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सरकार ने संसद में बताई हादसे की वजह, signaling सर्किट में गड़बड़ी से हुई दुर्घटना

 
सरकार ने संसद में बताई हादसे की वजह, signaling सर्किट में गड़बड़ी से हुई दुर्घटना

Mhara Hariyana News, New Delhi
Rail minister अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को राज्यसभा को बताया कि 'signaling-सर्किट-परिवर्तन' में चूक के कारण गलत Signal दिया गया और इसी वजह से दो जून को ओडिशा के बालासोर जिले में दुखद ट्रिपल Train accident हुई। इस हादसे में 295 लोगों की जान चली गई थी। 
अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में कहा कि रेलवे में पिछले पांच साल में Signal फेल होने के 13 मामले सामने आए हैं, लेकिन इंटरलॉकिंग Signal प्रणाली में खराबी के कारण कोई घटना नहीं हुई। Rail minister वैष्णव ने दो जून को ओडिशा के बालासोर में हुई रेल दुर्घटना को लेकर विभिन्न सदस्यों के सवालों के लिखित जवाब में यह जानकारी दी।

पहली बार रेलवे सुरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट से विवरण साझा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, Signal सर्किट-परिवर्तन में चूक के कारण और electric lifting बैरियर के प्रतिस्थापन से संबंधित signaling कार्य के निष्पादन के दौरान पीछे से टक्कर हुई थी। इन खामियों के कारण ट्रेन संख्या 12841 को गलत Signal दिया गया। 

जिसमें यूपी होम Signal ने Station की यूपी मुख्य लाइन पर रन-थ्रू मूवमेंट के लिए हरे रंग का संकेत दिया, लेकिन यूपी मुख्य लाइन को यूपी लूप लाइन (क्रॉसओवर 17 ए/बी) से जोड़ने वाले क्रॉसओवर को यूपी लूप लाइन पर सेट किया गया था; गलत signaling के परिणामस्वरूप ट्रेन नंबर 12841 यूपी लूप लाइन पर चली गई और अंततः वहां खड़े मालगाड़ी (नंबर एन/डीडीआईपी) के साथ पीछे से टक्कर हो गई। मंत्री राज्यसभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता जॉन ब्रिटास और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह के सवालों का जवाब दे रहे थे।

बता दें कि दो जून को हुई दुखद ट्रिपल Train accident में चेन्नई जाने वाली कोरोमंडल Expressस, हावड़ा जाने वाली शालीमार Expressस और एक मालगाड़ी शामिल थी। वैष्णव ने कहा कि 295 यात्रियों की जान चली गई, जबकि 176 को गंभीर चोटें आईं, 451 को साधारण चोटें आईं और 180 को प्राथमिक उपचार मिला और वे घर चले गए।

41 लोगों के अवशेषों की अभी तक नहीं हो सकी पहचान
उन्होंने एक अलग प्रश्न के उत्तर में कहा, पिछले पांच साल में Signal फेल होने के 13 मामले सामने आए हैं। उन्होंने सदन को सूचित किया कि बालासोर दुर्घटना में मारे गए 41 लोगों के अवशेषों की अभी तक पहचान नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा कि अज्ञात यात्रियों के शव एम्स, भुवनेश्वर में चिकित्सकीय रूप से निर्धारित तरीके से रखे गए हैं और सीएफएसएल, नई दिल्ली में विश्लेषण के लिए उनके डीएनए नमूने लिए गए हैं।

विभागीय जांच समिति और रेलवे सुरक्षा आयुक्त दुर्घटना के कारणों की जांच करने वाली मुख्य एजेंसियां हैं। वैष्णव ने सदन को यह भी बताया कि 16 जुलाई तक प्रत्येक मृतक के परिजनों को 10-10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 2-2 लाख रुपये और मामूली चोट के लिए प्रत्येक यात्री को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि के रूप में 29.49 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। उन्होंने कहा कि 13 जुलाई तक रेलवे दावा न्यायाधिकरण की विभिन्न पीठों में 258 दावे प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 51 दावों का निपटारा कर दिया गया है।

मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा, पिछले पांच साल में इंटरलॉकिंग Signal प्रणाली में खराबी के कारण कोई घटना नहीं हुई है... किसी भी विशेषज्ञ ने रेलवे की इंटरलॉकिंग Signal प्रणाली में कोई खामी नहीं बताई है।

1465 रूट किलोमीटर पर 'कवच' तैनात
राज्यसभा को यह भी बताया गया कि स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली 'कवच' अब तक दक्षिण मध्य रेलवे में 1,465 रूट किमी और 121 लोकोमोटिव (इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट रेक सहित) पर तैनात की गई है। दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर (लगभग 3,000 रूट किमी) के लिए कवच टेंडर दिए गए हैं और इन मार्गों पर काम जारी है। 


उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे अन्य 6,000 किमी के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट और विस्तृत अनुमान तैयार कर रहा है। कवच कार्यान्वयन पर अब तक खर्च की गई राशि 351.91 करोड़ रुपये है। कवच के Station उपकरण सहित ट्रैक साइड के प्रावधान की लागत लगभग 50 लाख रुपये प्रति किमी है और इंजन पर कवच उपकरण के प्रावधान की लागत लगभग 70 लाख रुपये प्रति इंजन है।


 उन्होंने कहा कि कवच की क्षमता बढ़ाने और कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए और अधिक वेंडर्स को विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। वैष्णव ने यह भी कहा कि 2017-18 से 2021-22 तक राष्ट्रीय रेल संरक्षण कोष (RRSK) के कार्यों पर 1.08 लाख करोड़ रुपये खर्च हुआ।