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सनसनीखेज खुलासा: बेटे Asad अहमद के संपर्क में था Atiq-Asraf को मारने वाला अरुण, सामने आया कनेक्शन

 
सनसनीखेज खुलासा: बेटे Asad अहमद के संपर्क में था Atiq-Asraf को मारने वाला अरुण, सामने आया कनेक्शन

Mhara Hariyana News, Prayagraj
जांच बढ़ने के साथ ही Atiq-Asraf हत्याकांड (carnage) की परतें खुलने लगी हैं। इस हत्याकांड (carnage) में अब चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सांसद और माफिया Atiq अहमद और उसके भाई Asraf को गोलियां बरसाकर मौत की नींद सुलाने वाले कातिलों में शामिल अरुण मौर्य शेर-ए-Atiq व्हाट्सएप से भी जुड़ा था।

यह ग्रुप Atiq के बेटे Asad ने खुद बनाया था। इस व्हाट्सएप ग्रुप में प्रयागराज के अलावा कौशांबी, प्रतापगढ़, फतेहपुर, सुल्तानपुर, कानपुर सहित यूपी के 20 से ज्यादा जिलों के साथ ही दूसरे प्रदेशों के भी तमाम लोग जुड़े थे।

इस ग्रुप से माफिया का हत्यारा अरुण मौर्य भी जुड़ा था। हालांकि बाद में वह ग्रुप से अलग हो गया था। अरुण मौर्य के ग्रुप से जुड़ने का मतलब है कि अरुण और Asad की जान पहचान पहले से ही थी।

मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक अरुण काफी समय तक इस ग्रुप से जुड़ा था और सक्रिय भागीदारी निभा रहा था। उसने ग्रुप क्यों छोड़ा इसकी पूछताछ उससे की जा रही है। 
रोज सामने आ रही हैं नए सूचनाएं
पुराना शहर माफिया Atiq अहमद का गढ़ माना जाता रहा है। यहां उसकी खिलाफत करके कोई चैन से नहीं रह सकता था, वह चाहे कितना भी बड़ा व्यापारी, अधिकारी या राजनेता ही क्यों न हो।

पुराने शहर में उसके तमाम मददगार और करीबी रहते हैं जो उसके लिए काम करते थे। माफिया के गढ़ में ही उसे ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर मौत के घाट उतारने वाले लवलेश तिवारी, अरुण मौर्य और सनी सिंह के बारे में रोज नई सूचनाएं सामने आ रही हैं। 
बाद में अरुण ग्रुप से हो गया था अलग
मीडिया छपी रिपोर्ट और पुलिस सूत्रों के मुताबिक पुलिस की पूछताछ में कासगंज के अरुण मौर्य ने बताया कि झांसी में एनकाउंटर में मारे गए Atiq अहमद के बेटे Asad के शेर-ए-Atiq ग्रुप से वह जुड़ा था। बाद में वह इससे अलग हो गया। 

ग्रुप में किया जाता था Atiq अहमद का महिमामंडन
शेर ए Atiq ग्रुप माफिया Atiq अहमद के महिमामंडन के लिए बनाया गया था। इस वॉट्सएप ग्रुप में ऐसे वीडियो और फोटो शेयर किए जाते थे, जिसमें Atiq के बादशाहत की दास्तां बताई जाती थी। उसके दहशत और लोकप्रियता के बारे में वीडियो और फोटो के माध्यम से बताया जाता था।

ऐसी ही कई वीडियो-फोटो इस ग्रुप में जुड़कर Atiq के हत्यारे अरुण मौर्य ने भी देखी होंगी, हो सकता है कि Atiq जैसा बनने की प्रेरणा उसे इसी ग्रुप से मिली हो। हालांकि बाद में अरुण मौर्य ने ये वॉट्सएप ग्रुप छोड़ दिया और गैंग 90 नाम के दूसरे वॉट्सएप ग्रुप से जुड़ गया। ये सारी जानकारी SIT के हाथ लग गई हैं। 
 

18 साल की उम्र में दर्ज हुआ था पहला मामला
पानीपत में अरुण मौर्य के खिलाफ पहली बार शस्त्र अधिनियम के तहत पहला मामला दर्ज किया गया था तो उसकी उम्र करीब 18 साल थी। गैंगस्टर से नेता बने Atiq अहमद और उसके भाई Asraf की हत्या के मामले में पुलिस गिरफ्तार आरोपियों की क्राइम कुंडली खंगाल रही है। इस हत्याकांड (carnage) में शामिल अरुण मौर्य पर पिछले साल हरियाणा के पानीपत में अवैध हथियार रखने का मामला दर्ज किया गया था। 
अरुण पर फरवरी, 2022 में शस्त्र अधिनियम के तहत और उसी साल मई में एक अन्य मामला दर्ज किया गया था। वह जेल भी गया था। पानीपत में रिकॉर्ड के मुताबिक फरवरी 2022 में अवैध हथियार रखने के चलते शस्त्र अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक मामला दर्ज किया गया था, जबकि दूसरा मामला मई में एक झगड़े को लेकर दर्ज किया गया था।
अब ऐसा हा शूटर अरुण के गांव का हाल 
Atiq और Asraf की हत्या करने वाले तीन में से एक कासगंज के शूटर अरुण मौर्य के गांव कादरवाड़ी में पुलिस की चहलकदमी है। शूटर के घर में ताले पड़े हुए हैं और घर के बाहर अनाज बिखरा हुआ है। अरुण मौर्य का गांव में बहुत आना-जाना नहीं था, लेकिन जब पिछली साल वह अपने घर आया तो गुमसुम रहता था।
गांव वाले नहीं जानते थे अरुण के पिता का असली नाम
गांव के लोगों ने बताया कि अरुण मौर्य के पिता को कोई भी दीपक नाम से नहीं जानता है। गांव में उसे सभी मैनेजर कहते हैं। प्रयागराज में Atiq और Asraf की हत्या के बाद जब अरुण मौर्य का नाम प्रकाश में आया तो पुलिस उसके पिता दीपक को तलाशती हुई गांव में आई।

ग्रामीणों ने पूछताछ के दौरान इस नाम के शख्स की पहचान करने से मना किया, लेकिन बाद में उसकी पहचान मैनेजर के नाम से हो सकी। इसके बाद ग्रामीण पुलिस को उसके घर ले गए।