अडाणी की हाइफा पोर्ट डील:इजराइली PM नेतन्याहू बोले- यह मील का पत्थर साबित होगी; इजराइल की कंपनी भी शामिल

नेतन्याहू ने कहा- यह मील का पत्थर साबित होगी। इससे भारत और इजराइल के बीच कनेक्टिविटी बेहतरीन हो जाएगी।
 

Mhara Hariyana News, हाइफा। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भारत के अडाणी ग्रुप के साथ हाइफा पोर्ट डील की खुलकर तारीफ की। नेतन्याहू ने कहा- यह मील का पत्थर साबित होगी। इससे भारत और इजराइल के बीच कनेक्टिविटी बेहतरीन हो जाएगी। हाइफा इजराइल का दूसरा सबसे बड़ा पोर्ट है। यहां शिपिंग कंटेनर्स और टूरिस्ट क्रूज शिप आते हैं।

भारतीय कारोबारी गौतम अडाणी की कंपनी अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन ने इजराइल के गडोट ग्रुप के साथ मिलकर नीलामी में यह डील हासिल की। 70% हिस्सा अडाणी और 30% शेयर गडोट ग्रुप का है। कुल डील करीब 118 करोड़ डॉलर (इंडियन करेंसी में करीब 9422 करोड़ रुपए) की है।

नेतन्याहू ने क्या कहा
मंगलवार को हाइफा में इस डील को साइन किया गया। इस मौके पर नेतन्याहू के साथ गौतम अडाणी भी मौजूद थे। इजराइली प्रधानमंत्री ने कहा- फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के दौरान यानी करीब 100 साल पहले हाइफा को आजाद कराने में भारतीय सैनिकों ने अहम रोल प्ले किया था। आज एक इंडियन इन्वेस्टर इस पोर्ट को नए आयाम देने जा रहा है। यह मील का पत्थर साबित होने वाला है। मैंने अपने दोस्त और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने की मांग की है। नेतन्याहू ने आगे कहा- यहां से हम सीधे यूरोप पहुंच सकेंगे। इसके लिए अरब सागर की तरफ नहीं जाना होगा।

डील से क्या फायदा

यह डील 2054 तक के लिए है। इतिहास की बात करें तो फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के दौरान 1918 में भारतीय सैनिकों ने ब्रिटेन की तरफ से लड़ते हुए तुर्की के ऑटोमन एम्पायर को हराने में मदद की थी। तब उन्होंने हाइफा शहर और इस पोर्ट को हासिल किया था।
2018 में पहली बार इजराइल सरकार ने इस पोर्ट को प्राईवेट सेक्टर के हवाले करने का फैसला किया था। दरअसल, उसका सोच यह था कि ऐसा करने से इन्वेस्टमेंट आएगा और सरकार के खजाने में खासा इजाफा होगा। इसके अलावा शिपिंग और टांसपोर्टेशन टेक्नोलॉजी को और बेहतर किया जा सकेगा। सबसे बड़ा फायदा तो कनेक्टिविटी का है।
बहरहाल, डील फाइनल होने में पांच साल का लंबा वक्त लगा। इसकी एक वजह तो इजराइल में लगातार बदलती सरकारें भी रहीं। हां, ये जरूर है कि इस दौर में जितनी भी सरकारें आईं, उन सभी ने आर्थिक सुधारों के मामले में कदम पीछे नहीं खींचे।
इतिहास से सीख
एक इजराइली डिप्लोमैट ने डील के बाद कहा- इतिहास बहुत कुछ सिखाता है और यह डील वास्तव में उसी का नतीजा है। एक वक्त था जब भारत पहुंचने के लिए मिडिल ईस्ट और यूरोप से होकर जाना पड़ता था। ब्रिटेन ने इसका बहुत फायदा उठाया, क्योंकि ये उनके हित में था। अब बारी भारत की है, उसकी इकोनॉमी जबरदस्त तेजी से आगे बढ़ रही है। लिहाजा, यह डील भारत के लिए एक ऐतिहासिक जीत के तौर पर भी देखी जानी चाहिए। अब भारत यहां से सीधे यूरोप तक पहुंच बनाएगा।