Video: हम किसी को नहीं, हनुमान जी सबको बुलाते हैंवो किसी के नौकर नहीं- बाबा के अनमोल वचन

Video: We do not call anyone, Hanuman ji calls everyone, he is not a servant of anyone - precious words of Baba

 


देश के साथ ही दुनिया भर में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बागेश्वर धाम की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है. यहां के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को भक्त देश के कौने-कौने से सुनने के लिए आते है. फिलहाल धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री काफी सुर्खियों में बने हुए हैं. इन दिनों वो छत्तीसगढ़ के गुढ़ियारी में कथावाचन करने पहुंचे हुए हैं. इस दौरान अपने एक बयान के बाद वो एक बार फिर वो चर्चाओं में आ गए हैं. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि ‘हनुमान का प्रचार करना अपराध नहीं, हम सच्चे सनातनी हैं, हम हिंदू शेर हैं भगौड़े नहीं है, हम ललकार का काम करते हैं, क्योंकि हम हनुमान जी का चेला हैं’


धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हम अंधविश्वास नहीं फैलाते, हम किसी को ये नहीं कहते कि हम ठीक कर देंगे. ना ही हम किसी को दरबार में बुलाते हैं हनुमान जी ही सब को बुलाते हैं वो ही सबको ठीक करते हैं. हम तो सिर्फ माध्यम हैं, हमे अपने ईष्ट पर भरोसा है, हनुमान जी हमारे नौकर नहीं है हम उनके चाकर हैं.


‘हाथी चले बाजार, कुत्ता भौंके हजार’
वहीं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर नागपुर से कथा छोड़कर भागने का आरोप लग रहा है. जिस पर उन्होंने पलटवार करते हुए कहा है कि, ‘हाथी चले बाजार, कुत्ता भौंके हजार.’ धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने आगे कहा कि ‘हम सालों से बोल रहे हैं कि न हम कोई चमत्कारी हैं, न हम कोई गुरू हैं. हम बागेश्वरधाम सरकार बालाजी के सेवक हैं.’


ये है पूरा मामला
गौरतलब है कि बागेश्वर धाम दुनिया भर में चर्चित है. यहां के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री देशभर में श्रीराम कथा के साथ अपना दिव्य चमत्कारी दरबार लगाते हैं. ऐसी ही एक ‘श्रीराम चरित्र-चर्चा’ महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित हुई. इसी दौरान अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर जादू-टोने और अंधश्रद्धा फैलाने का आरोप लगाया. समिति के अध्यक्ष श्याम मानव ने कहा, ‘दिव्य दरबार’ और ‘प्रेत दरबार’ की आड़ में जादू-टोना को बढ़ावा दिया जा रहा है. साथ ही देव-धर्म के नाम पर आम लोगों को लूटने, धोखाधड़ी और शोषण भी किया जा रहा है.’ समिति ने पुलिस से महाराज पर कार्रवाई करने की मांग भी की थी. वहीं ये भी कहा गया कि 11 जनवरी को यह कथा संपन्न हो गई, जबकि इसकी अंतिम तिथि 13 जनवरी थी.