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Madhya Pradesh का Tiger स्टेट का दर्जा कायम, 785 बाघों के साथ अव्वल, कर्नाटक में 563 बाघ

 
Madhya Pradesh का Tiger स्टेट का दर्जा कायम, 785 बाघों के साथ अव्वल, कर्नाटक में 563 बाघ

Mhara Hariyana News, Bhopal
केंद्र सरकार ने बाघ गणना के राज्यवार आंकड़े जारी कर दिए हैं। Madhya Pradesh 785 बाघों के साथ अव्वल रहा है। Madhya Pradesh ने लगातार दूसरी बार अपना Tiger स्टेट का दर्जा कायम रखा है। दूसरे स्थान पर कर्नाटक है, जहां 563 बाघ हैं। उत्तराखंड में 560 और महाराष्ट्र में 444 बाघ मिले हैं।  

उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट Tiger रिजर्व में वैश्विक बाघ दिवस का आयोजन किया गया। इस दौरान केंद्रीय वन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने विस्तृत रिपोर्ट जारी की। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी समेत केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट भी मौजूद थे। केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट कर Madhya Pradesh को बधाई दी।

उन्होंने लिखा- 'Madhya Pradesh को बधाई! नई बाघ गणना के आंकड़ों में 785 बाघों के साथ Madhya Pradesh देश का सबसे अधिक बाघ वाला राज्य बना हुआ है। यह Madhya Pradesh की बाघों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्धता को दर्शाता है। स्थानीय समुदाय की भागीदारी के साथ गहन संरक्षण और निगरानी से ही यह संभव हो सका है।' 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 'अत्यंत हर्ष की बात है कि हमारे प्रदेशवासियों के सहयोग और वन विभाग के अथक प्रयासों के फलस्वरूप, चार वर्षों में हमारे प्रदेश में जंगल के राजा बाघों की संख्या 526 से बढ़कर 785 हो गई है। मैं पूरे प्रदेश की जनता को, वन एवं वन्यप्राणियों के संरक्षण में उनके सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद और बधाई देता हूं। आइये हम सब मिलकर अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर भावी पीढ़ियों के लिए प्रकृति संरक्षण का पुनः संकल्प लें।'

Madhya Pradesh में चार साल में बढ़े 259 बाघ
2006 में बाघ संरक्षण प्रयासों को गति दी गई थी। इसके बाद से लगातार बाघों की संख्या बढ़ ही रही है। 2006 में 300 बाघों के साथ Madhya Pradesh सबसे अधिक बाघों वाला राज्य था। इसके बाद 2010 में यह घटकर 257 हो गए और तब Madhya Pradesh का Tiger स्टेट का दर्जा कर्नाटक ने छीन लिया था। 2014 में Madhya Pradesh में 308 बाघ थे और 2018 में 526 बाघ। 2018 में Madhya Pradesh ने सिर्फ दो बाघ अधिक होने की वजह से कर्नाटक से एक बार फिर Tiger स्टेट का दर्जा छीन लिया था।

इसके बाद Madhya Pradesh ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। चार साल में प्रदेश में 259 बाघ बढ़े, जबकि कर्नाटक में सिर्फ 39 बाघ। अब Madhya Pradesh और कर्नाटक का अंतर 2018 के दो बाघ से बढ़कर 2022 में 222 का हो गया है।

6.1% प्रति वर्ष की रफ्तार से बढ़ रहे हैं बाघ
9 अप्रैल 2023 को प्रोजेक्ट Tiger के 50 साल पूरे होने पर मैसूरु में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कम से कम 3167 बाघ होने की घोषणा की थी। उस समय के आंकड़े सिर्फ कैमरा-ट्रैप्ड इलाकों से आए थे। वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने कैमरा-ट्रैप्ड के साथ-साथ नॉन-कैमरा-ट्रैप्ड इलाकों से भी आए आंकड़ों का विश्लेषण किया। इसके अनुसार अधिकतम 3925 बाघ हैं।

इसके आधार पर औसत 3682 बाघ होने का दावा किया गया है। यह प्रति वर्ष 6.1% की बढ़ोतरी दर्शाता है। शिवालिक हिल्स और गंगा के मैदानों में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। खासकर Madhya Pradesh, उत्तराखंड और महाराष्ट्र में। हालांकि, पश्चिमी घाट में कुछ इलाकों में बाघों की संख्या में कमी आई है।

देश में भी इस तरह बढ़ता गया बाघों का आंकड़ा
2006 में देश में 1411 बाघ थे, जो एक चिंताजनक तस्वीर पेश कर रहा था। इसके बाद 2010 में 1706, 2014 में 2226, 2018 में 2967 और 2022 में 3682 बाघ हो गए हैं। तकरीबन हर राज्य में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

भारत की दुनियाभर के बाघों में हिस्सेदारी 75% हो गई है।  2018 में 2461 बाघ संरक्षित इलाकों में थे, जबकि यह 2022 में बढ़कर 3080 हो गए हैं। तीन-चौथाई बाघ देश के संरक्षित इलाकों में हैं। इस समय देश में 53 Tiger रिजर्व हैं, जो 75796 वर्ग किमी में फैले हैं। यह भारत के कुल क्षेत्रफल का 2.3% हिस्सा है। 

जिम कॉर्बेट में सबसे अधिक बाघ
Tiger रिजर्व की बात करें तो उत्तराखंड का जिम कॉर्बेट 260 बाघों के साथ सबसे आगे रहा है। उसके बाद बांदीपुर (150), नागरहोल (141), बांधवगढ़ (135), दुधवा (135), मुदुमलाई (114), कान्हा (105), काजीरंगा (104), सुंदरबन (100), ताड़ोबा (97), सत्यमंगलम (85) और पेंच-Madhya Pradesh (77) रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कई Tiger रिजर्व में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है, जबकि कुछ में चुनौतियां उभरी हैं। 35% Tiger रिजर्व में संरक्षण उपायों, आवास के पुनर्स्थापन और बाघों को फिर से बसाए जाने की जरूरत है।