भूमि की ऊपजाउ शक्ति बनाये रखने के लिए ग्वार को फसल चक्र में रखें: डा. यादव
 

Keep Guar in the crop cycle to maintain the fertility of the land: Dr. Yadav
 

Mhara Hariyana News, Sirsa

सिरसा। ग्वार बारानी क्षेत्रों की एक महत्वपूर्ण फसल है। खरीफ  फसलों में यह एक मुख्य फसल जानी जाती है। यह सूखे को सहन करने की काफी क्षमता रखती है। जमीन की सेहत को सुधारने के लिए ग्वार को फसल चक्र में रखना जरूरी है। सिरसा के काफी किसान इस फसल चक्र को अपना रहे हैं। यह जानकारी ओढ़ांखंड के गांव मलिकपुरा में कृषि विभाग ओढ़ां के तत्वावधान में आयोजित ग्वार प्रशिक्षण शिविर में ग्वार विशेषज्ञ डा. बी.डी. यादव ने उपस्थित किसानों को दी। ट्रेनिंग का आयोजन पवन यादव, एटीएम की देखरेख में किया गया। ग्वार विशेषज्ञ डा. बी.डी. यादव, जिन्होंने 28 वर्ष तक हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में ग्वार फसल पर काम किया, ने किसानों को सलाह दी किसी भी फसल की बिजाई से पहले अपने खेत की मिट्टी व पानी की जांच अवश्य करवाएं। गोष्ठी में बोलते हुए डा. यादव ने कहा कि अब कुछ वर्षों से बीटी नरमा के अच्छे भाव होने के कारण नरमा का क्षेत्र धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि काफी ऐसे किसान हैं, जो फसल चक्र में बीटी नरमा के बाद नरमा ही ले रहे हैं, जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति घटती जा रही है तथा भूमि में पोषक तत्व की कमी होती जा रही है। इस कारण बीटी नरमा, गेहूं व सरसों की पैदावार में कमी देखने को मिल रही है। डा. यादव ने कहा कि ग्वार एक दलहनी फसल होने के नाते वायुमण्डल से नाईट्रोजन लेकर पौधे को देती है। ग्वार फसल पकने पर इसके पत्ते झड़कर जमीन पर गिरकर जैविक खाद का काम करते हैं। मुख्य अतिथि ने किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मेरी फसल मेरा ब्यौरा, मेरी पानी मेरी विरासत के बारे में पूरी जानकारी दी। इस अवसर पर सेवानिवृत ब्लॉक कृषि अधिकारी डॉ. सुभाष गोदरा, जोकि खुद एक प्रगतिशील किसान हैं, मौजूद थे। इस अवसर पर शिविर में 91 मौजूद किसानों को बीज उपचार के लिए दो-दो एकड़ की बीज उपचार की वेबिस्टिन दवाई तथा बीज उपचार के लिए एक जोड़ी दस्तानें हिन्दुस्तान गम एण्ड कैमिकल्स भिवानी की तरफ  से मुफ्त दी गई। इस अवसर पर प्रश्नोतरी सभा का आयोजन किया गया, जिसमें आठ किसानों को प्रश्नों का सही जबाव देने पर पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर गांव के सरपंच अवतार सिंह, परविन्द्र सिंह, रघुवीर सिंह, राजविन्द्र सिंह, बलविन्द्र सिंह, रामप्रताप तथा हनुमान दास आदि किसान मौजूद थे।