प्रोपर्टी पर मालिकना हक साबित करने के लिए जरूरी होंगे ये दस्तावेज

 

संपत्ति विवाद हर घर की समस्या है. कभी भाई-भाई में तो कभी भाई-बहनों में प्रॉपर्टी के लिए झगड़े होते हैं. कई बार ऐसा होता है जब परिवार के लोग धोखा देकर अपनों की संपत्ति हड़प लेते हैं. 
आए दिन थाने और कचहरी में जमीन विवाद को लेकर कई लोग केस दर्ज कराते हैं. क्या आप जानते हैं कि अवैध कब्जा, अतिक्रमण और धोखाधड़ी से हड़पी गई जमीन को वापस लेने के लिए क्या करना होता है?

गलत तरीके से परिवार के किसी सदस्य या अन्य किसी व्यक्ति द्वारा हड़पी गई संपत्ति को वापस पाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए कानूनी प्रक्रिया का सहारा लेना पड़ता है. वहीं, इस दौरान संपत्ति या जमीन पर मालिकाना हक साबित करने के लिए कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट्स हमेशा आपके पास होना चाहिए.


कहां और कैसे करें शिकायत?

धोखाधड़ी या गुमराह करके जमीन हड़पने का मतलब है कि आपसे गलत तरीके से संपत्ति विक्रय पत्र पर साइन करा लिए गए. अगर हड़पी गई जमीन की रजिस्ट्री भी करा ली गई है तो आप तुरंत रजिस्ट्रार के समक्ष आपत्ति दर्ज कराएं और पंजीयन रद्द के लिए आवेदन दें. 

वहीं, अगर रजिस्ट्री नहीं हुई है तो रजिस्ट्रेशन नहीं किए जाने का अनुरोध करें. जमीन वापस पाने के लिए सिविल कोर्ट में कॉन्ट्रैक्ट लेटर को रद्द करने के लिए केस फाइल करें.

किन धाराओं में होगा केस दर्ज

जमीन या प्रॉपर्टी को गलत तरीके या धोखाधड़ी से हथियाने पर आईपीसी की धारा 420 के तहत मामला बनता है. अगर किसी व्यक्ति को डरा-धमकाकर उसकी संपत्ति से बेदखल कर दिया गया है या धोखाधड़ी से हथिया ली गई है तो, पीड़ित शख्स इस धारा के तहत थाने में रिपोर्ट दर्ज करा सकता है. 


जमीन विवाद से जुड़े किसी भी तरह के मामलों की जानकारी व निपटारे के लिए व्यक्ति जिला न्यायालय, सब रजिस्ट्रार ऑफिस, भू-अभिलेख विभाग और नगर पंचायत या नगर पालिका जा सकता है.

Supreme Court ने ससुराल वालों को दी बड़ी राहत, बहू का झटका

किसी भी जमीन पर मालिकाना हक सिद्ध करने के लिए आपके पास रजिस्ट्री दस्तावेज, खतौनी, खाता संख्या और ट्रांसफर ऑर्डर होने चाहिए. इसमें रजिस्ट्री सबसे अहम होती है जो प्रॉपर्टी के असली मालिक को प्रमाणित करती है. हालांकि, बेहतर है कि आप हमेशा जमीन खरीदने या उससे जुड़े विवाद के समाधान के लिए कानूनी सलाहकार की मदद लें.