जैन संत सुदर्शन मुनि के जीवन पर आधारित सच्ची कहानी है द राइज ऑफ़ सुदर्शन चक्र: संदीप जैन 

फिल्म देखेने के लिए उमड़ी भीड़, छह दिन तक रहे हाऊस फुल 

 

Mhara Hariyana News, Sirsa
Sirsa: संघ शास्ता गुरुदेव सुदर्शन मुनि जी महाराज के जीवन पर आधारित फिल्म द राइज ऑफ सुदर्शन च्रक जैन संत जय मुनि द्वारा लिखित पुस्तक सुर्यउदय से सुर्यअस्त तक पर आधारित है जिसे देखने के लिए जैन समाज के लोगों मेंं होड़ लगी रही और सिनेमाघरों मेंं भीड़ उमड़ पड़ी।

22 सितंबर 2023 को देश के प्रमुख शहरोंं मेंं रिलीज हुई फिल्म बीती 30 सितंबर को सिरसा के सिने केरा सिनेमा में दिखाई गई।  फिल्म को देखने के लिए जैन समाज व समाज से जुड़े लोगोंं मेंंं खुशी की लहर थी।

सिरसा के ऋषभ जैन लीगा, चन्द्रयश जैन, संदीप भांभू, भूषण जैन, सुभाष जैन, संदीप नाहटा व डब्बू जैन सहित अनेक लोगोंं ने संयुक्त रूप से बताया कि फिल्म संघ शास्ता सुदर्शन मुनि जी केजीवन पर आधारित है। जिसे देखने के लिए सिरसा, रानियां, ओढां, कालांवाली के जैन समाज के लोगोंं ने देखा और खूब सराहना की।

कालांवाली जैन समाज के प्रधान संदीप जैन ने बताया कि समाज को आईना देने के लिए ऐसी फिल्मेंं बननी चाहिए और जैन संतोंं के जीवन पर आधारित फिल्म को देखना चाहिए ताकि लोगोंं को ऐसे महान पुरुषोंं के जीवन से जुड़ी जानकारी हासिल हो सके। उन्होंंने कहा कि ऐसी फिल्मोंं से हमेंं जैन संस्कारोंं के बारे मेंं पता चलता है वहीं हमेंं जीवन मेंं विनय व दया भाव प्रेरणा मिलती है साथ ही फिल्म जीवन जीने की कला भी सिखाती है।   फिल्म देखने वाले लोगोंं ने बताया कि द राइज ऑफ सुदर्शन च्रक एक ऐसे सच्चे ईश्वर को दर्शाती है जो साधारण अग्रवाल परिवार में हरियाणा के एक छोटी से शहर रोहतक में 1923 में जन्म, व उनके चार वर्ष के होते ही उनकी माता का चले जाने के बाद उनके लालन पालन की प्रमुख जिम्मेदारी बाबा ने निभाई और एक दिन बाबा जग्गू मल भी घर छोड़कर संयासी बन गए।

ईश्वर केखास दोस्त द्वारा एक साथ जैन दीक्षा अंगीकर करने की बात की लेकिन जवानी में बचपन का जिगरी दोस्त भी एक नहर मेंं पांच फिसलने से दुर्घटना में गुजर जाना । जिसके बाद ईश्वर अपने पिता चंदगी राम से आज्ञा लेकर अपने बाबा के पास चले जाते है और गुरु मदन लाल व बहुसुत्री नत्थू राम के चरणोंं मेंं वैरागी के रूप मेंं रहते हैं। माता तथा दोस्त के वियोगों के बाद अपने मजबूत संकल्प और और निश्चय से ईश्वर जैन दीक्षा ग्रहण कर सुदर्शन मुनि बन जाते हैं। एक ऐसे संत बने जो पूरे जीवन नंगे पैर पैदल ही चले, न ही घर था, ना परिवार। परिवार के चचेरे भाई ने पदम ने भी दीक्षा ग्रहण की। अपने जीवन काल मेंं अपने गुरुओंं की सेवा की तथा दीन दुखीयोंं के दुख: को सुना। ऐसे संत जिनकी एक झलक पाने के लिए, एक आवाज सुनने के लिए लाखों भक्त इंतजार करते थे । उन्होंंने अपना जीवन तो महान बनाया ही साथ में लोगों को भी दुखों के दलदल से निकलने का रास्ता दिखाया।

दर्शकोंं ने बताया कि फिल्म मेंं दर्शाया की बचपन से ही साधारण प्रतिभा और याददाश्त धनी मुनि सुदर्शन ने अपनी सेवा और विनय से सबका दिल जीत लिया, उन्होंंने बचपन मेंं ही 11 भाषाएं सीख ली, अनेकों ग्रंथोंं की जानकारी हासिल की, दसंवी कक्षा के बाद इक्रोमिक्स सिख ली। जो भी चाहे संत हो या साधारण व्यक्ति उनके संपर्क मेंं आने के बाद उनका दीवाने भक्त बन जाता। उन्होंने अपना ध्यान केवल साधना गुरु सेवा और समाज सेवा पर केंद्रित रखा। उन्होंने साधुत्व के बड़े-बड़े पदो की पेशकश भी ठुकरा दी। उन्होंंने अपने गुरुजी के देवलोक हो जाने केबाद गुरु व समाज के आग्रह पर ही आचार्य पद/संघ शास्ता पद की जिम्मेवारी लेकर समाज सेवक की भूमिका निभाई। उन्होंंने अपने जीवनकाल में स्वयं को नाम और सम्मान की इच्छा से दूर रखा। वहीं उनकेशिष्य बताते है कि उन्होंंने अपने साधु जीवनकाल में ना कोई अपनी फोटो लेने दी और ना ही वीडियो बनाने दी और सोशल मीडिया से भी दूरी बनाए रखी। जैन एकता मंच के जिला महामंत्री नरेश जैन एडवोकेट ने बताया कि सुदर्शन मुनि जी के जीवन पर आधारित बनाई फिल्म द राइज आफ सुदर्शन चक्र  को जन जन तक पहुंचने के लिए निर्देशक अनिल कुलचेनिया ने बहुत ही अच्छे ढंग से प्रदर्शित किया है जिसे हर उम्र के लोग देख सकतें है और यह एक पारिवारिक फिल्म है। फिल्म को संगीत बहुत बढिय़ा है। फिल्म केकलाकार जिसमेंं यशपाल शर्मा,प्रीति झगियांनी, विजय टंडन, विवेक आंनद ने बहुत ही बढिय़ा तरीके से प्रदर्शन किया है जिसे हर किसी ने सराहा है। फिल्म से बच्चों के चरित्र निर्माण अहम योगदान रहेगा। उन्होंंने बताया कि मंडी डबवाली, सरदूलगढ़ तथा सिरसा में हाऊस फुल रहे और समाज के लोगोंं ने फिल्म के कलाकारोंं की खूब सराहना की। वहीं आज से बठिण्डा के फन सिनेमा मेंं दिखाई जायेगी।