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डीएनए ठीक तो पूरी बॉडी को किया जा सकता है ठीक: पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां

If DNA is correct then the whole body can be done right: Revered Guru Sant Dr. Gurmeet Ram Rahim Singh Ji Insan

 
If DNA is correct then the whole body can be done right: Revered Guru Sant Dr. Gurmeet Ram Rahim Singh Ji Insan
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Mhara Hariyana News:
बरनावा।

अगर डीएनए को ठीक कर लिया जाए तो पूरी बॉडी को ठीक किया जा सकता है, यह आज डॉक्टर भी मानने लगे हैं। लेकिन डीएनए ठीक होगा कैसे? पुरातन समय हमारे डीएनए को ठीक करने की विधियां थी। पुरातन समय में सब कुछ छुपा हुआ है, ऐसी-ऐसी जड़ी बूटियां, ऐसी-ऐसी भेदभरी चीज थी, जिससे पूरे शरीर को ठीक कर दिया जाता था। लेकिन आज इंसान दिलो-दिमाग से हार गया है। उक्त उद्गार पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के जिला बागपत स्थित शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा से आॅनलाइन गुरूकुल से जुड़ी देश के कोने-कोने व विदेशों की साध-संगत को संबोधित करते हुए फरमाए। इस अवसर पर पूज्य गुरू जी ने विनायक ग्रीन सिटी, उज्जैन (मध्य प्रदेश), सोनपुर (ओडिशा), सिंघल मैरिज पैलेस, कैलारस, मुरैना (मध्य प्रदेश), उमा नारायण पैलेस, समस्तीपुर (बिहार), राजकीय प्राथमिक विद्यालय, चंपारण (बिहार), जयसवाल धर्मशाला, रूपनदेही (नेपाल), जमुना लॉन गढ़चिरौली (महाराष्टÑ) और श्रीरापर लौहान महाजन समाजबाड़ी, कच्छ (गुजरात) में भारी तादाद में लोगों के नशे और बुराइयां छुड़वाकर गुरूमंत्र, नाम शब्द की अनमोल दात दी। पूज्य गुरू जी ने आगे फरमाया कि रामायण में यह बताया गया है कि रावण ने अपने वैद की मदद से अपने रियल बच्चों के सैल लेकर समुद्र की तलहटी में एक लाख बच्चे पैदा किए थे। जिससे रावण एक सफल क्लोन ज्ञाता कहलाया था। पूज्य गुरु जी ने आह्वान करते हुए कहा कि इंसान को चंद चीजें सीखकर अहंकार नहीं करना चाहिए। आज भी हमारे वैज्ञानिक बहुत पीछे हैं। पूज्य गुरू जी ने कहा कि ज्ञान की भी बहुत सी लेयर है। इसलिए कौन किस लेयर तक पहुंचता है यह इंसान की शक्ति पर निर्भर है। 


*आदिकाल से मिले खजाने से इंसान अंजान
पूज्य गुरू जी ने रूहानी सत्संग के दौरान फरमाया कि आदिकाल से ऐसे खजाने भगवान ने हमारे लिए दिए हुए हैं, जिससे इंसान अंजान है। धर्मों में खासकर पाक-पवित्र वेदों में पुरातन समय से हमारे लिए बड़ा कुछ दिया हुआ है। अभी तक वैज्ञानिक लगे हुए हैं कि डीएनए को किस प्रकार से ठीक किया जा सके, मगर अभी इस शोध तक वो पहुंच नहीं पाए है। छोटी-छोटी सफलताएं वैज्ञानिकों के हाथ लग रही है। कुछ चीजें ऐसी आ गई हैं, जिससे उन्हें लगता है कि सबकुछ नया है। बैक्टीरिया, वायरस की पहचान हो गई है, जो 12 हजार साल पहले हमारे पाक-पवित्र वेदों में दर्ज है। महाभारत व रामायण काल में बहुत सी जड़ी बूटियों का जिक्र है। हालांकि इस दौरान कुछ लोग ऐसे भी आए जिन्होंने हमारे पुरातन ग्रंथों को मिटाने की कोशिश की। पुरातन ग्रन्थों में लिखा हुआ मिलता है कि ऐसे-ऐसे लेप आते थे, जैसे महाभारत काल में स्नेहलेप हुआ। जिसे शाम को जख्म पर लगाया जाता था और सुबह तक जख्म खत्म हो जाते थे। अगर टूटी हुई हड्डी पर शाम को लगाते थे तो वह सुबह तक जुड़ जाती थी। यह सब बातें आज इंसान को मजाक लगती हैं। लेकिन यह 100 प्रतिशत सच है। ऐसा हमने खुद मेडिटेशन के दौरान अनुभव किया है। 


*जीवाणु बनाने में लगाए वैज्ञानिक अपना दिमाग
पूज्य गुरू जी ने कहा कि जो लेप या डीएनए पुरातन समय में होते थे, वैसे आज भी बन सकते हैं। लेकिन इसके लिए इंसान को रिसर्च करनी होगी। रिसर्च करने वालों को इस साइड में अपना दिमाग लगाना होगा। लेकिन दु:ख की बात है कि इंसान अपना दिमाग विनाश की तरफ लगा रहा है। इंसान अपना दिमाग एटम कैसे बनाए, हाईड्रोजन, अणु, परमाणु, वायरस कैसे बनाए, इनकी तरफ लगा रहा है। जो सब कुछ इंसान के खात्मे के लिए। लेकिन होना यह चाहिए था कि वैज्ञानिकों को अपना दिमाग बीमारियों को खत्म करने के लिए जीवाणु बनाने में करना चाहिए था। जो हमारे पवित्र वेदों में दर्ज है। पूज्य गुरू जी ने कहा कि डीएनए में वो जीवाणु जो मुंह से लिए जा सकते है, उसका एक जगह जिक्र मिलता है, इस पन रिसर्च कर लिया जाए तो यह बहुत फायदेमंद होगा। इससे दिमाग को शक्ति मिल सकती है। अगर डीएनए या डीएनए के सैल में वो शक्ति चली जाए तो दिमाग के साथ पूरे शरीर को ठीक किया जा सकता है। यह सब धर्मों व आयुर्वेदा में लिखा हुआ है। पूज्य गुरू जी ने कहा कि धर्मों को पढ़ने का नजरिया होना चाहिए। क्योंकि हम विज्ञान के स्टूडेंट रहे हैं, नॉन मेडिकल के स्टूडेंट रहे हैं। इसलिए गुरू जी ने हमें उसी भाषा में सिखाया। गुरू जी ने हमें बताया कि आप धर्मों को विज्ञान की भाषा व नजरिए से पढ़ो। जिसमें हमने पाया है कि धर्म महाविज्ञान है और इन धर्मों में बहुत कुछ छुपा है।


*आज पुरातन डीएनए को ठीक करने की बेहद जरूरत
पूज्य गुरू जी ने कहा कि आज के समय में बेहद जरूरत है कि कोई उस पुरातन डीएनए को फिर से ठीक कर दें। तभी ये नशे रूपी दानव का खात्मा होगा, तभी बीमारियों का खात्मा होगा। पूज्य गुरू जी ने कहा कि हैरानी की बात है कि एक ऐसा वैज्ञानिक था, जिसके डीएनए पर 70 प्रतिशत कार्य पूर्ण कर लिया था, लेकिन उसके शोध को दबा दिया गया। क्योंकि उन्हें डर था कहीं अगर डीएनए ही ठीक होने लगा गया तो बहुत से डॉक्टर बेरोजगार हो जाएंगे। बहुत सारी दवाइयों की फैक्ट्रियां बंद हो जाएगी। डीएनए का सुपरस्पेशलिस्ट आने से पूरी दुनिया में एक नई क्रांति आ सकती है। पूज्य गुरू जी ने कहा कि अगर किसी ने डीएनए पर रिसर्च कर रखी या कर रहा है तो हम मालिक से प्रार्थना करते है कि वो अपनी रिसर्च पूरी करें। हम जरूर चाहेंगे ऐसा इंसान जरूर आगे बढ़े। इसके अलावा ऐसे इंसान की डेरा सच्चा सौदा के सेवादार जितनी हो सकेगी, हरसंभव मदद भी जरूर करेंगे। ताकि वो अपनी रिसर्च मुकम्मल करें और डीएनए तक पहुंचे। जब उस डीएनए तक पहुंचोंगे तो पूरे समाज का ही नहीं बल्कि पूरे वर्ल्ड का फायदा होगा। क्योंकि सबसे जरूरी है जो दिमाग को चलाता है, पूरी बॉडी को चलाता है, जो पूरी बॉडी को रिपेयर कर सकता है, वो डीएनए ही है। 
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राम-नाम से आठ गुणा तक बढ़ सकती है डीएनए रिपेयर करने की शक्ति
पूज्य गुरू जी ने कहा कि हमारे धर्मों में बोला गया है कि इंसान को स्वस्थ विचारों के साथ नींद (सोने के लिए जाना चाहिए) लेनी चाहिए। क्योंकि इंसान शांति के साथ, बिना किसी परेशानी, टेंशन के सोता है तो डीएनए चार गुणा अधिक शक्ति के साथ दिमाग को रिपेयर करता है और जल्दी करेगा। वह बॉडी को पूरी स्पोर्ट करेगा। यह साइंस में नहीं बल्कि हमारे पाक-पवित्र वेदों में दर्ज है। अगर इंसान शुद्ध विचारों, टेंशन फ्री होकर तथा राम के नाम का जाप करके सोने जाता है तो यकीन मानिए वो डीएनए की बॉडी रिपेयर करने की पावर 8 गुणा भी हो सकती है। क्योंकि भगवान के नाम का जाप करने से इंसान की अपनी विल पावर जाग उठती है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि धर्मों में लिखा है कि अगर पालक सहित अन्य हरे पत्तेदार सब्जियां लोहे के बर्तन में बनाई जाती है तो इंसान के शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। साथ ही पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आज से पहले भी सांइस हमारे देश में चरम सीमा पर थी। पूरा विश्व यहां सीखने के लिए आता था। आज इंसान ने अपने कर्मों के कारण साइंस को गुम कर दिया है, जिसको इंसान को नहीं करना चाहिए था।

 
*जवानी को अच्छे कामों में लगाए नौजवान
आज इंसान अंहकार, अपनी खुदी व नशे में डूबा हुआ है। पूज्य गुरू जी ने कहा कि नौजवानों की जवानी तो तब काम में आती, जब किसी का नशा छुड़वा देते, किसी के बर्बाद होते घर को आबाद कर देते तो मान लेते की इंसान ने अच्छा काम किया है। लेकिन आज का इंसान समाज को डराने, समाज को भयभीत करने में लगा हुआ है। इस कार्य को हमारे धर्मों में राक्षसों के लिए बताया गया है, लिखा गया है। यह काम इंसान का नहीं हो सकता, यही सच्चाई है। पूज्य गुरू जी ने नौजवानों से आह्वान करते हुए कहा कि अपनी जवानी को अच्छे कामों में लगाएं, लोगों का भला करें, रोड पर खड़े दिव्यांग को उंगली पकड़कर उसे रोड पार करवा दो, यह दान महादान के समान है। रोड पर तड़पते हुए इंसान को उठाकर अस्पताल में ले जाओ और उसका इलाज करवा दो, भूखे को खाना खिला दो, यह अच्छा और सच्चा दान है। इससे इंसान को शांति जरूर मिलेगी। पूज्य गुरु जी ने कहा कि यह कार्य हमने खुद और हमारे करोड़ों बच्चों यानी साध-संगत ने खुद अजमाया है, इसलिए हम बोल रहे है। हमारे धर्मों में कही भी कुछ गलत नहीं लिखा गया है।


*धर्मों में नहीं बने जात-मजहब
पूज्य गुरू जी ने कहा कि धर्मों ने कोई भी जात-मजहब नहीं बनाए गए। नाम पड़ते गए, भाषाएं बदलती गई, आदमी सीखने की ललक में नई-नई भाषाएं बनाता गया और उन भाषाओं में ऐसे संत आते गए, ऐसे रिसर्चकर्ता आते गए, जिन्होंने उस भाषा में कुछ लिख दिया तो वो उस धर्म का नाम हो गया। लेकिन जात-पात कहीं नहीं बनी। पूज्य गुरु जी ने कहा कि कुछ लोग कहते है पवित्र वेदों में जात-पात, ऊंच-चीत बनाई गई है, लेकिन धर्मों में ऐसा कुछ नहीं बनाया गया है। पाक-पवित्र वेदों में वर्ण बनाए गए थे। जन्म से किसी की जात नहीं बनाई बल्कि कर्म से उनका नाम रखा। इस प्रकार धर्मों में चार वर्ण बनाए गए थे। यह सच है कि हम सब एक है और हमारा मालिक भी एक है। उसके नाम अलग-अलग हो सकते हैं।