Atiq-Ashraf हत्याकांड : Shooters ने Mafia के साबरमती Jail से निकलते ही रेकी कर शुरू कर दिया था ऑपरेशन Atiq
Mhara Hariyana News, Prayagraj
कैमरे के सामने Police हिरासत में हुई Mafia Atiq अहमद और उसके भाई Ashraf की हत्या को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। SIT को पूछताछ में मिली जानकारी यही संकेत देती है कि Shooters ने ''ऑपरेशन Atiq'' तो Mafia के साबरमती Jail से Prayagraj के लिए रवाना होने के साथ ही शुरू हो गया था।
शूटर पल-पल की जानकारी ले रहे थे। Police कस्टडी रिमांड मंजूर होते ही तीनों शूटर Prayagraj आ पहुंचे। हत्या की जगह से लेकर Shooters के ठहरने का ठिकाना तक तय दिख रहा है। अहम बात यह भी कि बगैर सिमकार्ड वाले दो मोबाइल फोन बरामदगी की बात अब हो रही है, Police ने उन्हें हत्याकांड के तुरंत बाद ही Hotel से बरामद कर लिया था।
SIT की पूछताछ में साफ हो चुका है कि तीनों Shooters को दो मददगार हर तरह से गाइड कर रहे थे। इनमें से एक मददगार स्थानीय है, जबकि दूसरा बाहरी। उसी ने रास्तों से परिचय कराया। शक है कि इसी ने बताया था कि कहां पर शूटर ठहरें। स्थानीय मदद का लाभ उठाते शूटर हत्याकांड के तीन दिन पहले यहां पहुंच गए और खुल्दाबाद थाने से लगे ऐसे Hotel में ठहरे, जहां से काॅल्विन अस्पताल की दूरी चंद मिनटों में तय की जा सकती है।
1600 रुपये का था कमरा
Mafia के हत्यारे शहर में कब दाखिल हुए और किन लोगों से उनकी मुलाकात हुई? मंडलीय अस्पताल के नजदीक Hotel में उनके ठहरने का बंदोबस्त किसने कराया? इनका सटीक जवाब आना अभी बाकी है।
Prayagraj जंक्शन के सामने स्थित Hotel स्टे-इन में तीनों Shooters के ठहरने के लिए वातानुकूलित कमरा 1600 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से बुक कराया गया था। जिस कमरा नंबर-203 में तीनों शूटर ठहरे थे, उसकी चाभी Atiq-Ashraf हत्याकांड के अगले दिन (16 अप्रैल) से एसटीएफ के पास है।
Hotel प्रबंधक मोहित भी यही बताते हैं कि हत्या के दूसरे दिन ही Police Hotel आई थी। तीनों युवक जिस कमरे में ठहरे थे, वहां की तलाशी लेने के बाद कमरे की चाभी और Hotel में लगे सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग (डीवीआर), आगंतुक रजिस्टर, Shooters की आईडी व अन्य रिकार्ड भी Police ले गई थी।
अलग-अलग निकलते थे Hotel से
Hotel प्रंबधक के मुताबिक, तीनों युवक 13 अप्रैल की रात 8:30 बजे Hotel में दाखिल हुए थे। उसके बाद तीन दिन तक सभी बाहर गए जरूर, लेकिन बारी-बारी से। तीनों कभी भी एक साथ बाहर आते-जाते नहीं दिखे। बाकी अपनी जरूरतों के हिसाब से नाश्ता, खाना, पानी की बोतलें या कॉफी Hotel की रूम सर्विस सेवा के जरिए मंगा लिया करते थे।
कत्ल के लिए मुफीद था कॉल्विन गेट
Police सूत्रों का कहना है कि पेशी वाले दिन ही रेकी करके Atiq-Ashraf की हत्या के लिए मुफीद स्थान चुन लिया गया था। यह जगह थी काॅल्विन अस्पताल का गेट। शक है कि इसी कारण उन्हें काॅल्विन अस्पताल के नजदीक वाले Hotel में ठहराया गया।
रिमांड पर लिए जाने के बाद Atiq-Ashraf को पहली रात 10:30 बजे जब धूमनगंज थाने ले जाया गया, तो वहां बैरिकेडिंग करा दी गई थी, ताकि कोई फरियादी तक थाना परिसर में दाखिल न हो सके। अभेद्य सुरक्षा निगरानी में दोनों भाइयों से उस रात 3:30 बजे तक पूछताछ चली।
सवाल...क्यों हुआ रोजाना मेडिकल चेकअप
Mafia भाइयों को Police हिरासत में लिए जाने से पहले सीजेएम कोर्ट के निर्देश पर चिकित्सकीय परीक्षण कराया जा चुका था। दोबारा चिकित्सकीय परीक्षण 17 अप्रैल को हिरासत की अवधि पूरी होने पर कराया जाना था, लेकिन रिमांड पर लिए जाने के बाद 14 अप्रैल से ही उन्हें लगातार दो दिन तक काॅल्विन हॉस्पिटल लाया जाता रहा। यह किसके आदेश पर हुआ, इस सवाल पर Police मौन है।
सुरक्षाकर्मियों की फौज से बेखौफ थे तीनों शूटर
उमेश पाल और Atiq-Ashraf हत्याकांड के दौरान हत्यारों के अंदाज जुदा पाए गए हैं। उमेश पाल ही हत्या के समय Shooters ने उनके सुरक्षा गार्डों को भी गोली-बम से उड़ा दिया था। दोनों गनर की मौत से साफ है कि उमेश के Shooters को शक था कि सुरक्षाकर्मी मौका पाते ही उनको निशाना बना सकते हैं।
इसी कारण उमेश के साथ सिपाहियों को भी मारा डाला, लेकिन Atiq-Ashraf के Shooters ने न सिर्फ मुफीद समय और जगह का चयन किया, बल्कि वहां मौजूद Police या अन्य लोगों पर गोली नहीं चलाई। अत्याधुनिक हथियारों से लैस होते हुए भी Police कर्मियों ने Shooters को कोई जवाब नहीं दिया। Shooters ने सिर्फ Atiq-Ashraf को ही करीब से लक्ष्य बनाकर गोली से उड़ा दिया था। इस तरह जैसे उन्हें Police का कोई डर ही नहीं था।