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एक महीने में तीन Khalistani आतंकी मारे गए: पाकिस्तान-कनाडा से भारत में फैलाते थे आतंक

 
एक महीने में तीन Khalistani आतंकी मारे गए: पाकिस्तान-कनाडा से भारत में फैलाते थे आतंक

Mhara Hariyana News, New Delhi
भारत समेत दुनिया के कई देशों में इन दिनों Khalistani आतंकियों का आतंक बढ़ गया है। आतंकियों ने भारत विरोधी गतिविधियों को तेज कर दिया है। पिछले दिनों Khalistani समर्थक अमृतपाल के जरिए भी भारत में दंगा भड़काने की साजिश हुई थी। भारत में अशांति फैलाने की चाहत रखने वाले यही Khalistani आतंकवादी अब एक-एक करके मारे जा रहे हैं। पिछले एक महीने के अंदर पाकिस्तान, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से भारत विरोधी ऑपरेशन चलाने वाले तीन आतंकी मारे जा चुके हैं। 

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर इन आतंकियों को कौन मार रहा है? क्या अब Khalistan का अंत नजदीक आ चुका है?  
पहले जानिए कौन-कौन आतंकी अब तक ढेर हो चुके हैं? 
1. हरदीप सिंह निज्जर : Khalistan टाइगर फोर्स का प्रमुख रहा हरदीप सिंह निज्जर कनाडा से भारत के खिलाफ ऑपरेशन चलाता था। रविवार शाम को गुरुद्वारा साहिब परिसर में ही दो अज्ञात हमलावरों ने हरदीप सिंह निज्जर को गोलियों से भून दिया। 
निज्जर भारत के जालंधर का रहने वाला था। 46 साल का निज्जर भारत के खिलाफ Khalistan समर्थक युवाओं को ट्रेनिंग दिलवाता था। इसके अलावा Khalistan की मांग को लेकर वह पाकिस्तान और भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले देशों से फंड जुटाता था। हरदीप भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल था। 
साल 2018 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कनाडा का दौरा किया था। उस दौरान उन्होंने कनाडा के प्रधानमंत्री को Khalistani मोस्ट वॉन्टेड अपराधियों की सूची सौंपी थी। इसमें हरदीप सिंह निज्जर का नाम भी शामिल था। 
 
2. अवतार सिंह खांडा : वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल की मदद करने वाला अवतार सिंह खांडा भी मर चुका है। पिछले ही हफ्ते ब्रिटेन के एक अस्पताल में उसकी मौत हुई। अवतार की मौत को लेकर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है। कुछ लोगों का दावा है कि उसे जहर देकर मारा गया है। मौत का कारण फूड पॉइजनिंग बताया जा रहा है।
 हालांकि, कुछ रिपोर्ट के अनुसार, उसे ब्लड कैंसर था। अवतार सिंह भारत के सिख युवाओं को देश के खिलाफ भड़काता था। पिछले दिनों भारत के कुछ सिख गायकों ने लंदन में उससे मुलाकात भी की थी। 
 
3. परमजीत सिंह पंजवड़ : Khalistan कमांडो फोर्स का प्रमुख और कुख्यात आतंकी परमजीत सिंह पंजवड़ भी मारा जा चुका है। सात मई को पाकिस्तान के लाहौर में किसी ने उसकी हत्या कर दी। पंजवड़ के पीछे पिछले 30 साल से भारत की कई एजेंसियां पड़ी थीं। Khalistan कमांडो फोर्स (केसीएफ) के प्रमुख परमजीत सिंह पंजवड़ उन कुछ उग्रवादी नेताओं में से था, जिसने 1990 के दशक के दौरान पंजाब में उग्रवाद की रीढ़ बनाई थी। 
उसने पंजाब में Khalistan के समर्थन की लहर जागृत कर दी थी। परमजीत सिंह पंजवड़ उग्रवादियों में शामिल होने से पहले केंद्रीय सहकारी बैंक में काम करता था। केसीएफ के पूर्व प्रमुख सुखदेव सिंह सुखा उर्फ जनरल लाभ सिंह पंजवड़ भी उसी गांव का था और उनके परिवार से संबंध हैं। पंजवड़ के विद्रोही बनने के लिए लाभ सिंह मुख्य स्रोत था। उसको देखकर बैंक में काम करने वाला एक साधारण सा आदमी देश का मोस्ट वांटेड आतंकी बन गया।

 तरनतारन जिले के पंजवार गांव में जन्मा परमजीत सिंह पंजवड़ 60 साल का था। यह गांव भारत-पाकिस्तान सीमा से ज्यादा दूर नहीं है। आतंकवाद के दौरान पंजवड़ अक्सर  चोरी-छिपे पाकिस्तान जाया करता था। वह पंजाब में बैठे-बैठे पाकिस्तान के साथ मिलकर देश की शांति को भंग कर रहा था।
 
इन आतंकियों को कौन मार रहा है? 
इसे समझने के लिए हमने रक्षा मामलों के जानकार कर्नल (रिटायर्ड) अरुण साहा से बात की। उन्होंने कहा, 'देश के बाहर रहने वाले आतंकवादियों की मौत रहस्यमयी तरीके से हुई है। आतंकवादियों के भी दुश्मन होते हैं। संभव है कि इन्हें भी इनके ही लोगों ने मार दिया हो।'

साहा के अनुसार, 'इन आतंकियों का खत्म होना भारत के लिए अच्छी खबर है। ये जिंदा रहते हुए भारत में Khalistan की पकड़ और मजबूत बनाने में जुट गए थे। जिस Khalistani जड़ों को इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के समय खत्म किया जा चुका था, उसे ये फिर से जिंदा करने की कोशिश करने लगे थे। इसके पीछे पाकिस्तान और चीन का हाथ भी है। ये दोनों देश भारत में स्थिरता नहीं चाहते हैं। यही कारण है कि बड़े पैमाने पर इन Khalistani आतंकियों को फंड मिलता है।'
 
तो क्या अब Khalistani खत्म हो जाएंगे? 

यही सवाल हमने कर्नल अरुण से पूछा। उन्होंने कहा, 'ये कहना अभी जल्दबाजी होगी। हालांकि, भारत सरकार ने कई ठोस कदम जरूर उठाए हैं। हमारी एजेंसियां Khalistani आतंकियों को लेकर सतर्क है और जरूरी कदम उठा रही है। ये जरूर है कि आने वाले दिनों में Khalistani मूवमेंट अब के मुकाबले कमजोर जरूर पड़ जाएगा।'

कर्नल अरुण ने कहा, 'Khalistan के जो समर्थक भारत में रहते हैं, उनके खिलाफ तो सरकार सीधे कार्रवाई कर सकती है, लेकिन बाहर रहने वालों पर शिकंजा कसना आसान नहीं होता है। ऐसे में सरकार कूटनीतिक तरीके से भी इसपर काम कर रही है। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका जैसे देशों के साथ मिलकर सरकार इस दिशा में काम कर रही है।'