उधार लिए दो लाख रुपये का ब्याज मानदेय से काटने पर मालिक की हत्या
Mhara Hariyana News, Bagpat
बागपत में खेकड़ा की गंडासा फैक्टरी में काम करने वाले नौकरों ने ही मालिक की हत्या की थी। जिसमें पुलिस ने दो नौकरों को गिरफ्तार कर हत्याकांड का खुलासा कर दिया। पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त लोहे का Pipe और हजारों रुपये की नकदी बरामद की। गिरफ्तार हत्यारोपी ने उधार लिए दो लाख रुपये का ब्याज मानदेय से काटने पर हत्या की घटना को अंजाम दिया।
एसपी अर्पित विजयवर्गीय ने बताया कि खेकड़ा की पाठशाला रोड पर स्थित गंडासे की फैक्टरी में शुक्रवार रात मालिक रमेश चंद वर्मा की हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद पुलिस ने जांच-पड़ताल शुरू की। जिसमें फैक्टरी में काम करने वाले विकास निवासी पट्टी मुंडाला खेकड़ा और साजिद निवासी लोनी व हाल निवासी मोहल्ला पाकिस्तान साकरौद को गिरफ्तार किया गया।
एसपी ने बताया कि पूछताछ में फैक्टरी में काम करने वाले विकास ने बताया कि उसने रमेश चंद वर्मा से दो साल पहले दो लाख रुपये ब्याज पर लिए थे। जिसका आठ हजार रुपये ब्याज फैक्टरी मालिक हर महीने उसके मानदेय से काट लेते थे।
उधार, के दो लाख रुपये और ब्याज से छुटकारा पाने के लिए उसने साजिद के साथ मिलकर फैक्टरी मालिक की हत्या की योजना बनाई और शनिवार रात लोहे की रॉड से हमला कर हत्या कर दी। पुलिस ने गिरफ्तार किए दोनों हत्यारोपियों को न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
पुलिस को गुमराह करने को सामान बिखेरा और रुपये उठाए
फैक्टरी मालिक की हत्या करने के बाद हत्यारोपियों ने पुलिस को गुमराह करने और लूट के लिए हत्या दर्शाने के लिए हजारों रुपये उठा लिए। जिसके बाद फैक्टरी मालिक के कमरे का सामान और कागज इधर-उधर बिखेर कर भाग गए।
हत्या के बाद विकास नहीं आया फैक्टरी, मोबाइल बंद कर फंसा
फैक्टरी मालिक रमेश चंद वर्मा की हत्या के बाद पुलिस ने सभी नौकरों और अन्य करीबियों से भी पूछताछ की। जहां फैक्टरी में पिछले दस साल से काम करने वाला विकास नहीं आया, जबकि वह हत्या वाले दिन फैक्टरी में ही था। उसका फोन मिलाकर बुलाने का प्रयास किया गया, तो मोबाइल फोन भी बंद मिला। इसके बाद पुलिस का विकास पर शक गहरा गया और पुलिस ने विकास को गिरफ्तार कर पूछताछ की तो हत्या का खुलासा हो गया। साजिद कभी-कभी बुलाने पर ही फैक्टरी में काम करने आता था।
हत्यारोपियों ने पूछताछ में बताया कि उसे फैक्टरी में काम करने पर 12 हजार रुपये महीना मानदेय मिलता था। जिसमें आठ हजार रुपये काटकर सिर्फ चार हजार रुपये ही मिलते थे। जिससे गुजारा करना कठिन हो गया था। वह सोचने लगा था कि इस तरह तो जीवन में कभी भी ब्याज से मुक्ति नहीं मिल पाएगी और मूलधन भी नहीं दे पाएगा। इसलिए उसने उधार के रुपयों व ब्याज से छुटकारा पाने के लिए हत्या कर दी।