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किसी ने एलियन कहा, कुछ ने सैटेलाइट; असलियत में ये है स्टार लिंक

मंगलवार शाम को उत्तर भारत में आसमान में अलग नजारा देखने को मिला।
 
 आसमान में दिखी सितारों की ट्रेन, हर कोई रह गया हैरान
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किसी ने एलियन कहा, कुछ ने सैटेलाइट; असलियत में ये है स्टार लिंक

Mhara Hariyana News, New Delhi। मंगलवार शाम को उत्तर भारत में आसमान में अलग नजारा देखने को मिला। आसमान में तारों की ट्रेन सी चलती दिखाई दी। हर कोई इस नजारे को देखता रह गया। किसी ने इसे एलियन कहा तो किसी से सैटेलाइट। हर किसी ने इस नजारे को अपने मोबाइल में कैद किया और बाद में यह इंटरनेट मीडिया पर भी खूब वायरल रहा। आखिर आसमान में दिखाई दिया यह अद्भूत नजारा क्या था, आप भी जानिए। 

आसमान में दिखाई दी सितारों की लंबी लाइन न तो ये कोई उल्कापिंड थी और न ही ये कोई एलियन्स । दरअसल आसमान में ट्रेन की तरह दिखने वाली यह रोशनी कुछ और नहीं सैटेलाइट होती है। आमतौर पर ये स्टारलिंक की सैटेलाइट हैं। इन सैटेलाइट्स की संख्या 46 या उससे ज्यादा होती है।

यह नजारा स्टारलिंक सैटेलाइट की लॉन्चिंग के एक या दो दिन तक आसमान में देखा जा सकता है। क्योंकि तब सैटेलाइट्स पृथ्वी से ऊपर की ओर अपनी आर्बिट में जा रहे होते हैं, तब सूरज की रोशनी पृथ्वी के दूसरी तरफ से इन पर पड़ती है। इससे ये काफी चमकदार दिखते हैं।

जब ये सैटेलाइट्स अपनी तय आर्बिट में पहुंच जाते हैं तो वे लोगों को बिना ऑप्टिकल की सहायता से नहीं दिखते हैं यानी ये उस दौरान काफी ऊंचाई पर होते हैं।

स्टारलिंक की सैटेलाइट्स काफी ब्राइट हैं। इसलिए रात के समय आसमान में यह आसानी से दिखाई देती हैं। एक साथ चल रहे सैटेलाइट्स के समूह को मेगाकॉन्स्टेलेशन (Megaconstellation) कहा जाता है।


क्या है स्टारलिंक 
स्टारलिंक SpaceX के सैटेलाइट नेटवर्क का नाम है। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क इसके मालिक हैं। मस्क ने जनवरी 2015 में स्टारलिंक के जरिए इंटरनेट देने का प्रपोजल लाया था। इस दौरान इसे कोई नाम नहीं दिया गया था। मस्क ने उस वक्त कहा था कि कंपनी ने इंटरनेशनल रेगुलेटर्स से 4000 सैटेलाइट्स को पृथ्वी की आर्बिट में रखने की मंजूरी मांगी है।
यूएस फेडरल कम्युनिकेशंस कमिशन यानी FCC ने स्पेसएक्स को 12,000 सैटेलाइट को भेजने की अनुमति दी है। आगे यह संख्या 30,000 तक हो सकती है।

2018 में स्पेसएक्स के दो टेस्ट सैटेलाइट TinTinA और TinTinB लॉन्च किए गए। मिशन सफल रहा। इसके बाद 23 मई 2019 को स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट से पहले 60 स्टारलिंक सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। तब से स्पेसएक्स एक बार में 46 से 60 स्टारलिंक सैटेलाइट्स को लॉन्च करता रहा है।

एलन मस्क ने सितंबर 2021 में ही जाहिर कर दिया था कि वह भारत में स्टारलिंक की इंटरनेट सेवाएं शुरू करने जा रहे हैं। एक ट्वीट में मस्क ने यह जानकारी देते हुए कहा था कि रेगुलेटरी अप्रूवल प्रक्रिया चल रही है।


यूं काम करता है स्टारलिंक 
 स्टारलिंक सैटेलाइट्स का काम दूर-दराज के इलाकों को सैटेलाइट के जरिए तेज internet इंटरनेट से जोड़ना है। अभी हमें इंटरनेट की सुविधा फाइबर ऑप्टिक केबल से मिलती है। लेकिन स्टारलिंक ये सुविधा बिना किसी केबल के सैटेलाइट के जरिए देता है।

इसमें कंपनी एक किट उपलब्ध करवाती है जिसमें वाई-फाई राउटर, पावर सप्लाई, केबल और एक माउंटिंग ट्राइपॉड दिया जाता है।

राउटर सीधे सैटेलाइट से कनेक्ट होता है। स्टारलिंक का इंटरनेट फाइबर ऑप्टिक केबल की तुलना में 47% तेज है। स्टारलिंक फिलहाल ऑस्ट्रेलिया, चिली, ब्रिटेन और अमेरिका समेत 40 देशों में इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध करवा रही है।