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विदेशों में भी बज रहा वंदे भारत का डंका, रेलवे एक्सपोर्ट की तैयारी में जुटा

 
विदेशों में भी बज रहा वंदे भारत का डंका, रेलवे एक्सपोर्ट की तैयारी में जुटा

देश की सबसे प्रीमियम और पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत की मांग अब भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हो गई है. जानकारी के मुताबिक इस ट्रेन के लिए कई देशों ने अपनी दिलचस्पी दिखाई है. एक्सपर्ट की मानें तो कम कीमत और कई खासियत की वजह से वंदे भारत का डंका विदेशों में भी बजने लगा है. वैसे इसका एक्सपोर्ट कब से किया जाएगा यह तो तय नहीं है लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रेलवे ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है.


कुछ तकनीकी बदलाव के बाद यह विदेशी ट्रैक पर भी जल्द ही दिखेगी. सूत्रों के मुताबिक तीसरी पीढ़ी की वंदे भारत साल 2024 तक पटरी पर दौड़ने लगेगी. उसके बाद ही इसके एक्पपोर्ट का प्लान है.

इन देशों में दिखाई दिलचस्पी
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दक्षिण अफ्रीकी देश चिली, तंजानिया के अतिरिक्त यूरोप के कुछ देश, दक्षिण अमेरिका और पूर्वी एशिया के कई देशों ने इसको लेकर पहल की है.


वैश्विक बाजार में जाने से पहले
रेलवे सूत्रों के मुताबिक विदेश में एक्सपोर्ट करने से पहले देश में कम से कम 10 लाख किलोमीटर की दूरी तय करना चाहती है यह ट्रेन. सरकार का दावा है कि यह ट्रेन किसी भी मौसम में पटरियों पर दौड़ने के काबिल है. हाल ही में कश्मीर में भी वंदे भारत ट्रेन को लांच किया गया है.

नई तकनीक से साथ आएगी वन्दे भारत
अभी जो वंदे भारत ट्रैक पर दौड़ रही है उसमें तकनीकी तौर पर काफी अव्वल माना जाता है. ट्रेन में चलते हुए किसी भी तरह का कोई झटका नहीं लगता है. मसलन शोर विमान से 100 गुना तक कम है.

टिल्टिंग तकनीक आने वाली है
वन्दे भारत से जुड़े अधिकारी का दावा है कि आने वाले दिनों में इस ट्रेन में टिल्टिंग तकनीक शुरू होने वाली है. इस तकनीक से माध्यम से ब्रॉड गेज ट्रैक पर ट्रेन मुड़ती है और कोई मोड़ आता है तो स्पीड मेंटेन करने के लिए ट्रेन मोड़ पर झुकने में सक्षम होगी. इस तकनीक का इस्तेमाल आगामी 100 वंदे भारत ट्रेनों में किया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि 2025 2026 तक यह तकनीक आ जाएगी.

क्या है वंदे भारत की स्पीड
वंदे भारत को ट्रायल के दौरान 180 किलोमीटर प्रति घंटा तक चलाया गया. हालांकि, इसकी कमर्शियल ऑपरेशन के लिए अधिकतम स्वीकृत गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा है. दिल्ली से आगरा मथुरा रूट पर इस स्पीड से ट्रेन को दौड़ाया गया है. वैसे ज्यादातर रूट्स पर औसतन 110 kmph की स्पीड पर ही चलती है. फ्रांसीसी रेल कंपनी एल्सटॉम (Alstom) स्लीपर सुविधा के साथ 100 एल्यूमीनियम बॉडी वाली वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण करेगी.

क्या है ट्रेन को बनाने का खर्च
मौजूदा समय में वंदे भारत को बनाने में लगभग 100 से 120 करोड़ का खर्च आता है. साल 2018 में 16 डिब्बों के ट्रेन का कास्ट लगभग 115 करोड़ का आया था. मौजूदा समय में भारत में कालका मेल 25 डिब्बे वाली आईसीएफ टाइप ट्रेन की लागत लगभग 40.3 करोड़ है. वहां हावड़ा राजधानी 21 डब्बे वाली एलएचबी टाइप ट्रेन की लागत लगभग 61.5 करोड़ है. वहीं अमृतसर शताब्दी 19 डब्बे वाली एलएचबी टाइप ट्रेन की लागत 60 करोड़ है.

वंदे भारत एक्सप्रेस 15 फरवरी 2019 को देश में पहली बार चली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे वाराणसी से हरी दिखा कर दिल्ली के लिए रवाना किया था. वंदे भारत एक्सप्रेस में 16 वातानुकूलित डिब्बे हैं जिनमें से दो कार्यकारी श्रेणी के डिब्बे हैं. कुल बैठने की क्षमता 1,128 यात्रियों की है. वंदे भारत एक्सप्रेस को अपनी वितरित शक्ति के कारण लोकोमोटिव इंजन की आवश्यकता नहीं है. इसके कोच में ही इंजन लगा हुआ है.