क्लेम करते हैं, वगैरह-वगैरह.

लेकिन ये ध्यान रखें कि आईटीआर भरते वक्त आपको अपनी हर आय दिखानी होती है.

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सैलरीड प्रोफेशनल हैं और निवेश करके रिटर्न कमाते हैं

या फिर बिजनेसमैन हैं, आपके पास जितने भी रास्तों से आय आती है, वो सभी डिस्क्लोज़ करने होते हैं. वर्ना टैक्स डिपार्टमेंट को इसका पता चला तो आपके ऊपर भारी पेनाल्टी ठोकी जा सकती है.

ब्याज से कमाई-
आपको ये मालूम होना चाहिए कि आपके बैंक अकाउंट पर आपको जो ब्याज मिलता है, वो भी आपकी आय में आता है और इसपर भी टैक्स लगता है. आपको इसपर टैक्स छूट मिलती है

लेकिन एक सीमा तक ही ब्याज से होने वाली आय करमुक्त होती है. बैंक जमा, छोटी बचत और बॉन्ड पर मिलने वाला ब्याज भी आय के अंदर आता है. इसे रिटर्न में अन्य स्रोतों से आय वाली कैटेगरी में दिखाना होता है.


इक्विटी निवेश से कैपिटल गेन पर-
अगर आप इक्विटी म्यूचुअल फंड और शेयरों में निवेश करते हैं तो इसपर मिला रिटर्न लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में आता है, इसपर  1 लाख रुपए से ज्यादा के गेन पर टैक्स लगता है.

इसलिए टैक्सपेयर्स का आईटीआर (ITR) में कैपिटल गेन्स की जानकारी देना जरूरी है.

अगर किसी निवेशक को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन हुआ है तो उसे रिटर्न में शेयरों, खरीद मूल्य, बिक्री मूल्य और लेन-देन की तारीखों की जानकारी देनी होगी.


डिविडेंड इनकम-
म्यूचुअल फंड और शेयरों पर मिलने वाले डिविडेंड पर भी टैक्स लगता है. 2019-20 तक जहां पहले कंपनी डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स देकर डिविडेंड बांटा करती थी.

वहीं अब निवेशक के हाथ में ये टैक्सेबल है. डिविडेंड पूरी तरह से एक इनकम माना जाता है और इसे आईटीआर में डिस्क्लोज करना होता है.


विदेशी संपत्ति-
इनकम टैक्स रिटर्न में अनलिस्टेड शेयरों से होने वाली आय और विदेशी संपत्ति का भी ऐलान करना चाहिए. भारत के बाहर मौजूद विदेशी संपत्ति की घोषणा अनुसूची FA (विदेशी संपत्ति) के तहत किया जाना चाहिए.

अघोषित विदेशी संपत्ति या आय पर 30 फीसदी से ज्यादा जुर्माना लगाया जाता है.

रिटर्न में विदेशी डिपॉजिटरी खाते, विदेशी कस्टोडियल खाते, विदेशी इक्विटी और ऋण ब्याज, किसी विदेशी कंपनी में रखे गए शेयर की जानकारी देना जरूरी है.

HNWIs के लिए-
अमीर करदाताओं को निर्दिष्ट संपत्तियों जैसे भूमि, भवन, चल संपत्ति, बैंक खाते, शेयर और बॉन्ड की डिटेल के साथ-साथ, इन संपत्तियों के एवज में अगर कोई संबंधित देनदारी है तो उसकी डिटेल भी आईटीआर में देनी चाहिए.