सिख संगत ने फूंका हरियाणा गुरुद्वारा कमेटी के नवनियुक्त प्रधान महंत कर्मजीत का पुतला
 

ऐतिहासिक गुरुद्वारों को सरकारी कमेटी व आरएसएस के महंतो से आजाद करवाने के लिए सौंपा ज्ञापन
 
 
हरियाणा के गुरुधामों के चुनाव करवाने की रखी मांग
 

Mhara Hariyana News, Sirsa,सिरसा। हरियाणा सरकार द्वारा बिना चुनाव करवाए गठित की गई हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक (सरकारी) कमेटी के खिलाफ  अब तक सोशल मीडिया पर आवाजें उठती रही। कमेटी के नवनियुक्त प्रधान महंत कर्मजीत सिंह के किसान आंदोलन में गुरुधामों द्वारा लगाए गए लंगरों पर विवादित बयान के बाद हरियाणा की सिक्ख संगत व किसानों का विरोध सड़कों पर भी देखने मिला। बुधवार को सिरसा के गुरुद्वारा साहिब पातशाही दसवीं में बड़ी संख्या में सिक्ख समर्थक और किसान इक_े हुए। जिन्होंने गुरुद्वारा साहिब से चलकर बाजारों से होते हुए लालबत्ती चौक पर जाकर हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सरकारी प्रधान महंत कर्मजीत का पुतला फूंका और राज्यपाल हरियाणा के नाम ज्ञापन सौंपा।

भारतीय किसान एकता बीकेई अध्यक्ष लखविंद्र सिंह औलख ने बताया कि एसजीपीसी से हरियाणा के गुरुधामों के अलग होने के बाद माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिबानों के प्रबन्धन का जिम्मा हरियाणा की साध संगत को दिया थाए जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के जरीए कमेटी गठित करने का फैसला सुनाया था। परन्तु हरियाणा की बीजेपी सरकार ने पुलिस फोर्स के दम पर बिना चुनाव करवाए अपने समर्थकों के हाथों में गुरुधामों का प्रबंधन सौंप दिया। जिसका प्रधान महन्त कर्मजीत को बनाया गया, इसे इसलिए बनाया गया है के ये आरएसएस सरकार के कहने पर काम करें।

औलख ने कहा हमे गुटों से सिख कौम को आजाद करवाना है, एक गुट से अलग हरियाणा के गुरुधामों के अलग होने बाद हरियाणा की सिक्ख संगत को थोड़ी खुशी मिली थी, जिसे अब बीजेपी, आरएसएस की नजर लग गई। राज्यपाल के नाम दिए गए ज्ञापन में सिक्ख समाज और किसान जत्थेबंदी द्वारा हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को सिक्ख विरोधी महंतो से आजाद करवाकर चुनाव करवाए जाने की मांग रखी, जिससे की सिक्ख संगत अपने मत के अनुसार अपने प्रधान चुन सकें।

मीडिया से बातचीत करते हुए लखविंद्र सिंह ने कहा कि आजादी से पहले सिक्ख गुरुधामों को जिन अंग्रेजों के एजेंट सिक्ख विरोधी महंतो से हमारे बुजुर्गों ने बड़े संघर्ष करने के बाद आजाद करवाया था। वही महंत अब बीजेपी सरकार के सहारे फिर से गुरुधामों पर कब्जा करने लगे हैं। औलख ने कहा कि आज तक देश भर में कहीं भी लंगर की जरुरत पड़ी है तो गुरुद्वारा साहिबानों से बिना किसी भेदभाव के वहीं लंगर पहुंचता रहा है और अब सरकारी कमेटी बनने के कुछ समय के अंदर ही इसके दुष्प्रभाव सामने आने लगे हैं। हाल ही में चंडीगढ़ में सरपंचों के लिए गुरुद्वारा साहिब से लंगर भेजने से इनकार करना इसका ताजा उदाहरण है। औलख ने बताया कि सिक्ख समाज की सेवा और मर्यादा पूरी दुनियां में किसी से छुपी नहीं है। इसलिए हरियाणा की सिक्ख संगत और किसान गुरुधामों पर सरकार और सिक्ख विरोधी महंतो का कब्जा कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे।