2014 में पीएम मोदी को भी दी गई थी छूट…. सऊदी प्रिंस मामले में अचानक अमेरिका ने ऐसा क्यों कहा?

Mhara Hariyana News:
अमेरिका के जाने मानें पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या मामले में सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिल सलमान को अमेरिका ने छूट दी गई है. बाइडेन सरकार इस मामले में जब बुरी तरह घिरी तो उनको पीएम मोदी का केस या आ गया. यूएस का कहना है कि ऐसा पहला मामला नहीं है जब किसी देश के नेता को छूट दी गई हो. इससे पहले पीएम मोदी केस में भी ऐसा ही कुछ हुआ था. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि पीएम मोदी को अमेरिका में अभियोजन पक्ष से उसी तरह की छूट दी गई थी जो हाल ही में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को दी गई थी.
राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन ने घोषणा की कि सऊदी अरब के प्रिंस को अमेरिका के पत्रकार जमाल खाशोगी की हत्या मामले में उनकी भूमिका के लिए मुकदमे से छूट प्राप्त माना जाना चाहिए. यह अमेरिकी सरकार के रुख में एक बड़ा बदलाव है क्योंकि राष्ट्रपति जो बाइडेन इस नृशंस हत्या को लेकर शहजादे मोहम्मद बिन सलमान की निंदा के लिए एक जोरदार अभियान चला चुके हैं. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने एक ब्रीफिंग में कहा कि पीएम मोदी को अमेरिका में उसी तरह की मुक्ति दी गई थी जो हाल ही में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को दी गई थी.
2005 में अमेरिका ने लगाया था बैन
दरअसल, नरेंद्र मोदी के गुजरात के सीएम रहने के दौरान 2002 में गोधरा दंगे हुए थे. अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर नरेंद्र मोदी के खिलाफ यात्रा प्रतिबंध लगाया हुआ था लेकिन बाद में प्रधानमंत्री बनने पर उन्हें छूट दे दी गई थी. अमेरिकी ने कहा कि प्रिंस को हाल ही में सऊदी का प्रधानमंत्री बनाया गया है. इसे देखते हुए उनके ऊपर अमेरिका में मुकदमा और अमेरिकी यात्रा पर छूट दी गई है. कहा गया है कि इसको देखते हुए मारे गए वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार खगोशी और उनकी प्रेमिका द्वारा स्थापित अधिकार समूह डेमोक्रेसी फॉर द अरब वर्ल्ड नाउ की ओर से दायर मुकदमे से उन्हें राहत मिलनी चाहिए.
सऊदी प्रिंस मामले में यूएस ने गिनाए नाम
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उपप्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने ऐसा किया है. ऐसे कई मामलों की एक लंबी लिस्ट है. इसे पहले कई राष्ट्राध्यक्षों पर लागू किया गया है. उन्होंने कहा कि 1993 में हैती राष्ट्रपति एरिस्टाइड, 2001 में जिम्बाब्वे में राष्ट्रपति मुगाबे, 2014 में भारत में प्रधानमंत्री मोदी, और 2018 में डीआरसी में राष्ट्रपति कबीला पर भी ऐसा का निर्णय लिया गया है. अमेरिका ने 2005 में प्रधानमंत्री मोदी के वीजा पर रोक लगा दी थी. तत्कालीन सीएम मोदी पर आरोप लगाया था कि उनकी सरकार ने गुजरात में 2002 के दंगों को मुख्यमंत्री के रूप में रोकने के लिए कुछ नहीं किया था.