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Sleeper Vande Bharat : वंदे भारत का फर्स्ट स्लीपर लुक आया सामने , इस महीने दौडेगी पटरी पर

 
Sleeper Vande Bharat : वंदे भारत का फर्स्ट स्लीपर लुक आया सामने , इस महीने दौडेगी पटरी पर

Vande Bharat Sleeper Class : भारत की सेमी हाई स्पीड ट्रेन (Semi High Speed Train) वंदे भारत एक्सप्रेस इस समय भारतीय रेल की शान है। रेल मंत्रालय (Ministry of Railways) की कोशिश है कि इस ट्रेन को हर राज्य में चलाया जाए। तब भी इसकी डिमांड को लेकर आए दिन सांसद रेल मंत्री के पास पहुंचते रहते हैं।

अभी तक वंदे भारत में सिर्फ चेयर कार की ही व्यवस्था है। मतलब कि यात्री सिर्फ बैठ कर ही यात्रा कर सकते हैं। इसलिए इसे लंबी दूरी में नहीं लगाया गया है। लेकिन शीघ्र ही वंदे भारत लंबी दूरी भी तय करेगी।

रेलवे इसके लिए वंदे भारत का स्लीपर वर्जन ला रहा है। स्लीपर क्लास में अंदर का कैसा लुक होगा, इसे हम आपको दिखाते हैं।

वंदे भारत का स्लीपर लुक :

इन दिनों सोशल मीडिया पर वंदे भारत का स्लीपर बर्थ का फोटो फारवर्ड किया जा रहा है। रेलवे के जानकार बताते हैं कि वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के फर्स्ट वर्जन में कुल 857 बर्थ होंगे।

इनमें से 34 सीटें स्टाफ के लिए होंगे। मतलब कि पैसेंजर्स के लिए कुल 823 बर्थ उपलब्ध होंगे। इसके लिए डिजाइन को फाइनल कर लिया गया है। बताया जाता है कि चेन्नई के इंटेगरल कोच फैक्ट्री से पहला स्लीपर वंदे भारत ट्रेन अगले साल मार्च तक बाहर आ सकता है।

स्लीपर वंदे भारत में नहीं होगा पेंटी कार :

इस समय स्लीपर मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में जो भी लंबी दूरी तय करते हैं, उनमें एक पेंट्री कार वाला डिब्बा लगा होता है। बताया जाता है कि स्लीपर वंदे भारत में पेंट्री कार वाला डिब्बा नहीं होगा।

ऐसा डिजाइन बनाया गया है कि हर कोच में ही एक मिनी पेंट्री होगा। इससे उसी कोच के पैसेंजर्स को फूड आइटमों की सप्लाई होगी। हालांकि, पैसेंजर्स डिब्बे में ही मिनी पेंट्री बनाने से हर डिब्बे में चार के बजाय तीन ही टॉयलेट होंगे।

दे दिया गया है आर्डर :

देश में ही स्लीपर वंदे भारत बनाने के लिए रेल मंत्रालय (Ministry of Railways) ने रेल विकास निगम लिमिटेड (Rail Vikas Nigam Limited (RVNL) के रूसी कंपनियों के साथ बनाए गए ज्वाइंट वेंचर काइनेट रेलवे सॉल्यूशंस (Kinet Railway Solutions) के साथ एक समझौता किया है। Kinet Railway Solutions भारत में ही स्लीपर वंदे भारत के 120 ट्रेन सेट बनाएगी।

कंपनी के साथ इन ट्रेनों के अगले 35 वर्षों तक मेंटनेंस का भी कांट्रेक्ट हुआ है। मतलब कि इन ट्रेनों को मेंटनेंस के लिए रेलवे के कैरेज एंड वैगन (C&W) डिपार्टमेंट पर आश्रित नहीं रहना होगा।