कनाडा से माहौल बिगाड़ने की साजिश रच रहे खालिस्तान समर्थक, विरोधी गतिविधियों से भारत भी चिंतित

 

Mhara Hariyana News, Jalandar (पंजाब) 
कनाडा में अपनी जड़ें मजबूत कर चुके खालिस्तान समर्थक संगठन लगातार पंजाब में माहौल खराब करने की साजिश रच रहे हैं। यही कारण है कि कनाडा और पंजाब में लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जिससे खालिस्तान के लिए रेफरेंडम जैसे मुद्दों को हवा दी जा रही है।

कनाडा में सितंबर में फिर से रेफरेंडम-2020 होने जा रहा है। इसके लिए पंजाब में भी माहौल बनाया जा रहा है। सिख्स फॉर जस्टिस जैसे कई संगठन इसके लिए पंजाब में फंडिंग कर रहे हैं।

कनाडा में भारतीय तिरंगे के अपमान की जैसी घटनाओं के बाद यह भी कहा जा रहा है कि कनाडा में खालिस्तान समर्थकों का पनपना वहां पर वोट बैंक के कारण है और कनाडा सरकार इनके प्रति सकारात्मक है। यह बयान भारत के विदेश मंत्री ने गुरुवार को दिया है।

पिछले साल कनाडा में खालिस्तान को लेकर सिख फॉर जस्टिस की ओर से जनमत संग्रह करवाया गया तो दोनों देशों के बीच काफी तल्खी हुई और यह तल्खी उस मुकाम पर पहुंची कि भारतीय दूतावास को कनाडा में ठहरे विद्यार्थियों के लिए एडवाइजरी जारी करनी पड़ी, जिससे काफी हंगामा मच गया था।

खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कनाडा में फिर से खालिस्तान कट्टरपंथियों ने भारत के प्रति उग्र भाषणबाजी की। इससे माहौल गरमाने लगा है। खालिस्तान के विषय पर कनाडा का रुख पुराना ही है कि यह कोई अपराध नहीं है, जिसके लिए सजा हो।

कंजरवेटिव और लिबरल दोनों ही पार्टियां इस बात को लेकर सचेत हैं कि यह अभिव्यक्ति की आजादी का मुद्दा न बन जाए। जिस तरह से भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का अपमान हुआ है उससे तल्खी और बढ़ रही है। इससे कनाडा में पढ़ाई के लिए गए बच्चों के अभिभावक खासे चिंतित हैं।

यह स्थिति ऐसे समय में बनी है, जब 700 पंजाबी विद्यार्थी कनाडा में फंसे हुए हैं। अगर तनाव बढ़ जाता है, तो इन बच्चों के मामले भी अधर में लटक सकते हैं।

इन घटनाओं ने बढ़ाई चिंता
खालिस्तान समर्थकों ने कनाडा में महात्मा गांधी की एक प्रतिमा को खंडित किया। यह घटना ओंटारियो प्रांत में स्थित हैमिल्टन के सिटी हॉल के पास हुई। यह प्रतिमा 2012 में स्थापित की गई थी।
खालिस्तान-समर्थकों ने भारत विरोधी नारे लगाते हुए वाणिज्य दूतावास को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी।
कनाडा में चार माह में दो हिंदू मंदिरों को टारगेट किया गया। मंदिर की दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे गए।
सितंबर में कनाडा में फिर से सिख फॉर जस्टिस ने रेफरेंडम करवाने की घोषणा की है, जिससे तनाव बढ़ने लगा है।

कनाडा में छिपे हैं वांछित आतंकी 
एनआईए ने बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के सदस्य लखबीर सिंह संधू उर्फ लांडा पर 15 लाख रुपये का इनाम घोषित किया है। वह मूल रूप से पंजाब के तरनतारन का रहने वाला है। वह कनाडा में बैठकर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।

पिछले वर्ष मई में मोहाली में पंजाब पुलिस के खुफिया मुख्यालय पर रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड हमले को अंजाम देने के आरोप में उसके गुर्गे को गिरफ्तार किया गया था।
अर्श डल्ला 
लखबीर सिंह संधू का सहयोगी अर्शदीप सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला भी कनाडा में है और खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) से जुड़ा हुआ है, जिसके प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की हाल ही में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
गोल्डी बराड़
एनआईए का वांछित सतविंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ है भी कनाडा में छिपा है। वह नवंबर 2022 में फरीदकोट में डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी प्रदीप कुमार की हत्या का आरोपी है।
गुरजीत चीमा 
गुरजीत सिंह चीमा कनाडा के ब्रैम्प्टन में रह रहा है। वह भी आतंकी गतिविधियों के लिए अप्रैल महीने 2017 में भारत आया था। इसके लिए उसे स्थानीय लोगों व ग्वालियर और सीमा पार पाकिस्तान से भी हथियार उपलब्ध करवाए गए। उसका एक साथी भी इंटेलिजेंस विभाग की सूची में है, जिसका पाकिस्तान में रह रहे बब्बर खालसा इंटरनेशनल के वधावा सिंह बब्बर से लगातार संपर्क है।
गुरप्रीत सिंह
कनाडा में रहने वाले गुरप्रीत सिंह पर हथियार जुटाने के लिए पैसा जमा करने का आरोप है। गुरपतवंत सिंह पन्नू भी कनाडा के हेमिल्टन में रह रहा है।
मलकीत सिंह
कनाडा के बीसी में सरी में रहने वाले मलकीत सिंह ने उत्तर प्रदेश में निर्मित हथियार खरीदे और इसे टारगेट किलिंग में इस्तेमाल किया। वह मूल रूप से अमृतसर का
निवासी है।