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विदेश से ट्रेनिंग करके आए 1000 टीचरों से रूबरू होंगे केजरीवाल, शिक्षकों को फिनलैंड भेजने पर अड़े

दिल्ली सरकार की ओर से टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजने की फाइल दोबारा उपराज्यपाल को भेजी गई है. साथ ही एलजी से अपील की है कि टीचर्स की ट्रेनिंग में तुरंत अपनी स्वीकृति दें
 
विदेश से ट्रेनिंग करके आए 1000 टीचरों से रूबरू होंगे केजरीवाल, शिक्षकों को फिनलैंड भेजने पर अड़े ​​​​​​​
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Mhara Hariyana News, New Delhi
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज यानि रविवार को दोपहर में विदेश से ट्रेनिंग लेकर आए लगभग एक हजार अध्यापकों से बातचीत करेंगे. ‘देश का एजुकेशन सिस्टम भारत से कैसे अलग है, साथ ही उस सिस्टम को दिल्ली के स्कूलों में कैसे लागू किया जाए’, इस विषय पर भी चर्चा होने की उम्मीद है.


बता दें कि हाल ही में एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों के 30 टीचर्स को फिनलैंड भेजने के सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी. वहीं, दिल्ली सरकार की ओर से टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड भेजने की फाइल दोबारा उपराज्यपाल को भेजी गई है. साथ ही एलजी से अपील की है कि टीचर्स की ट्रेनिंग में तुरंत अपनी स्वीकृति दें.

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव जारी
दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना के बीच टकराव शनिवार को भी जारी रहा. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल पर शिक्षा विभाग के खिलाफ झूठे आरोप लगाने और राष्ट्रीय राजधानी में कार्यरत शिक्षकों का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया. सिसोदिया ने सक्सेना को लिखे पत्र में कहा कि उपराज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शुक्रवार को भेजा गया पत्र राजनीतिक मकसद से लिखा गया था और शिक्षा विभाग के खिलाफ उनके झूठे आरोप दिल्ली के छात्रों और शिक्षकों का अपमान हैं.

‘शिक्षकों के काम का मजाक न उड़ाएं’
शिक्षा विभाग का कार्यभार संभाल रहे सिसोदिया ने कहा, उपराज्यपाल ने राजनीतिक मकसद से पत्र लिखा और कहा कि दिल्ली के शिक्षा विभाग में कोई काम नहीं किया गया है. उनके आरोप दिल्ली के छात्रों और शिक्षकों का अपमान हैं. मैं उपराज्यपाल से अनुरोध करता हूं कि वह हमारे उन शिक्षकों के काम का मजाक न उड़ाएं, जिन्होंने विभाग में बेहतरीन काम किया है.

सक्सेना ने केजरीवाल को शुक्रवार को लिखे पत्र में दिल्ली के शिक्षा विभाग को लेकर कई मामले उठाकर राष्ट्रीय राजधानी में आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी.उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2012-2013 में सरकारी स्कूलों में औसत उपस्थिति 70.73 प्रतिशत थी, जो साल दर साल लगातार गिरती गई और 2019-2020 में घटकर 60.65 प्रतिशत तक पहुंच गई. उन्होंने निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों में जाने वाले छात्रों पर आप सरकार के दावों पर भी सवाल उठाया.

सिसोदिया ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा संचालित स्कूलों के 99.6 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए हैं और इन स्कूलों में बड़ी संख्या में छात्रों को अच्छे अंक मिले हैं. उन्होंने कहा, उपराज्यपाल की कुर्सी पर बैठे व्यक्ति को गलत आंकड़ों का हवाला देकर पत्र लिखना शोभा नहीं देता. उपमुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल पर आरोप लगाया कि उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़े झूठे हैं और उन्होंने अपने बयान से राष्ट्रीय राजधानी की पूरी शिक्षा प्रणाली को बदनाम किया है. (भाषा के इनपुट के साथ)