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कौन थे वकील साहब, जिन्हें पीएम मोदी अपना गुरु मानते थे और प्रशंसक थे?

पीएम मोदी के अब तक के सफर में जो लोग उनसे प्रभावित हुए हैं. उनमें से एक वकील था. प्रधानमंत्री मोदी समय-समय पर इसका जिक्र करते रहे हैं. तारीफों के पुल बांधो. मन की बात के 100वें संस्करण में उन्होंने इन वकील साहब का जिक्र भी किया।
 
कौन थे वकील साहब, जिन्हें पीएम मोदी अपना गुरु मानते थे और प्रशंसक थे?

Mhara Hariyana News, न्यूज़ डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं. पार्टी सेवा के इस दिन को संगठन देश भर में कार्यक्रम आयोजित कर मनाएगा. खास बात यह है कि यह कार्यक्रम 17 सितंबर से महात्मा गांधी की जयंती यानी 2 अक्टूबर तक चलेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से ही देश की सेवा में लगे हुए हैं। दिलचस्प बात यह है कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से आज तक प्रधानमंत्री मोदी एक भी दिन छुट्टी पर नहीं गए हैं.

यदि पीएम की जीवनकथा देखें तो पीएम मोदी बहुत ही छोटी उम्र से इसी लगन और मेहनत के साथ काम कर रहे हैं, चाहे वह संघ के प्रचारक के रूप में हो, पार्टी के एक कार्यकर्ता के तौर पर हो या फिर देश के प्रधानसेवक के रूप में. इस लंबे सफर में कई शख्स ऐसे रहे, जिनसे पीएम मोदी बेहद प्रभावित रहे. उन्हीं में से एक वकील साहेब भी थे. गाहे-बगाहे पीएम मोदी इनका जिक्र करते रहे हैं. मन की बात के 100 वें संस्करण में भी उन्होंने इन वकील साहेब का जिक्र किया था.

कौन थे वकील साहेब
पीएम मोदी ने अप्रैल में मन की बात के 100 वें संस्करण में अपने संबोधन की शुरुआत में लक्ष्मण राव इनामदार का जिक्र किया था. पीएम मोदी ने इन्हें अपना मार्गदर्शक बताया था. यही इनामदार ही वकील साहेब थे. इनामदार का जन्म 1917 में पुणे के खटव गांव में हुआ था. इनामदार ने 1943 में पुणे विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री पूरी की थी और इसके बाद आरएसएस में शामिल हो गए थे.


पीएम मोदी से कैसे हुई मुलाकात
पीएम मोदी की वकील साहेब से पहली मुलाकात 1960 में हुई थी, जब वे महज दस साल के थे, इनामदार उस समय गुजरात में राष्ट्रीय स्वयं संघ के प्रांत प्रचारक थे. वह युवाओं को आरएसएस की शाखाओं से जुड़ने के लिए प्रेरित करते थे. वड़नगर में उनकी एक सभा में ही पीएम मोदी ने उनका भाषण सुना और बहुत प्रभावित हुए.

कब हुई दूसरी मुलाकात
2014 में प्रकाशित किशोर मकवाना की पुस्तक ‘कॉमन मैन नरेंद्र मोदी’ में इस किस्से का विस्तार से जिक्र किया गया है. इसमें बताया गया है कि 1969 में हाईस्कूल पास करने के बाद 17 साल की उम्र में पीएम ने वड़नगर छोड़ दिया था. पुस्तक में पीएम मोदी के हवाले से लिखा है कि ‘मैं कुछ करना चाहता था, राजकोट में रामकृष्ण मिशन आश्रम से यात्रा शुरू की और कोलकाता में हुगली के किनारे बेल्लूर मठ गया. यहां कुछ समय के बाद गुवाहाटी गया. बाद में अल्मोड़ा में स्वामी विवेकानंद के एक और आश्रम समय बिताया’ पुस्तक के मुताबिक पीएम मोदी दो साल बाद वड़नगर लौटे, लेकिन कुछ समय बाद अहमदाबाद रवाना हो गए जहां चाय की चाय की दुकान पर काम किया. यहीं उनका वकील साहेब से संपर्क हुआ. यह मोदी और वकील साहेब की दूसरी मुलाकात की. इसके बाद पीएम मोदी आरएसएस से जुड़ गए.

वकील साहेब से बहुत प्रभावित थे पीएम मोदी
2008 में एक पुस्तक प्रकाशित हुई थी ‘ज्योतिपुंज’ इसमें आरएसएस प्रचारकों की जीवनी थी, इसमें पीएम मोदी के हवाले से लिखा गया था कि इनामदार जी रोजमर्रा के उदाहरणों का उपयोग कर लोगों को समझाते थे. इसी बुक में उन्होंने बताया है कि किसी व्यक्ति की नौकरी में दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन इनामदार जी ने उसे नौकरी करने के लिए मना लिया था. पीएम मोदी के जीवन पर किताब लिखने वाले लोगों का मानना है कि उनके जीवन पर सबसे ज्यादा प्रभाव इनामदार का ही रहा. कठोर अनुशासन, मेहनत, लगन और मुद्दों पर पकड़ उन्हीं से मिली. बता दें कि 1984 में इनामदार जी का निधन हो गया था.