देश-दुनिया में साध-संगत ने धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया पावन एमएसजी गुरुमंत्र दिवस का भंडारा

 

सिरसा। मानवता की सेवा को समर्पित सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत ने सोमवार को शाह सतनाम-शाह मस्तान जी धाम व मानवता भलाई केंद्र डेरा सच्चा सौदा सिरसा सहित देश दुनिया में पावन एमएसजी गुरुमंत्र दिवस का भंडारा बड़ी धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया। पावन भंडारे की नामचर्चा सत्संग कार्यक्रम में फसली सीजन और होली पर्व होने के बावजूद भारी तादाद में साध-संगत ने भाग लिया और पावन दिवस की खुशियां मनाई।

पावन एमएसजी गुरुमंत्र दिवस भंडारे की शुरूआत पवित्र नारा धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा लगाकर किया गया। तत्पश्चात कविराजों ने सुंदर भजन वाणी से गुरु महिमा का गुणगान करते हुए मनुष्य जन्म में राम-नाम का जाप करने के लिए प्रेरित किया।

बाद में सत्संग पंडाल में लगाई गई बड़ी एलईडी स्क्रीनों के माध्यम से पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने उपस्थित साध-संगत को अपने अनमोल रूहानी वचनों से लाभान्वित किया। इससे पूर्व समस्त साध-संगत ने धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का पवित्र नारा बोलकर पूज्य गुरु जी को पावन एमएसजी गुरु मंत्र भंडारे की बधाई दी। नामचर्चा सत्संग कार्यक्रम के दौरान डेरा सच्चा सौदा द्वारा किए जा रहे 162 मानवता भलाई कार्यों को गति देते हुए फूड बैंक मुहिम के तहत 51 जरूरतमंदों को राशन व गर्मी के मौसम के मद्देनजर पक्षियों उद्धार मुहिम के तहत पक्षियों के लिए दाना-पानी रखने के लिए 151 कसोरे बांटे गए।

बता दें कि परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने 25 मार्च 1973 को पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को गुरुमंत्र की दात बख्शी थी। इसके अलावा मार्च महीने में ही डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज व दूसरी पातशाही परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने गुरुमंत्र की दात प्राप्त की थी। इसलिए मार्च के पवित्र महीने को डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत एमएसजी गुरुमंत्र भंडारा माह और 25 मार्च को  एमएसजी गुरुमंत्र दिवस भंडारे के रूप में मनाती है। इस दिन साध-संगत देश-दुनिया में 162 मानवता भलाई के कार्य करके इस पवित्र दिन को मनाती है।  
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पूज्य गुरु जी ने उपस्थित साध-संगत को अपने रूहानी अमृतमयी वचनों से लाभान्वित करते हुए फरमाया कि आज एमएसजी गुरुमंत्र दिवस का भंडारा है।
मालिक-सतगुरु से प्रार्थना करके यही आशीर्वाद देते है कि आप खुद भी गुरुमंत्र का जाप करे और दूसरों को भी गुरुमंत्र से जोड़े, ताकि लोग नशे छोड़ दे, बुराईयां छोड़ दे। मालिक आप को हिम्मत दे, खुशियां दें और घर में परेशानियां दूर करें।

शाह मस्तान-शाह सतनाम जी महाराज ने ऐसा रहमो कर्म किया, कृपा दृष्टि करी कि बड़ा आसान सा गुरुमंत्र बताया है। इंसान थोड़े से शब्दों का जाप करके परम पिता परमात्मा को पा सकता है। चलते, बैठते, काम धंधा करते हुए भी गुरुमंत्र का जाप कर सकते है। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि सत्संग व नामचर्चा में शुद्ध भावना लेकर आओ और बना बनाया सुमिरन ले जाओ।

साईं जी ने बिल्कुल आसान गुुरुमंत्र का तरीका बताया है। पहले मोक्ष प्राप्ति के लिए सुन्न समाधी में जाना पड़ता था और ध्यान जमाना पड़ता था। लेकिन साईं जी ने ऐसा गुरुमंत्र दिया कि चलते-फिरते, लेटते- बैठे भी गुरुमंत्र का जाप करके मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। साईं जी ने पहले ही कह दिया था कि आवागमन से मुक्ति तो गुरुमंत्र लेते ही हो गई है। लेकिन जीते-जी खुशियां हासिल करना चाहते हो, जीते जी मोक्ष यानी गम, दुख, दर्द, चिंता, टेंशन, परेशानी, तकलीफों से मुक्ति चाहते हो तो सेवा और सुमिरन जरूरी है।

सत्संग में जब इंसान आता है तो जन्मों-जन्मों के पाप कर्म कट जाते है। संत-पीर-फकीर जब सत्संग करते है तो ओम,अल्लाह, गॉड, खुदा, रब्ब वहां विराजमान होते है। वैसे तो वो कण-कण जर्रे-जर्रे में होते है, लेकिन जहां सत्संग होता है वहां वो प्रत्यक्ष तौर पर विराजमान होते है।

जहां राम-नाम की कथा-कहानी चलती है वहां परमात्मा की शक्ति ज्यादा आई होती है। वहां अगर कोई शांति से बैठकर सुनता है, चर्चा करता है तो उसे किसी तरह की कोई कमी नहीं रहती।

पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि बात सुनकर अमल करने की है। सत्संग के दौरान जब इंसान घटिया सोच रखता है तो उसके भयानक कर्म नहीं कट सकते और इंसान सत्संग मे…