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सब कुछ तो ठीक है…पठान का जॉन अब्राहम से मार खाना नहीं पच रहा

Everything is fine… Pathan can't digest being beaten up by John Abraham
 
सब कुछ तो ठीक है…पठान का जॉन अब्राहम से मार खाना नहीं पच रहा
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पठान, पठान, पठान… अचानक ये खामोशी. चीख पुकार सीटियां सब बंद. भयंकर फाइट. पॉपकॉर्न उठाने के लिए हाथ उस डिब्बे में तो गया मगर 10-15 मिनट तक बाहर ही नहीं निकला. सामने सिक्स पैक वाला पठान ओह सॉरी 8 पैक वाला बुरी तरह पिट रहा था. बॉडी बिल्डर जॉन के मुक्के ऐसे बरस रहे थे जैसे खिलौने में चाभी भरने के बाद बंदर डमरू और ढोल बजाता है. पठान अब उठेगा, पठान फिर उठेगा, पठान मारेगा, पठान उठ…थियेटर में लोग ऐसे चिल्ला रहे थे जैसे अभी वहीं प्रकट हो जाएगा.


मद्रास कैफे का सोल्जर आज आतंकी था. जॉन की नसें ऐसे बाहर आ रहीं थीं कि लगा कि पठान तो गियो. मगर कहानी अभी बाकी है सो, प्लीज डोन्ट डिस्टर्ब. बगल वाले अंकल ऐसे खिसियाए, जैसे इनके वक्त के मिथुन चक्रवर्ती की बुराई कर दी गई हो. मिथुन की फाइटिंग से याद आया कि इनके जितने हाथ-पैर चलते थे उतना मुंह से हुआ..हुआ..वा की आवाजें आती थी. तभी अचानक पठान को होश आता है. कुछ पल को तो लगा कि सुनील शेट्टी की आत्मा पठान में घुस गई हो. खून से लथपथ पठान जमीन में रेंग रहा है. आंखों में देश बचाने का जज्बा मगर सामने जॉन अब्राहम बाप रे बाप…ये आदमी है कि ताकत का बूस्टर डोज. अरे भाई! ये तो वही है जो हाथों से गाड़ियां उठाकर फेंक देता है फिर उसके सामने 70 किलो का पठान क्या कर पाएगा?

आज की बड़ी खबरें
प्लीज, पठान बचा लो न…
पाकिस्तान बायोलॉजिकल वॉर रच रहा है. पूरी तैयारी हो चुकी है. किसी भी वक्त रिमोट का बटन दबेगा और नापाक साजिश कामयाब हो जाएगी. पठान प्लीज बचा लो. पठान मेरे देश को बचाओ न यार. यार ये 8 और 50 पैक क्या पैक ही रहेगा. इनको खोलो. अरे यार ये क्या बचा पाएगा, सनी देओल होता तो बात ही और होती. देखो तो जॉन की एक लात में पठान खिसकता चला जाता है. वो तो धन्य है दीवार थी वरना यहीं पर फिल्म खत्म हो जाती.

बस पठान रिमोट उठाओ
कुछ दूरी पर एक रिमोट पड़ा है. ये वही रिमोट है जिसके दबते ही भारत में तबाही आ जाएगी. ऐसी तबाही जो हिरोशिमा और नागासाकी से भी बड़ी होगी. पठान को किसी भी कीमत पर देश को बचाना ही होगा. बगल में बैठा कपल टेढ़ी-मेढ़ी मुद्रा को छोड़कर एकदम अनुलोम-विलोम करने वाली मुद्रा में आ गए. क्योंकि अब पठान मारेगा…


थैंक गॉड, बच गया देश…
वो क्या बोला था कि’पार्टी पठान के घर में रखोगे, तो मेहमान नवाजी के लिए पठान तो आएगा और साथ में पठाखे भी लाएगा’… पार्टी तो हो गई. जॉन अब्राहन ने दावत में आए भी और खूब बरसाए भी लेकिन आखिरी के कुछ मिनटों में पठान को होश आता है और इसी के साथ पूरे थियेटर का माहौल वैसा ही हो गया जैसे चुनाव जीतने के बाद नेता के घर के बाहर होता है. बाकी सब ठीक है. फिर क्या..वही जो बाकी फिल्मों में होता है. रिमोट पठान ले लेता है और देश को बचा लेता है….