संसद का विशेष सत्र: नेहरू के भाषण से मिली प्रेरणा...मोदी ने वही कहा जो संसद ने 75 साल में देखा

संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र आज से शुरू हो गया है. आज पुराने संसद भवन में संसद के 75 साल के सफर पर चर्चा हो रही है. संसद सत्र का दूसरा दिन कल नये संसद भवन में होगा. इस विशेष सत्र में 8 विधेयक पेश किये जायेंगे.
 

संसद का विशेष सत्र आज से शुरू हो गया है. यह विशेष सत्र 5 दिनों का है. इस सत्र में कुछ बड़े फैसले लिए जाएंगे जिसका देश की राजनीति पर गहरा असर पड़ सकता है. पुराने संसद भवन में आज भी संसद का सत्र जारी है. सत्र शुरू होते ही सबसे पहले राष्ट्रगान बजाया गया और फिर राज्यसभा के नए सदस्यों को शपथ दिलाई गई. आज संसद में संसद के 75 साल के सफर पर चर्चा हो रही है.

इस चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब देश के पास आगे बढ़ने का मौका है. अब हम पुराने संसद भवन को छोड़कर नए संसद भवन में प्रवेश करेंगे। लेकिन पुरानी वास्तुकला भावी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत के गौरव की चर्चा आज पूरी दुनिया में हो रही है. चंद्रयान 3 की सफलता से पूरा देश अभिभूत है. इसमें भारत के सामर्थ्य का एक अलग रूप देखने को मिला है, जो विज्ञान और टैक्नोलॉजी से जुड़ा हुआ है.

पीएम ने कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों ने देश और दुनिया पर नया प्रभाव छोड़ा है. मैं फिर से देश के वैज्ञानिकों को कोटि-कोटि बधाईयां देता हूं और उनका अभिनंदन करता हूं.

जी 20 की सफलता किसी एक व्यक्ति की नहीं- मोदी

पीएम मोदी ने आगे कहा कि जी-20 की सफलता से देश का गौराव बढ़ा है. यह भारत की सफलता है, किसी व्यक्ति या किसी दल की सफलता नहीं है. यह देश के गौरवगान को बढ़ाने वाला है. भारत इस बात पर हमेशा गर्व करेगा कि भारत ने भी जी 20 सम्मेलन की अध्यक्षता की है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से आज भी देश के कई लोगों में देश के प्रति शक का भाव बना हुआ है.

लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा कि आज भावुक का पल है. कोई भी पुराना घर छोड़कर नए घर जाता है तो पुरानी यादें झकझोर देती हैं. आज संसद में हमारा मन भी यादों से भरा हुआ है. यहां हमने खट्टे मीठे पल और नौकझौंक भी देखी.

आजाद भारत के नवनिर्माण से जुड़ी हुईं अनेक घटनाएं इन 75 वर्षों में इसी सदन से होकर गुजरी. उन्होंने कहा कि जब पहली बार संसद का सदस्य बना और पहली बार सांसद के रूप में इस भवन में प्रवेश किया तो सहज रूप से मैंने संसद भवन की सीढ़ियों पर अपना शीश झुकाया.