आठवीं तक पढ़े युवकों ने देश के एक हजार लोगों से ठगे 17 Crore, तीनों गिरफ्तार

 

Mhara Hariyana News, New Delhi
PM की Digital इंडिया की महत्वपूर्ण योजना सामान्य सेवा केंद्र (CSC) में राजस्थान आठवीं तक पढ़े तीन युवक सेंध लगा रहे थे। आरोपी CSC की फर्जी आईडी व कई सेवाओं के फर्जी Certificate जारी कर लोगों को ठग रहे थे। आरोपी पूरे भारत में अब तक 1000 से ज्यादा लोगों से 17 Crore रुपये से ज्यादा ऐंठ चुके हैं। 

दिल्ली Police की स्पेशल सेल ने गिरोह का पर्दाफाश कर राजस्थान के सीकर निवासी मोनू शर्मा (24), कुलदीप सिंह (27) और मास्टरमाइंड चित्रेश गोयल (26) को गिरफ्तार किया है। स्पेशल सेल के आईएफएसओ के Police उपायुक्त प्रशांत गौतम ने बताया कि PM ने भारत को Digital इंडिया की ओर ले जाने के लिए देश भर में पांच लाख CSC स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। ये ऐसी जगह स्थापित किए जा रहे हैं जहां इंटरनेट की सुविधा नहीं है। 

राज्य सरकारों ने ई-मित्र शुरू किया हुआ है। इसके तहत CSC आवेदक को एक आईडी देता है।  इसके बाद वह Centre खोलने लिए अधिकृत हो जाता है। वह भारत सरकार की Digital सेवाओं का अपडेट बना सकता है।

इसके अलावा आवेदक को लोगों को अन्य सरकारी सेवाएं देने के लिए अधिकृत किया जाता है। CSC ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के सलाहकार/सतर्कता अखिलेश्वर यादव ने आईएफएसओ के पास एक शिकायत दर्ज कराई थी। 

ऐसे पकड़े गए आरोपी
इंस्पेक्टर भंवर सिंह को जांच में पता लगा कि जिस Website से लोगों को ठगा जा रहा है वह इंडियन गुरु शर्मा की नाम से बनाई गई है। इस नंबर को पता किया गया जिससे Website बनाई गई थी तो पता लगा कि मोबाइल नंबर मोनू शर्मा का है। इसके बाद ठगी में इस्तेमाल किए जा रहे दो और मोबाइल नंबरों का पता लगा। इसके बाद Police ने तीनों को नीम का थाना व जयपुर से गिरफ्तार कर लिया। 

मां के खाते में लेता था ठगी की रकम
चित्रेश गोयल इस गिरोह का मास्टरमाइंड है। उसने ही CSC से मिलती-जुलती साइट बनाई। उसने साइट के होमपेज पर पेमेंट लिंक दे रखा था। ये चित्रेश की मां के बैंक खाते से जुड़ा हुआ था। आरोपियों ने बहुत सारे व्हाट्सएप ग्रुप बना रखे थे। 
तीनों आरोपी CSC आईडी, टीईसी (टेलीकॉम एंटरप्रेन्योर कोर्स) Certificate, आरएपी (रूरल ऑथराइज्ड पर्सन) Certificate, आईआईबीएफ (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग एंड फाइनेंस) Certificate और वीएलई दिलवाने की बात लोगों को कहते थे। झांसे में आए लोगों से फीस के नाम पर 1472 रुपये जमा कराते थे।