Jail में बढ़ रही हैं गैंगवार और हिंसक घटनाएं, सुधार के लिए जरूरी है ठोस नीति
 

 

Mhara Hariyana News, Jaipur

हाल ही में कड़ी सुरक्षा वाली तिहाड़ Jail में बंद सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया की जितेंद्र गोगी गिरोह के चार सदस्यों ने हत्या कर दी। टिल्लू की हत्या की जिम्मेदारी उसके विरोधी Gangster सतविंदर जीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ ने ली है। गौरतलब है कि ताजपुरिया पर हत्या, हत्या के प्रयास, अवैध वसूली सहित गंभीर धाराओं में 11 मामले दर्ज थे। 
पुलिस द्वारा 2016 में गिरफ्तार किए जाने के बाद से वह तिहाड़ में बंद था। इससे पहले 14 अप्रैल को Jail में Gangster लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के सदस्य प्रिंस तेवतिया की एक कैदी से कहा-सुनी के बाद दूसरे गिरोह के सदस्यों ने हत्या कर दी थी।  

पिछले दिनों तिहाड़ Jail में हुई छापेमारी के दौरान कई मोबाइल फोन, चाकू, मादक पदार्थ और तार बरामद हुए थे। इसी तरह दिल्ली स्थित मंडोली और रोहिणी Jail से भी कई मोबाइल फोन बरामद हुए थे।

दरअसल देश की विभिन्न Jails में मोबाइल फोन के इस्तेमाल और कैदियों को चोरी-छिपे मिलने वाली सुख-सुविधाओं को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। Jails की आंतरिक व्यवस्था में अपेक्षित सुधार न हो पाने के कारण Jails के अंदर हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही है। कुछ समय पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने Jail सुधार को समय की जरूरत बताते हुए इस दिशा में ठोस रणनीति बनाने पर जोर दिया था।

अपनी एक टिप्पणी में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि तिहाड़ की हालत दयनीय है, जो अपराधियों का अड्डा बन गई है और वहां हत्याएं हो रही हैं। Jail में कैदियों को विभिन्न तरह ही सुविधाएं मिलना दर्शाता है कि Jail में अपेक्षित सुधार नहीं हो पा रहा है। दुखद है कि ऐसे अपराधों को बढ़ाने में Jailकर्मी ही सहायक होते हैं।

Jail में सीसीटीवी लगाई गई है, लेकिन हैरानी की बात है कि सीसीटीवी और जैमर के बावजूद व्यवस्था में चूक हो जाती है। केंद्रीय गृहमंत्री ने भी यह माना है कि कई ऐसे राज्य हैं, जिनमें आज भी अंग्रेजों द्वारा बनाई गई Jail जस की तस हैं। इनका आधुनिकीकरण करने के साथ ही तकनीक से लैस करना, सुरक्षा की दृष्टि से उसे चुस्त-दुरुस्त बनाना और कैदियों के रहने की उचित व्यवस्था करना बहुत जरूरी है। 

Jail में अधिक भीड़ होने के कारण जहां कैदियों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पातीं
देश की अधिकतर Jail में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं। Jail में अधिक भीड़ होने के कारण जहां कैदियों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पातीं, वहीं सुरक्षा व्यवस्था भी चुस्त-दुरुस्त नहीं हो पाती है। पर जब Jail में विशेष कैदियों को वीआईपी सुविधाएं मिलने लगें, तो केवल Jail की संरचना और व्यवस्था को ही दोषी नहीं ठहराया जा सकता। 

Jail से जुड़े कर्मचारियों और अधिकारियों में भी अपने कर्तव्यों के निर्वहन की समझ होनी चाहिए। केवल व्यवस्था को दोष देकर कर्मचारी और अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से नहीं बच सकते।

विभिन्न अध्ययनों में अक्सर क्षमता से अधिक कैदियों का होना, कैदियों की मौत, स्टाफ की कमी, प्रशिक्षित स्टाफ का न होना, वीआईपी कैदियों को मिलने वाली सुविधाएं, Jail के वातावरण तथा Jail की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। लेकिन व्यावहारिक रूप से इन अध्ययनों का फायदा नहीं दिखाई देता है। 

तिहाड़ Jail परिसर की कुछ Jail में हाई सिक्योरिटी वार्ड
तिहाड़ Jail परिसर की कुछ Jail में हाई सिक्योरिटी वार्ड हैं, जिनमें संगीन और गंभीर मामलों में शामिल अपराधी रखे जाते हैं। पर हाई सिक्योरिटी वार्ड में रखे जाने के बाद भी Gangster वारदात की साजिश रचने में सफल हो जाते हैं।

गांजा मुहैया कराते हुए कॉन्ट्रैक्ट पर रखे डॉक्टर को पकड़ा था
कुछ समय पहले तिहाड़ Jail में कैदियों को गांजा मुहैया कराते हुए कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए एक डॉक्टर को पकड़ा गया था। Jail की व्यवस्था सुधारने के लिए सरकारी नीतियां अपनी जगह हैं, लेकिन जब तक सरकार Jail कर्मचारियों और अधिकारियों का आचरण सुधारने पर ध्यान नहीं देगी, तब तक कोई लाभ नहीं होगा। 
कई प्रयासों के बावजूद अभी तक हम शातिर कैदियों को सख्त संदेश नहीं दे पाए हैं। इसके लिए सख्त कार्ययोजना बनानी जरूरी है।