आज ही के दिन बना था सिरसा जिला, 48 सालों में देखे अनेक उतार चढ़ाव
Mhara Hariyana News, Sirsa, आज सिरसा का जन्मदिन है यानि आज ही के दिन सिरसा जिला बना था। कभी संयुक्त पंजाब में तो कभी हिसार जिले का हिस्सा रहे सिरसा जिले ने करीब 48 साल के अपने सफर में अपनी अलग पहचान बनाई है। बेशक आज भी यह जिला उद्योग, चिकित्सा जैसी सुविधाओं को तरस रहा है इसके बावजूद राजनीति में इस जिले का कोई सानी नहीं हैं। यहां चौ. देवीलाल जैसे दिग्गज नेताओं ने जन्म लिया जिन्होंने राष्ट्रीय नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय पटल पर गौरवांवित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, सोनिया गांधी सरीखे राजनेता भी सिरसा आ चुके हैं।
वर्तमान में सिरसा के चारों तरफ सड़कों का जाल फैला है लेकिन इसके बावजूद उद्योग धंधे नहीं है। युवाओं को रोजगार के लिए दूसरे जिलों व राज्यों में जाना पड़ता है। सिरसा शहर के विकास की बात करें तो यहां करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद शहर में सीवरेज व्यवस्था अभी भी वर्षाें पुरानी है और बरसाती सीजन में हर साल सिरसा दरियाव सा बन जाता है।
सिरसा जिले के अनेक राजनीतिज्ञ प्रदेश में अपनी अलग पहचान रखते हैं साथ ही आसपास के राज्यों में भी इनका दबदबा है। हरियाणा व पंजाब की सीमा पर बसा सिरसा जिला इन दिनों नशे के जाल में जकड़ा हुआ है। यहां हेरोइन जैसा घातक नशा घर घर तक पहुंच गया है। नशे की चपेट में आने के कारण युवा कम उम्र में ही मौत का ग्रास बन रहे हैं। बेशक सरकार नशे पर अंकुश लगाने के दावे कर रही है परंतु यह अपर्याप्त है।
गौरवपूर्ण रहा है इतिहास
सिरसा नगर का इतिहास प्राचीन एवं गौरवपूर्ण है। सिरसा का प्राचीन नाम सिरशुति व कुछ स्थानों पर शिरीषका लिखा पाया जाता है। पाणिनी की अष्टाध्यायी में भी शीरीषका का वर्णन है। सन 1330 में मुलतान से चल कर दिल्ली आए प्रसिद्ध अरबी यात्री इब्नबतूतता ने भी सिरसुति नगर में पड़ाव करने का वर्णन किया है। उसने सिरसा में एक सूबेदार के होने का जिक्र किया है। धीरे-धीरे इसका नाम सिरसा प्रचलित हो गया। सिरसा का प्राचीन नाम/उपनाम वन नगरी, सारस नगरी और संतो की नगरी के नाम भी जाना जाता था। वर्तमान में क्षेत्रफल के मामले में सिरसा हरियाणा का सबसे बड़ा जिला भी बन गया है।
आध्यात्मिकता से अटूट संबंध है
सिरसा का आध्यात्मिकता से अटूट संबंध है। अनेक संत-फकीरों की यह धरती चहुंओर से आध्यात्मिकता का शीतल प्रवाह समेटे हैं। हजारों साल पहले अपने वनवास काल के समय पांचों पांडवों में से नकुल व सहदेव ने यहां वनवास काटा था। डेरा बाबा सरसाई नाथ, डेरा सच्चा सौदा, राधा स्वामी सत्संग भवन, बाबा तारा कुटिया, बाबा बिहारी इत्यादि अनेक संतों के सानिध्य का सौभाग्य सिरसा को मिला है।