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धड़ाधड़ बिक रहे ट्रैक्टर, मार्च तक 9 लाख पार हो सकता है आंकड़ा, ये है वजह

Tractors are being sold in full swing, figure may cross 9 lakh by March, this is the reason
 
धड़ाधड़ बिक रहे ट्रैक्टर, मार्च तक 9 लाख पार हो सकता है आंकड़ा, ये है वजह



करीब दो साल बाद 2022 भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए बढ़िया रहा है. कई नई कारें लॉन्च हुईं, सेल भी अच्छी रही है. पर एक सेगमेंट जिसकी तरफ सबका ध्यान नहीं जाता, वो है ट्रैक्टर की बिक्री (India’s Tractor Sale) . अप्रैल से नवंबर तक के आंकड़े देखें तो भारत में ट्रैक्टर कंपनियों की सेल (Tractor Sales Growth) सालाना आधार पर 9 प्रतिशत बढ़ी है. आखिर इसकी वजह क्या है…


वैसे आपको बता दें कि इस साल अक्टूबर में त्यौहारी मांग आने से पहले ही सितंबर अकेले में ट्रैक्टर की घरेलू मांग में सालाना आधार पर 23 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गई थी.

9 लाख के पार जाएगा आंकड़ा
ईटी की एक खबर के मुताबिक घरेलू बाजार में अप्रैल से नवंबर के बीच 6.78 लाख ट्रैक्टर्स की बिक्री हो चुकी है. वित्त वर्ष 2022-23 यानी मार्च 2023 की समाप्ति तक ये आंकड़ा 9 लाख रुपये के स्तर को पार सकता है. ये देश में पहली बार होगा जब ट्रैक्टर की सेल इतनी ज्यादा होने की उम्मीद है.

वहीं ट्रैक्टर की घरेलू बिक्री में करीब 15 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले ट्रैक्टर्स के निर्यात (Tractor Export from India) को इन अनुमानों में शामिल नहीं किया गया है.

10 साल में दोगुनी हुई ट्रैक्टर की सेल
भारत के घरेलू बाजार में ट्रैक्टर की बिक्री एक दशक में दोगुनी हुई है. अगर हम वित्त वर्ष 2010-11 के आंकड़ों को देखें, तब देश में ट्रैक्टर की बिक्री 4.80 लाख यूनिट थी. वहीं वित्त वर्ष 2020-21 में बढ़कर ये 8.99 लाख यूनिट हो गई. ये आंकड़े दिखाते हैं कि देश में किसानों के बीच समृद्धि आ रही है, वहीं आधुनिक तरीके से खेती करना भी बढ़ा है.

कोविड का सेल पर असर नहीं
इतना ही नहीं ट्रैक्टर की बिक्री के आंकड़ो से ये भी पता चलता है कि कोविड जैसी महामारी का भी इन पर कोई असर नहीं पड़ा है. इसकी एक वजह ये भी रही कि कोविड की वजह से खेती-किसानी से होने वाली आय पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा.

बैल पालना, हाथी पालने जैसा
खैर ट्रैक्टर की बिक्री बढ़ने की एक बड़ी वजह देश में बैल पालना लगातार महंगा होना भी है. ईटी ने किसानों के हवाले से लिखा है कि आजकल बैल पालना-हाथी पालने जैसा है. बैल की एक जोड़ी 40,000 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक की पड़ती है. उसके बाद सालभर उनके रखरखाव और चारे पर होने वाला खर्च अलग से आता है. आजकल चारा ना तो आसानी से उपलब्ध है और ना ही सस्ता, ऐसे में बैल पालना महंगा होता जा रहा है.

वहीं इस बारे में नीति आयोग के सदस्य और कृषि विशेषज्ञ प्रोफेसर रमेश चंद का कहना है कि खेती के लिए बैलों को साल में आम तौर पर बस 80 दिन उपयोग में लाया जाता है. जबकि उनका पालन-पोषण किसान को सालभर करना होता है. ऐसे में ट्रैक्टर का रखरखाव सस्ता पड़ता है, वहीं इसकी मदद से कई और काम भी लिए जा सकते हैं.