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हल्द्वानी अतिक्रमण पर आज ‘सुप्रीम’ फैसला; सड़कों पर उतरे लोग, प्रशासन मुस्तैद

Supreme decision on Haldwani encroachment today; People took to the streets, the administration is ready

 
हल्द्वानी अतिक्रमण पर आज ‘सुप्रीम’ फैसला; सड़कों पर उतरे लोग, प्रशासन मुस्तैद
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उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके के हजारों निवासियों की ओर से हाईकोर्ट के आदेश पर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के खिलाफ प्रदर्शन जारी है, तो वहीं प्रशासन भी भारी सुरक्षा बल के बीच अपनी कार्रवाई करने को तैयार है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के निर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर आज गुरुवार को सुनवाई करेगा.


देश की सबसे बड़ी अदालत आज हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के निर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने जा रहा है. रेलवे के मुताबिक उसकी भूमि पर 4,365 लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ है. प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण की ओर से मामले का जिक्र किए जाने के बाद इसे सुनवाई के लिए स्वीकार किया.

हमारे पास वैध दस्तावेजः स्थानीय निवासी
दूसरी ओर, स्थानीय निवासियों की ओर से याचिका में दलील दी गई है कि हाईकोर्ट ने विवादित आदेश पारित करने में गंभीर त्रुटि की है क्योंकि भूमि के अधिकार को लेकर याचिकाकर्ताओं और निवासियों की याचिकाएं जिलाधिकारी के समक्ष लंबित है. याचिका में कहा गया है, “हाईकोर्ट ने रेलवे अधिकारियों द्वारा सात अप्रैल, 2021 की कथित सीमांकन रिपोर्ट पर विचार नहीं करने की गंभीर त्रुटि की है.”

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि उनके पास वैध दस्तावेज हैं जो स्पष्ट रूप से उनके वैध अधिकार को स्थापित करते हैं. उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, स्थानीय निवासियों के नाम नगर निगम के रिकॉर्ड में गृह कर रजिस्टर में दर्ज किए गए हैं और वे नियमित रूप से गृह कर का भुगतान कर रहे हैं.

कुमाऊं रेंज के डीआईजी निलेश ए भरने ने अतिक्रमण हटाने को लेकर कल बुधवार को कहा था, “हमने अखबारों में (जमीन खाली करने के लिए) नोटिस दिया है. 5 पीएसी कंपनियां मौके पर तैनात हैं और 3 पीएसी कंपनियां भी 8 जनवरी तक यहां पहुंच जाएंगी. हमने सेंट्रल पैरा मिलिट्री फोर्स की 14 कंपनियां भी मांगी हैं. यहां 4 से 5 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी.” उन्होंने यह भी कहा, “हाईकोर्ट का आदेश लागू होगा. हमने लोगों के साथ कई दौर की बैठकें की हैं और उनसे कोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा है.”

नेता भी प्रदर्शन में हो रहे शामिल
इस बीच अतिक्रमण रोधी अभियान के खिलाफ प्रदर्शन तेज हो गया है और इस प्रदर्शन में राजनीतिक दल भी शामिल हो गए हैं. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे बनभूलपुरा के निवासियों के समर्थन में बुधवार को मौन विरोध जताया तो समाजवादी पार्टी (सपा) का एक प्रतिनिधिमंडल उन लोगों का समर्थन करने के लिए पहुंचा जो रेलवे की अतिक्रमण की गई जमीन से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं.

हरीश रावत के पीछे टंगे एक बैनर पर लिखा था, “बनभूलपुरा के लोगों की समस्या का समाधान बुलडोजर नहीं हैं. मुख्यमंत्री, कृपया लोगों की छतों को गिराए जाने से बचाइए.” वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा भेजे गए सपा प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले मुरादाबाद के सांसद एसटी हसन ने रेलवे के दावे पर सवाल उठाया. हसन ने स्थानीय निवासियों से मुलाकात के बाद कहा, “जमीन रेलवे की कैसे है? उसने इसे किससे खरीदा था? लोग 100 से अधिक वर्षों से इस पर रह रहे हैं.” हल्द्वानी के कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश भी प्रदर्शनकारियों का साथ दे रहे हैं.

स्थानीय निवासियों ने निकाला कैंडल मार्च
इससे पहले मंगलवार रात बनभूलपुरा वासियों ने एक कैंडल मार्च निकाला. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह कार्रवाई उन्हें बेघर कर देगी और उनके स्कूल जाने वाले बच्चों के भविष्य को खतरे में डाल देगी.

इस बीच नैनीताल के जिलाधिकारी डीएस गर्ब्याल ने कहा कि अतिक्रमण हटाने की तैयारी की जा रही है. उन्होंने कहा, “यह हाईकोर्ट का आदेश है. इसका पालन करना होगा.” हल्द्वानी के एसडीएम मनीष कुमार ने कहा कि क्षेत्र के निवासियों को अदालत के आदेश के बारे में सूचित कर दिया गया है और अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया 10 जनवरी से शुरू होने की संभावना है.

20 दिसंबर को हाईकोर्ट ने दिया था फैसला
इससे पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिछले महीने 20 दिसंबर को हल्द्वानी में बनभूलपुरा में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण करके बनाए गए ढांचों को गिराने के आदेश दिए थे. हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि अतिक्रमण करने वाले लोगों को एक सप्ताह का नोटिस दिया जाए, जिसके बाद अतिक्रमण हटाया जाना चाहिए.

बनभूलपुरा में रेलवे की कथित तौर पर अतिक्रमण की गई 29 एकड़ जमीन पर धार्मिक स्थल, स्कूल, व्यापारिक प्रतिष्ठान और आवास हैं. रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नौ नवंबर, 2016 को 10 सप्ताह के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था.