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RBI New Guidelines: लोन डिफॉल्ट करने वालों को मिलेंगे ये अधिकार, RBI ने जारी की नई गाइडलाइंस

RBI New Guidelines: आज के समय में अपनी जरुरतों को पूरा करने के लिए कई लोग बैंक से लोन लेते  है। दोस्तों, अगर आप किसी बैंक से पर्सनल लोन या होम लोन लेते है और कोई आदमी समय पर EMI नहीं भर पा रहा है तो बैंक उसे डिफाल्ट कर देता है। लोन लेने की जरूरत किसी को भी पड़ सकती है क्योंकि ऐसे में ग्राहकों को लोन रिकवरी एजेंट्स काफी परेशान करते हैं। इसी को लेकर RBI ने नई गाइडलाइन जारी की है जिसके तहत अब लोन न भरने वालों ये खास अधिकार दिए गए है आइए जानते है...
 
RBI New Guidelines: लोन डिफॉल्ट करने वालों को मिलेंगे ये अधिकार, RBI ने जारी की नई गाइडलाइंस

Mhara Hariyana News, New Delhi: यदि सामान्य व्यक्ति अपने होम लोन या पर्सनल लोन की EMI नहीं चुका सकता है, तो बैंक या कंपनी आपको परेशान नहीं करेंगे। उसके ऐसे व्यवहार पर कई नियम लागू हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि बैंक कर्ज नहीं चुकाने पर धमका या जबर्दस्ती नहीं कर सकता। आप लोन वसूलने के लिए रिकवरी एजेंटों से संपर्क कर सकते हैं।

लेकिन ये अपनी सीमा नहीं पार कर सकते। इस तरह के थर्ड पार्टी एजेंट ग्राहकों से बातचीत कर सकते हैं। उनके पास ग्राहकों को धमकाने का अधिकार नहीं है। वे सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक ग्राहक के घर जा सकते हैं।

वे ग्राहकों से बदसलूकी नहीं कर सकते। ग्राहक इस प्रकार की दुर्व्यवहार की शिकायत बैंक में कर सकते हैं। बैंकिंग ओंबड्समैन का दरवाजा खटखटाया जा सकता है अगर कोई सुनवाई नहीं होती।

उन अधिकारों को जानें..

Experts कहते हैं कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों को कर्ज चुकाने के लिए सही तरीके अपनाना चाहिए। सिक्योर्ड लोन के मामले में उन्हें कानूनन गिरवी रखे गए संपत्ति को जब्त करने का अधिकार है। बैंक, हालांकि, नोटिस के बिना ऐसा नहीं कर सकते। 

सिक्योरिटाइजेशन एंड रीकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट (सरफेसी) अधिनियम कर्जदारों को गिरवी एसेट को जब्त करने का अधिकार देता है।

- नोटिस देने का अधिकार 

डिफॉल्ट करने से आप अपराधी नहीं बनते और आपके अधिकार छीने नहीं जा सकते। बैंकों को आपकी संपत्ति पर कब्जा करने से पहले आपको लोन चुकाने का समय देना होगा. 

यह एक नियमित प्रक्रिया है। सिक्योरिटाइजेशन एंड रिस्कंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट्स (सरफेसी एक्ट) के तहत अक्सर बैंक ऐसा करते हैं।

- लोन लेने वाले व्यक्ति को तब गैर- 

जब वह बैंक को 90 दिनों तक किस्त का भुगतान नहीं करता है, तो परफॉर्मिंग एसेट NPA (डूबे हुए कर्ज) में डाला जाता है। इस तरह के मामले में, कर्ज देने वाले को 60 दिन का नोटिस देना पड़ता है।


-बैंक एसेट की बिक्री अगर बॉरोअर नोटिस पीरियड में भुगतान नहीं कर पाता है। एसेट की बिक्री के लिए बैंक को 30 दिन का अतिरिक्त सार्वजनिक नोटिस जारी करना पड़ता है। इसमें बिक्री विवरण होना चाहिए।