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सिर्फ डेढ़ पन्ने का एग्रीमेंट! गुजरात सरकार को कोर्ट से फटकार, पूछा- बिना टेंडर कैसे मिला ठेका

Only one and a half page agreement! Gujarat government reprimanded by the court, asked - how did it get the contract without tender

 
Only one and a half page agreement! Gujarat government reprimanded by the court, asked - how did it get the contract without tender
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Mhara Hariyana News:

गुजरात हाईकोर्ट ने मोरबी हादसे पर स्वत: संज्ञान लेते हुए 150 साल पुराने पुल के रखरखाव के लिए ठेका देने के तरीके पर तीखे सवाल दागे और राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए जवाब तलब किया है. 30 अक्टूबर को मोरबी का यह पुल अचानक टूटकर गिर गया था, जिसके बाद 400 से ज्यादा लोग पानी में समा गए थे. इस हादसे में 130 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. कोर्ट ने सवाल करते हुए कहा कि इतने महत्वपूर्ण काम के लिए किया गया एग्रीमेंट सिर्फ डेढ़ पन्ने में कैसे सिमट गया? कहा कि नोटिस जारी किए जाने के बाद भी मोरबी नगरपालिका के अधिकारी कोर्ट नहीं पहुंचे, ये दर्शाता है कि वो चालाकी दिखा रहे हैं.


कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘ऐसा लगता है कि राज्य सरकार की तरफ से इस संबंध में कोई टेंडर जारी किए बिना ही अपनी उदारता दिखाई गई है.’ मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार ने सवाल उठाते हुए मंगलवार को सुनवाई के दौरान राज्य के शीर्ष नौकरशाह मुख्य सचिव से कहा कि एक सार्वजनिक पुल के मरम्मत कार्य के लिए टेंडर क्यों नहीं जारी किया गया. इसमें बोली क्यों नहीं लगाई गई? सुनवाई के आखिर में कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी.

मोरबी नगरपालिका ने पुल के मरम्मत करने के लिए ओरेवा ग्रुप को 15 साल का ठेका दिया था. ये कंपनी मुख्य रूप से घड़ी बनाने का काम करती है. कोर्ट ने शुरुआती टिप्पणी में कहा, ‘सरकारी विभाग वाली नगर पालिका ने गलती की है, जिसकी वजह से 135 लोगों की मौत हो गई. क्या गुजरात नगर पालिका अधिनियम 1963 का पालन किया गया था.’

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, इतने महत्वपूर्ण कार्य के लिए महज डेढ़ पेज में एग्रीमेंट कैसे पूरा हुआ? क्या बिना किसी टेंडर के कंपनी को राज्य की तरफ से हरी झंडी दिखाई गई.

कोर्ट ने इस त्रासदी पर खुद संज्ञान लिया था और छह विभागों से जवाब मांगा था. मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष जे शास्त्री मामले की सुनवाई कर रहे हैं.

इस मामले में अब तक, अनुबंधित कंपनी के कुछ कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि करोड़ों के एग्रीमेंट पर साइन करने वाला टॉप मैनेजमेंट जांच की आंच से बाहर है. किसी भी अधिकारी को पुल के नवीनीकरण से पहले फिर से खोलने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है. कोर्ट ने एग्रीमेंट की फाइलें सीलबंद लिफाफे में जमा करने को भी कहा है.

लगातार उठ रहे सवालों के बीच सरकार ने कहा कि उनकी तरफ से बिजली की गति से काम किया गया और कई लोगों की जान बचाई गई. एक सरकारी वकील ने कहा कि नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है. अगर कोई और दोषी पाया जाता है तो उस पर भी मामला दर्ज किया जाएगा.