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जेल में रसूख और रिश्वत के दम पर बाहुबलियों को मिलती हैं सुविधाएं

कंप्यूटर में फीड होता है मुलाकातियों का डाटा
 
जेल में रसूख और रिश्वत के दम पर बाहुबलियों को मिलती हैं सुविधाएं
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Mhara Hariyana News, Bareilly

बरेली जेल में बंदियों से मुलाकात करने के लिए औपचारिकताएं पूरी करने में आम लोगों को पसीना छूट जाता है, लेकिन अशरफ जैसे रसूखदारों के लिए इनका कोई मतलब नहीं है। दबंगई, रसूख और रिश्वत के दम पर ऐसे अपराधी जेल के अंदर से अपनी बादशाहत चलाते रहते हैं।

जेल में किसी भी बंदी से एक बार में तीन लोग ही मुलाकात कर सकते हैं। मुलाकात से पहले जेल के बाहर ही मोबाइल जमा करना पड़ता है। आधार कार्ड और कोरोनारोधी टीकाकरण के प्रमाणपत्र की छायाप्रति के साथ दस रुपये भी जमा करने होते हैं।

कंप्यूटर में फीड होता है मुलाकातियों का डाटा

मुलाकातियों का डाटा जेल के कंप्यूटर में फीड करने के साथ ही उनके फोटो खींचकर सुरक्षित रखे जाते हैं। उसके बाद मुलाकातियों को मिलने की पर्ची दी जाती है। जिन बंदियों से परिजन मिलने पहुंचते हैं, उन बंदियों को जेल में एक टिन शेड में एकत्र किया जाता है।

मुलाकातियों से उनके आधार कार्ड की छायाप्रति पर अंगूठा लगवाया जाता है और उनके हाथ पर मााहर लगाकर जेल के गेट पर भेज दिया जाता है। गेट पर तैनात संतरी मुलाकातियों से बेल्ट और सिम, चिप आदि इलेक्ट्रॉनिक सामाना बाहर ही रखने को कहता है।

जेल के अंदर रुपये और जरूरी कागजात अनुमति और मशीन से स्कैन होने के ले जाए जा सकते हैं। जेल में पहुंचने से पहले संतरी हाथ पर लगी मुहर देखता है इसके बाद सघन तलाशी के बाद बंदियों से मुलाकात कराई जाती है। 

अशरफ के मामले में यहां हुआ खेल
अशरफ के मामले में गिरफ्तार सिपाही शिवहरि अधिकारियों और अपराधियों के बीच का अदना सा मोहरा है। सूत्र बताते हैं कि सिपाहियों के जरिये अधिकारी बड़े अपराधियों से उगाही कर रहे थे और बदले में सुविधा मिल रही थी। 
अशरफ से मुलाकात करने वालों को अलग ले जाकर घंटों मिलवाया जाता था। गिरफ्तार हुआ सिपाही यह काम अकेले कर ही नहीं सकता, इसलिए अधिकारियों की मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं। 

अशरफ से मुलाकात करने वालों के आधार कार्ड, कोरोना वैक्सीनेशन प्रमाणपत्र और फोटो लिए गए या नहीं, यह भी जांच के बाद पता चलेगा। बिना हाथ पर मुहर लगे अंदर जाना संभव नहीं है। ऐसे में सिपाही शिवहरि किसी को अपने साथ अंदर लेकर कैसे जा सकता है? ऐसे कई सवालों के जवाब अभी तक नहीं मिल सके हैं।
 
अपराधियों से होती है वसूली

जेल में सुविधाओं के नाम पर वसूली का खेल चलता है। बड़े अपराधियों और माफिया के जेल पहुंचने पर सिपाही शिवहरि के जरिये वसूली की जाती थी और उसके बदले सुविधा दी जा रही थीं। बैरक बदलने के लिए भी जेल में वसूली का खेल चल रहा था। 

डीजी जेल ने वीसी में की पूछताछ
बरेली जिला जेल में अशरफ को मिल रहे वीआईपी ट्रीटमेंट के मामले में जिला जेल के अफसरों पर शिकंजा कस गया है। प्रभारी डीआईजी जेल आरएन पांडेय ने शुक्रवार को जेल पहुंचकर मामले की विभागीय जांच की।डीजी जेल स्तर से आरएन पांडेय को मामले में जांच अधिकारी बनाया गया है। उन्होंने जेल का मुआयना करने के साथ ही जेल अधीक्षक से सवाल पूछे।  संबंधित स्टाफ के बयान दर्ज कर जेल का रिकॉर्ड भी चेक किया। जेल चौकी प्रभारी अनिल कुमार के भी बयान दर्ज किए जाएंगे, जिन्होंने बिथरी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।