गोबिंद कांडा : समाजसेवा के पथ का अनथक राही

गऊ और गरीब की सेवा है धर्म, भातृ प्रेम की है मिसाल
 

Mhara Hariyana News:  सिरसा।  समाजसेवा की राह पर बिना थके चलने वाले बिरले ही लोगों में गोबिंद कांडा का नाम सबसे ऊपर है। गऊ और गरीब की सेवा को अपना धर्म समझने वाले गोबिंद कांडा ने अपने अग्रज गोपाल कांडा के संग हर क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए। पिता स्व. मुरलीधर कांडा और माता स्व. मुन्नी देवी से विरासत में मिले समाजसेवा के गुणों के बलबूते आज कांडा बंधु न केवल देश-प्रदेश बल्कि दुनिया में विशिष्ट स्थान रखते है।

सामान्य कारोबारी से अपना सार्वजनिक जीवन शुरू करने वाले कांडा बंधुओं ने अपनी मेहनत और लग्र से कारोबार के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए। सफलता के आसमान को छूने का काम किया। राजनीति में कदम रखा तो भूचाल ही ला दिया।

सफलता के शिखर को छूने के बावजूद उन्होंने कभी भी अपनी जड़ों को नहीं छोड़ा। कांडा बंधुओं का जनसरोकार आज भी बना हुआ है। उनकी लोकप्रियता का ग्राफ दिनोंदिन बढ़ा है। उनकी कार्यशैली के लोग कायल है। 


    मुरलीधर कांडा व मुन्नी देवी कांडा के घर जन्में गोबिंद मंझले पुत्र है। अग्रज गोपाल और अनुज महान कांडा है। कांडा बंधुओं की जोड़ी तो मिसाल है। जहां गोपाल कांडा देश-प्रदेश की राजनीति के साथ कारोबार संभालते है, वहीं गोबिंद कांडा पूरी तरह से सिरसा के लोगों को समर्पित है। सुबह सवेरे ही उनकी लोगों से मेल मुलाकात से दिनचर्या शुरू होती है और देर रात्रि तक चलती है। हैरानी होती है कि आखिर वे कैसे बिना थके इतने सक्रिय रहते है।

दिनभर लोगों की समस्या सुनना, उनका दर्द सुनना और उन्हें दूर करने का प्रयास करना। समाजसेवा के विभिन्न प्रकल्पों पर कार्य करना, धर्म के कार्यों के लिए समय निकालना, आखिर यह सब कैसे कर पाते है। इसका जवाब शायद ही किसी के पास हों।


    दरअसल, कांडा बंधुओं ने अपना जीवन समाजसेवा को समर्पित किया हुआ है। इसलिए दिन-रात लोगों की सेवा के लिए उपलब्ध रहते है। इसी वजह से वे अन्य राजनेताओं से जुदा है। जहां राजनीति में लोग अपने हित साधने की कोशिश करते है, वहीं कांडा बंधुओं ने राजनीति के मायने ही बदल डालें।

उन्होंने राजनीति को लोगों की सेवा का माध्यम बना डाला। राजनीति के माध्यम से लोगों की समस्या को हल करना, उनका जीवन आसान बनाना ही उनका ध्येय है। हकीकत यह है कि सिरसावासियों को गोबिंद कांडा में 'गोबिंदÓ नजर आता है।
-----------------
- धर्म के है ध्वज वाहक
सिरसा। धर्म के प्रति गोबिंद कांडा की आस्था का कोई हिसाब नहीं है। वे सदैव भक्ति में ही लीन रहते है। श्री बाबा तारा के परम भक्तों में शुमार गोबिंद कांडा को जनसेवा की असीम ताकत भी बाबा तारा जी की ही कृपा से प्राप्त है। धर्म के क्षेत्र में जो नित नए आयाम कांडा बंधुओं द्वारा स्थापित किए गए है, उससे उनकी धर्म के प्रति आस्था को पहचाना जा सकता है। न केवल सिरसा शहर बल्कि गांव-देहात अथवा आसपास के जिलों व राज्यों में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में गोबिंद कांडा को आमंत्रित किया जाता है।

एक जगह का आमंत्रण स्वीकार करने पर दूसरे को भी इंकार नहीं करते। यही वजह है कि एक ही दिन में उनके कई-कई कार्यक्रम होते है और वे कोशिश करते है कि हर जगह पहुंचें। जहां भी धर्म की पावन ज्योत प्रज्ज्वति होगी, कांडा की उपस्थिति वहां अवश्य होगी। मंदिर निर्माण हो धर्मशालाओं का निर्माण, अथवा अन्य धार्मिक कार्य।

कांडा बंधुओं की ओर से मदद में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी जाती। इस मामले में दूसरे आसपास भी नहीं फटक पातें।


----------------
- दान-दक्षिणा के चर्चे
सिरसा। गऊ और गरीब की सेवा को समर्पित कांडा बंधुओं के दान के भी चर्चे है। उनकी हरसंभव कोशिश रहती है कि जरुरतमंद को कभी निराश न किया जाए। शायद ही कोई उनके दर से निराश होकर लौटा हों। गरीब कन्याओं का विवाह हो या बीमार का ईलाज। पढ़ाई-लिखाई में परेशानी हो या खेल-खिलाड़ी के आगे बढऩे की बात। जनसमस्या के निदान का मामला हो तो पलक झपकते ही निदान कर देते है।

अपने निजी कोष से लोगों की अनेक समस्याओं का चुटकी बजाते हुए समाधान कर देते है। शायद ही कोई ऐसा हो, जो उनके दान-दक्षिणा के कार्यों से परिचित न हों। कोरोनाकाल में कांडा परिवार की सेवा को सिरसावासी कभी नहीं भूल सकते। जिस समय लॉकडाऊन के कारण हजारों लोग जिंदा रहने के लिए भोजन को लेकर चिंतित थे, ऐसे समय में उन्होंने विशाल लंगर-भंडारे का आयोजन किया।

गोबिंद कांडा ने स्वयं अपनी निगरानी में भोजन के हजारों पैकेट तैयार करवाए और लोगों के घर-घर तक पहुंचाए। उन्होंने कोरोना की विकरालता के समय जब मरीजों को बैड नसीब नहीं हो रहे थे, तब रातोंरात चेरिटेबल अस्पताल खड़ा किया ताकि कोई भी व्यक्ति ईलाज के अभाव में न रहें। उन्होंने आक्सीजन सिलेंडरों की पूर्ति के लिए विदेशों से आक्सिनेटर मशीनें मंगवाई।
---------------


- राजनीति के बनें धुरंधर
सिरसा। राजनीति के मैदान में गोबिंद कांडा अग्रेसिव होकर खेलने में विश्वास रखते है। वे राजनीति में दूर की चाल चलने में एक्सपर्ट है। पिछले डेढ़-दो दशकों की राजनीति में उनका कोई सानी नहीं है। वे भविष्य को लेकर गोटियां सजाने में माहिर है। चुनाव भले ही वार्ड का हो, पंचायत का हो या विधानसभा-लोकसभा का। उनका क्या स्टेंड रहेगा, इस पर तत्काल निर्णय गोबिंद कांडा की ओर से आता है।

वर्ष 2019 के चुनाव में गोबिंद कांडा रानियां सीट से चुनाव मैदान में थे और अग्रज गोपाल कांडा सिरसा सीट पर। ऐसे में उन्होंने भाई गोपाल कांडा की जीत सुनिश्चित करने के लिए रानियां सीट का बलिदान देना बेहतर समझा और भातृ प्रेम की नई मिसाल भी कायम की। रानियां छोड़कर उन्होंने सिरसा विधानसभा की चुनावी बागडोर संभाली और भाई गोपाल कांडा की जीत सुनिश्चित करने में