हमें मनुष्य जीवन बड़े भाग्य से मिला है: आचार्य स्वामी रामाचार्य महाराज
 

बिश्रोई मन्दिर में जाम्भाणी हरिकथा का शुभारम्भ

 

Mhara Hariyana News, Sirsa
सिरसा। स्थानीय श्री गुरु जम्मेश्वर मन्दिर, सिरसा के प्रांगण में सभा व धर्मशाला के 49वें स्थापना दिवस समारोह के उपलक्ष्य में साप्ताहिक कार्यक्रम के प्रथम दिन जैसला-जोधपुर (राजस्थान) से पधारे आचार्य स्वामी रामाचार्य महाराज ने कथा व प्रवचनों के माध्यम से सत्संग व कथा की महिमा विस्तार से बताई। उन्होंने बताया कि कलियुग में केवल विष्णु जप से ही भवसागर से पार हो सकते हैं, हमें मनुष्य जीवन बड़े भाग्य से मिला है तथा इसी में ही हरि सुमिरन का अवसर मिलता है। उन्होंने मनुष्य व देवता जीवन की तुलना लोहे व चांदी धातुओं से करते हुए स्पष्ट किया कि पारस मणि की संगति से लोहा तो सोना बन जाता है, परन्तु चांदी, चांदी ही रहती है।

इस लिए देवता लोग भी मनुष्य योनी के लिए लालायित रहते हैं, कि हम परमात्मा भक्ति द्वारा परम धाम को प्राप्त कर सकें। आचार्य स्वामी ने शब्द की व्याख्या भी बड़े विस्तार से की तथा कहा कि शब्दों की बड़ी महिमा है, तथा शब्द कभी नष्ट नहीं होते, हम क्या शब्द बोलते हंै, वे ही सम्बन्ध सुधार सकते हैं तथा शब्द ही सुधरे सम्बन्ध को बिगाड़ सकते हैं। अत: शब्द सोच समझ कर बोलें। स्वामी रामाचार्य के साथ गीत-संगीत कलाकारों ने साखी व भजनों के माध्यम से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इस से पहले आचार्य स्वामी के मन्दिर आगमन पर बिश्रोई सभा, सिरसा के प्रधान खेम चन्द बैनीवाल, सचिव ओपी बिश्नोई, संस्थान से देश कमल बिश्रोई व अन्य समाज के प्रमुख गणमान्य जनों ने उसका स्वागत किया। आचार्य स्वामी रामाचार्य ने संस्थापक सभा प्रधान स्व. हेत राम बैनीवाल की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया व मन्दिर में धोक लगाई। सभा के प्रचार सचिव मनीराम सहारण ने बताया कि यह कथा प्रति दिन दोपहर 1 से 4 बजे तक 12 सितम्बर तक होगी। 12 सितम्बर को राजि जागरण व 13 सितम्बर को प्रात: हवन यज्ञ व पाहल तथा सभा की आम बैठक व मुख्य समारोह होगा। उन्होंने बताया कि सभा के 49वें स्थापना दिवस पर इस प्रकार की 29वीं जांभाणी हरि कथा थी तथा संयोग से गिनती बिश्नोई पंथ के 29 नियमों से मेल खाती है। इस अवसर पर सभा कोषाध्यक्ष राजकुमार बैनीवाल सहसचिव भूपसिंह कस्वां, जगतपाल कड़वासरा, संचालन समिति से हनुमान गोदारा, सुशील बैनीवाल, हवा सिंह बैनीवाल, सुशील बैनीवाल पंजुआना, कृष्ण लाल बैनीवाल, राय साहब बैनीवाल, शिवकुमार, जगदीश तरड़, सेवक दल सदस्य सहित आसपास के गांवों से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु कथा श्रवण के लिए पहुंचे।