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इस मारवाड़ी उद्योगपति ने कर डाली वो डील जिससे चीन के सिर में दर्द होना तय

 पीएम मोदी ने भी की तारीफ,  गुजरात में नया वेदांत-फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित किया जाएगा
 
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Mhara Hariyana News, New Delhi।  
भारत के प्रख्यात उद्योगपति और मेटल किंग metal king   अनिल अग्रवाल ने भारत में सेमीकंडक्टर semiconductor
 बनाने की दिशा में ऐसा कदम उठा दिया है, जिससे एक तरफ भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर आगे कदम बढ़ाएगा दूसरी तरफ चीन China का इस क्षेत्र में प्रभुत्व कम होगा और चीन का निर्यात कम होने के साथ उसकी चिंताएं बढ़ेंगी। इस उद्योगपति की उपलब्धि पर स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी तारीफ की है। 


वेदान्ता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल Vedanta Group Chairman Anil Agarwal
के 4 ट्वीट इन दिनों चर्चा में बना हुए हैं। इन चार में से पहले ट्वीट में अनिल अग्रवाल ने लिखा है कि, '' इतिहास रच दिया गया है! यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि गुजरात में नया वेदांत-फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर Vedanta-Foxconn Semiconductor Plant
प्लांट स्थापित किया जाएगा। वेदांता का 1.54 लाख करोड़ का ऐतिहासिक निवेश भारत में आत्मनिर्भर सिलिकॉन वैली को एक वास्तविकता बनाने में मदद करेगा।

  अनिल अग्रवाल Anil Agarwal की अगुवाई वाली वेदांता लिमिटेड और ताइवान की फॉक्सकॉन कंपनी के बीच समझौता हुआ है। ग्रवाल की कंपनी ने मंगलवार 13 सितंबर को राज्य में 1.54 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले एफएबी निर्माण इकाई स्थापित करने के लिए गुजरात सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। 

समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल Gujarat Chief Minister Bhupendra Patel
और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव Union Minister of Electronics and Information Technology Ashwini Vaishnav
उपस्थित रहे। इस अवसर पर गुजरात सरकार के शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जीतूभाई वघानी भी उपस्थित थे।

अनिल अग्रवाल ने अपने एक और ट्वीट में लिखा कि भारत की अपनी सिलिकॉन वैली अब लक्ष्य के एक क़दम और क़रीब आ गई है। भारत न केवल अब अपने लोगों की डिज़िटल ज़रूरतों को पूरा कर सकेगा बल्कि दूसरे देशों को भी भेज सकेगा। चिप मंगाने से चिप बनाने तक की यह यात्रा अब आधिकारिक तौर पर शुरू हो गई है।


वेदांता करेगा 60 फीसदी निवेश, पीएम ने की सराहना
अहमदाबाद के पास बनने वाले इस प्रोजेक्ट पर 1.54 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा। संयुक्त उपक्रम में वेदांता का हिस्सा 60 फ़ीसदी होगा, जबकि ताइवान Taiwan
 की कंपनी की 40 फ़ीसदी हिस्सेदारी होगी। पिछले कुछ साल में यह भारत में होने वाले सबसे बड़े निवेशों में से एक है।

अपने गृह राज्य गुजरात में होने वाले इस भारी भरकम निवेश पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ये सहमति पत्र (एमओयू) भारत की सेमीकंडक्टर बनाने की महत्वाकांक्षा को पूरा करने की दिशा में अहम क़दम है।1.54 लाख करोड़ रुपये का निवेश अर्थव्यवस्था को रफ्तार और नौकरियां देगा।"

आज की इकॉनोमी में सेमीकंडक्टर अहम 
 सेमीकंडक्टर, कंडक्टर और नॉन-कंडक्टर या इंसुलेटर्स के बीच की कड़ी है। यह न तो पूरी तरह से कंडक्टर होता है और न ही इंसुलेटर। इसकी कंडक्टिविटी या करंट दौड़ाने की क्षमता मेटल और सेरामिक्स जैसे इंसुलेटर्स के बीच की होती है। सेमीकंडक्टर किसी प्योर एलीमेंट मसलन सिलिकॉन, जरमेनियम या किसी कंपाउंड जैसे गैलियम आर्सेनाइड या कैडमियम सेलेनाइड का बना हो सकता है।

मोबाइल, रेडियो, टीवी, वॉशिंग मशीन, कार, फ़्रिज, एसी... आज के ज़माने में शायद ही कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होगी जिसमें सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल न होता हो। यानी सेमीकंडक्टर रोज़मर्रा की ज़िंदगी की हिस्सा बन चुका है और इसकी कमी होने पर दुनियाभर में खलबली मच जाती है।

चिप और डिस्प्ले फ़ैब्रिकेशन में अभी चीन China का दबदबा
सेमीकंडक्टर या चिप को बनाने की एक ख़ास विधि होती है जिसे डोपिंग कहते हैं। इसमें प्योर सेमीकंडक्टर में कुछ मेटल डाले जाते हैं और मैटेरियल की कंडक्टिविटी में बदलाव किया जाता है। चिप और डिस्प्ले फ़ैब्रिकेशन में अभी चीन का दबदबा है। चीन, हॉन्गकॉन्ग, ताइवान और दक्षिण कोरिया ही दुनिया के तमाम देशों को चिप और सेमीकंडक्टर की सप्लाई करते हैं।

चीन की अर्थव्यवस्था में चिप एक्सपोर्ट का बड़ा योगदान
चीन की अर्थव्यवस्था में चिप एक्सपोर्ट का हिस्सा बताता है कि किस तरह 'ड्रैगन' ने अमरीका समेत दुनिया के तमाम देशों को सिलिकॉन चिप बेचकर अपना ख़ज़ाना भरा है। चीन और भारत दुनिया की दो सबसे बड़ी आबादी वाले देश हैं। यही हाल स्मार्टफ़ोन मैन्युफ़ैक्चरिंग में भी है। चीन इस रेस में पहले नंबर पर है और भारत दूसरे। लेकिन हैरानी नहीं होनी चाहिए की भारत सेमीकंडक्टर का 100 फ़ीसदी आयात करता है। यानी भारत सालाना 1.90 लाख करोड़ रुपये के सेमीकंडक्टर दूसरे देशों से मंगाता है जिसमें बहुत बड़ा हिस्सा चीन को जाता है।