कभी भी अपने उसूलों से समझौता नहीं किया कुमारी सैलजा ने

अपने आप को दिग्गज कहने वाले नेताओं की अड़ंगेबाजी और धोखेबाजी के सामने कभी नहीं झुकीं

 

Mhara Hariyana News, Sirsa

चंडीगढ़/सिरसा। अखिल भारतीय कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षा और छत्तीसगढ़ की प्रभारी कुमारी सैलजा 24 सितंबर 2023 61 वर्ष की हो जाएंगी। उनके जन्मदिन पर प्रदेश में अनेक स्थानों पर रक्तदान शिविर से लेकर सामाजिक कार्य उनके समर्थक द्वारा किए जाएंगें। कुमारी सैलजा सिरसा के चार बार सांसद व केंद्रीय मंत्री रहे चौ. दलबीर सिंह की छोटी बेटी हैं। अंग्रेजी साहित्य में पंजाब यूनिवर्सिटी से एमफिल तक शिक्षा ग्रहण करने वाली कुमारी सैलजा हिसार जिला के गांव प्रभुवाला से संबंधित हैं। 24 सितंबर 1962 को उनका जन्म हुआ तथा वे 1991 में सांसद बनने वाली सबसे छोटी आयु की सांसद व दो जुलाई 1992 को केंद्रीय उप शिक्षा मंत्री सबसे कम आयु में बनी।

हरियाणा में जब उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था तब पूरे हरियाणा में उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी। कुमारी सैलजा आज प्रदेश कांग्रेस जनों को साथ लेकर प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने में जोर-शोर से जुटी हुई हैं। अपने पिता के देहांत के बाद 1988 में मात्र 26 वर्ष की आयु में राजनीति में आई कुमारी सैलजा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा तथा लगभग 34 वर्षों के राजनीतिक जीवन में उन्होंने कभी भी अपने आप को दिग्गज कहने वाले नेताओं की अड़ंगेबाजी व धोखेबाजी के सामने नहीं झुकीं। इसी कारण वे 34 वर्षों के राजनीतिक जीवन में लगभग साढ़े 13 वर्षों तक केंद्रीय मंत्री, 24 वर्षों तक सांसद रही। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद का भी संभाला। 1991 व 1996 में कुमारी सैलजा दो बार सिरसा संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुई, मगर राजनीतिक कारणों से उन्होंने अंबाला संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा तथा दो बार 2004 व 2009 में इस क्षेत्र का भी प्रतिनिधित्व किया। 2014 में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में भेजा तथा 2020 तक राज्यसभा की सदस्य रहीं। इस बीच कुमारी सैलजा 2004 से 2018 तक लगभग साढ़े नौ वर्ष केंद्रीय राज्य मंत्री व बाद में कैबिनेट मंत्री रहीं। 2019 के चुनाव से पहले उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया।

कुमारी सैलजा की शख्यिसत किस तरह एक कर्मयोगी है वह इससे दर्शाता है कि मात्र 29 वर्ष की आयु में सांसद बनने के बाद 1991 व 1996 के बीच सिरसा संसदीय क्षेत्र में उन्होंने विकास कार्यों को प्राथमिकता देते हुए हर क्षेत्र का विकास करवाने की कोशिश की। जिस कारण 1996 में प्रदेश में कांग्रेस के विपरीत लहर होने के बावजूद वे पुन: सिरसा संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुईं। दिलचस्प बात यह है कि 1996 में लोकसभा व विधानसभा का चुनाव एक साथ हुआ। जहां कुमारी सैलजा ने अपना चुनाव 15147 मतों से जीता वहीं सिरसा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी 9 विधानसभा क्षेत्रों से कांग्रेस के उम्मीदवार बुरी तरह पराजित हुए जिनमें से चार की जमानत जब्त हो गई। सिरसा लोकसभा क्षेत्र के लोगों ने उन्हें काम के नाम पर वोट दिए इससे बड़ा प्रमाण कोई नहीं मिल सकता।

हरियाणा की राजनीति में बड़ा दलित चेहरा

कुमारी सैलजा राष्ट्रीय राजनीति में अपनी अलग ही पहचान रखती है, राजनीति में जहां पर कदम रखा एक छत्र राज किया, कांगे्रस में जो भी जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई उसका ईमानदारी से पालन किया, वे राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की प्रभारी रही और आज छत्तीसगढ़ की प्रभारी है। पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव है। प्रदेश की राजनीति में आज वो सबसे बड़ा चेहरा है। कांगे्रस में आज उनका कद इतना बड़ा है कि उन्हेंं मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है और जब से उन्होंने विधानसभा चुनाव लडऩे की इच्छा जताई है तब से कांगे्रस में हलचल पैदा हो गई है और कई दावेदारों की नींद तक उड़ गई है।

इस बार बदले हुए है तेवर

राजनीति में उच्च मुकाम तक पहुंचने के बावजूद सदा शांत स्वभाव वाली सैलजा के तेवर इस बारे बदले बदले से है। उनके तेवर आज तल्ख है यानि आक्रामक है, अपने विरोधी का आज वे उसी की भाषा में जवाब देती है पहले उनकी चुप्पी को विरोधी उनकी कमजोरी मान लेते थे। इस बार इस आक्रामकता के साथ प्रदेश की राजनीति में मजबूती से कदम रखा है देशवाली बेल्ट में खलबली बची हुई है। पार्टी हाईकमान तक उनकी आवाज गूंजती है। आज हाईकमान उनकी बात को अनदेखा नहीं कर सकता।

सिरसा के विकास को दी एक नई दिशा

यहां यह उल्लेखनीय है कि कुमारी सैलजा ने सिरसा लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए अनेक बड़े कार्य करवाए जिनमें 1994 में सिरसा को बड़ी रेलवे लाइन से जोडऩा सबसे महत्वपूर्ण रहा। उस समय जहां देश के अधिकांश भागों में बड़ी रेलवे लाइन पहुंच चुकी थी मगर 1884 में रेलवे से जुड़ा सिरसा छोटी लाइन के कारण पूरे देश से कटा हुआ था। कुमारी सैलजा के प्रयासों से बठिंडा, सिरसा, हिसार, भिवानी, रेवाड़ी सेक्शन को मीटरगेज से ब्रॉडगेज किया गया। जिस कारण आज सिरसा रेलवे के मानचित्र पर पूरे देश से जुड़ा हुआ है। दो जुलाई 1992 को कुमारी सैलजा केंद्र में सबसे कम आयु की केंद्रीय उप मंत्री बनी तथा उन्हें शिक्षा विभाग सौंपा गया। जिसके बाद उनके प्रयासों से सिरसा में 11 दिसंबर 1992 को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का क्षेत्रीय केंद्र खोलने की घोषणा की जो फूलकां में स्थापित किया गया। हालांकि राजनीतिक कारणों से उस समय के मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल में उस क्षेत्रीय केंद्र को आरंभ नहीं होने दिया। मगर केंद्र सरकार की मदद से 5 फरवरी 1996 को क्षेत्रीय केंद्र का निर्माण आरंभ हुआ तथा बाद में यही क्षेत्रीय केंद्र चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। उस समय उप शिक्षा मंत्री मानव संसाधन विभाग के अंतर्गत होता था तथा संस्कृति विभाग भी कुमारी सैलजा के पास था।

पिता के नक् शे कदम पर चलते हुए क्षेत्र के विकास को दी प्राथमिकता

कुमारी सैलजा ने खेल विभाग की मदद से 5 जून 1993 को सिरसा की अनाज मंडी के साथ चौ. दलबीर सिंह इंडोर स्टेडियम का शिलान्यास किया जिसका 1996 में उद्घाटन हुआ। लगभग 25 वर्ष पूर्व बना यह इंडोर स्टेडियम आज भी हरियाणा के बड़े इंडोर स्टेडियम में शामिल है। इतना ही नहीं कुमारी सैलजा ने श्री जीवननगर में हॉकी स्टेडियम, सिरसा के सीएमके महाविद्यालय में एक एडिटोरियम के निर्माण के लिए केंद्र सरकार से धनराशि उपलब्ध करवाई। यह एडिटोरियम भी हरियाणा के महाविद्यालय में बने सबसे बड़े एडिटोरिय में शामिल है। यही नहीं उन्होंने अपने कार्यकाल में सिरसा में श्रमिक विद्यापीठ जो आज के स्किल इंडिया का देश के कुछ चुनिंदा जिलों में अकुशल मजदूरों को कुशल बनाने के लिए स्थापित किया।

 इसके अतिरिक्त कुमारी सैलजा ने सिरसा की सांसद व केंद्रीय उप शिक्षा मंत्री रहते हुए 1994 में सिरसा में केंद्रीय विद्यालय नंबर 2 की स्थापना करने के आदेश किए। सिरसा उस समय हरियाणा का पहला जिला था जहां एक साथ दो केंद्रीय विद्यालय खुले। एक विद्यालय वायुसेना के अंदर था तथा दूसरा सिरसा की कंगनपुर रोड पर केंद्रीय विद्यालय नंबर 2 स्थापित किया गया। 23 दिसंबर 1995 को सिरसा जिला के डबवाली नगर में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी। एक बड़े अग्निकांड में 442 से अधिक लोगों की मौत हो गई। उसी दिन कुमारी सैलजा बीएसएफ के विमान से सिरसा पहुंची व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से विशेष आग्रह करके उन्हें डबवाली आने का न्यौता दिया। जिसके बाद डबवाली अग्निकांड पीडि़तों के लिए अनेक घोषणाएं की गई। जिसके अंतर्गत न केवल केंद्र सरकार व राजीव गांधी फाउंडेशन से केंद्र की स्थापना की गई।

सरकारी कोष से नहीं जनसहयोग से भी करवाए सिरसा में अनेक विकास कार्य

कुमारी सैलजा ने 1992 और 1996 के बीच अनेक कार्य किए जिनमें से कुछ कार्य आगे की सरकारों व ब्यूरोक्रेसी की लापरवाही के कारण बंद पड़े हैं। इनमें से सिरसा के बालभवन में बना विज्ञान केंद्र व स्व. लीलाधर दुखी स्मारक शामिल हैं। कुमारी सैलजा ने साइंस सेंटर नई दिल्ली के सहयोग से बच्चों को खेल-खेल में शिक्षित करने के लिए सिरसा के बालभवन में हरियाणा का पहला साइंस सेंटर बनवाया। इसके अतिरिक्त बाल भवन को बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बनवाने क लिए टॉय ट्रेन व भारतीय वायुसेना के सहयोग एक मिग-21 विमान सिरसा के बालभवन में स्थापित किया। जब सिरसा के साहित्यकार लीलाधर दुखी का निधन हो गया तो उन द्वारा किए गए पुरातत्व महत्व की वस्तुओं के संग्रह के लिए बालभवन की प्रथम मंजिल पर वर्ष 1997 में अपने सांसद कोटे से एक संग्रहालय का निर्माण किया गया। जिसमें सरस्वती नदी से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया। कुमारी सैलजा न केवल प्रदेश में स्वच्छ राजनीति का प्रतीक हैं जबकि उन्हें जब भी मौका मिला उन्होंने आम जन-जन तक आवश्यक सुविधाएं पहुंचाने की कोशिश की। उन्होंने न केवल सरकारी कोष से बल्कि जनसहयोग से भी अनेक कार्य सिरसा में करवाए। जिनमें से सिरसा में विशेष बच्चों के विद्यालय से लेकर वृद्धाश्रम की स्थापना शामिल है। आज उनके इन्हीं कार्यों के कारण सिरसा के लोग 34 वर्षों से कुमारी सैलजा को अपना नेता मानते हैं।