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शिक्षा की ताकत! हथियार थामने वाले हाथों में कलम, 10वीं के एग्जाम की तैयारी में जुटे 6 नक्सली

The power of education! Pen in arms holding hands, 6 naxalites preparing for 10th exam
 
शिक्षा की ताकत! हथियार थामने वाले हाथों में कलम, 10वीं के एग्जाम की तैयारी में जुटे 6 नक्सली
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कभी हाथ में राइफल थामे रहने वाले करण हेमला अब कलम पकड़ कर बेहतर भविष्य की उम्मीद में छत्तीसगढ़ में 10वीं की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. वर्ष 2005 के दौरान बस्तर संभाग में नक्सल विरोधी आंदोलन सलवा जुडूम की शुरुआत के साथ शुरू हुई हिंसा के बाद 26 वर्षीय हेमला को पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. कभी Naxalite रहे हेमला आत्मसमर्पण कर चुके हैं. हेमला अब फिर से पढ़ाई शुरू करने और साक्षर बनने के अपने सपने को पूरा करने का अवसर पाकर रोमांचित हैं.


हेमला उन छह नक्सिलयों – तीन पुरुष और तीन महिलाएं – में शामिल हैं, जिन्होंने कबीरधाम जिले के कवर्धा शहर में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. जिला पुलिस के इन्हें शिक्षित करने के अभियान के तहत आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों ने ओपन स्कूल एग्जामिनेशन की 10वीं कक्षा की परीक्षा के लिए फॉर्म भरे हैं. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली, जिनमें दो दंपति भी शामिल हैं, कबीरधाम जिले में छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश सीमा से सटे जंगलों में सक्रिय थे और 2019 तथा 2021 में इनका पुलिस से आमना-सामना हुआ था.

डर के चलते छात्रों ने छोड़ी पढ़ाई
नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के काकेकोरमा गांव के मूल निवासी हेमला 2005 में एक स्कूल में सातवीं कक्षा के छात्र थे. हेमला ने कहा, बस्तर संभाग के अंदरूनी इलाकों में कई स्कूल बंद हो गए और छात्रों को डर के चलते पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. हेमला के अलावा उनकी पत्नी अनीता ने सामान्य जीवन जीने के लिए 2019 में आत्मसमर्पण कर दिया था.

हेमला ने कहा, हम दोनों पढ़ने के इच्छुक थे. मेरी पत्नी ने संगठन (नक्सली संगठन) में काम करते हुए लिखना सीखा. आत्मसमर्पण करने के बाद, हम शिक्षा हासिल करना चाहते थे और अब हम स्थानीय पुलिस की मदद से ऐसा कर रहे हैं.

अब नौकरी का है इरादा
आत्मसमर्पण करने वाले अन्य दंपति – मंगलू वेको (28) और उनकी पत्नी राजेस (25) – भी पढ़ाई का अवसर पाकर खुश हैं. वेको ने कहा कि वह शिक्षा पूरी करने के बाद अपने बच्चे को बेहतर जीवन देने के लिए नौकरी करना चाहते हैं. कबीरधाम के पुलिस अधीक्षक लाल उमेद सिंह ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों द्वारा पढ़ने की इच्छा व्यक्त करने के बाद उन्हें किताबें प्रदान की गईं और 10वीं कक्षा की परीक्षा के लिए आवेदन करने में मदद की गई.