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Share Market Investing Explainer: शेयर में इंवेस्ट करने से लगता है डर, बॉन्ड से कैसे कर सकते हैं बढ़िया कमाई?

 
Share Market Investing Explainer: शेयर में इंवेस्ट करने से लगता है डर, बॉन्ड से कैसे कर सकते हैं बढ़िया कमाई?


स्टॉक मार्केट में इंवेस्ट करना हर किसी के बस की बात नहीं होती. इसकी वजह भी साफ है कि शेयर बाजार में भारी जोखिम होता है. ऐसे में अक्सर लोग एफडी या आरडी जैसे पारंपरिक विकल्प का रुख करते हैं, लेकिन वहां मनचाहा रिटर्न नहीं मिलता. फिर अच्छा रिटर्न कमाने का क्या तरीका हो सकता है, तो इसका जवाब है बॉन्ड मार्केट में निवेश करना. जहां आप सुरक्षित तरीके से बेहतर रिटर्न हासिल कर सकते हैं.


बॉन्ड से पैसा कैसे बनता है ? क्या उससे बढ़िया रिटर्न मिलता है? क्या सिर्फ सरकार ही बॉन्ड जारी करती है? क्या बॉन्ड की भी ट्रेडिंग होती है? इन सब बातों को समझने से पहले बॉन्ड और शेयर से उसके अलग होने के बारे में कुछ जान लेते हैं.

बॉन्ड और शेयर में अंतर
जब भी आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं, तो आप उसके उतने प्रतिशत के हिस्सेदार हो जाते हैं. एक तरह से आप उस कंपनी के उतने शेयर के बराबर के मालिक होते हैं. अब अगर आपकी कंपनी का कारोबार अच्छा चलता है, वह प्रॉफिट कमाती है और बढ़िया परफॉर्म करती है, तो उसके पॉजिटिव दिनों का आपको फायदा मिलता है. वहीं अगर कंपनी का परफॉर्मेंस बुरा है या उसे नुकसान हुआ है तो आपके खुद के बिजनेस की तरह उसका घाटा भी आपका है.


ये हुई मोटा-मोटी शेयर की बात. अब समझते हैं बॉन्ड को, तो आमतौर पर कंपनियां, बैंक या सरकार पूंजी जुटाने के लिए बॉन्ड जारी करती है. लेकिन असल में ये एक ‘ऑन पेपर लोन’ की तरह होता है. तो लोन की तरह ही इसमें आपकी इनकम फिक्स ब्याज के रूप में होती है. साथ ही मैच्योरिटी पर आपको इसका पूरा पेमेंट मिलता है.

जैसे कि आपको अपना लोन हर हाल में चुकाना होता है, उसी तरह कंपनी, बैंक या सरकार भी बॉन्ड का मैच्योरिटी पेमेंट करते ही हैं. इसलिए शेयर की तुलना में ये ज्यादा सुरक्षित होता है. कंपनी क्या करती है, क्या नहीं करती है, कैसे करती है? इस सबसे बॉन्ड इंवेस्टर को कोई लेना-देना नहीं होता है.

बॉन्ड से कैसे होती है कमाई?
बॉन्ड में निवेश पर आपकी मूल कमाई उस पर मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी पर वापस आने वाला मूलधन होता है. लेकिन ये कितनी तरह से होती है. चलिए समझाते हैं…

आमतौर पर कोई व्यक्ति यानी इंडिविजुअल सीधे बॉन्ड खरीदता है और उसे मैच्योरिटी तक रखता है, जैसे पोस्ट ऑफिस से ‘किसान विकास पत्र’ खरीद लाना. लेकिन बॉन्ड में निवेश का एक तरीका म्यूचुअल फंड भी हैं.
आप ऐसे म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं, जो सिर्फ बॉन्ड में डील करते हैं. एक और तरीका बॉन्ड ईटीएफ में निवेश का है.
आप शेयर बाजार की तरह ही बॉन्ड मार्केट से बॉन्ड ले सकते हैं. जी हां, कई बॉन्ड की ट्रेडिंग होती है. कई बार जरूरतमंद लोग अपने बॉन्ड को फेस वैल्यू से कम कीमत पर इन मार्केट में बेच देते हैं. लोग कम कीमत के बॉन्ड खरीदकर उनके मैच्योर होने पर अच्छा रिटर्न कमाते हैं.
मान लीजिए आपने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) को 3000 रुपए प्रति ग्राम के भाव पर खरीदा. लेकिन आपको 8 साल से पहले ही इस पैसे की जरूरत पड़ गई. तब आप इस बॉन्ड की बॉन्ड मार्केट में खरीद-फरोख्त कर सकते हैं. अब मानते हैं कि आपने इसे डिस्काउंट पर 2700 रुपए पर बेचा, यानी सामने वाले को बॉन्ड 3,000 की जगह 2,700 का ही पड़ा. अब खरीदार अगर इस बॉन्ड को मैच्योरिटी तक रखा रहे, तो उसे रिटर्न 3,000 की वैल्यू के हिसाब से ही मिलेगा और इसमें सस्ते में बॉन्ड खरीदने में हुई बचत एक्स्ट्रा होगी.