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जयसिंह फुटेला के जन्मदिन पर 35 परिजनों और मित्रगणों ने किया रक्तदान

थैलीसीमिया पीडि़तों की मदद के लिए हर आयोजित करता है रक्तदान शिविर
 
blood donation camp

Mhara Hariyana News, Sirsa
सिरसा।  थैलीसीमिया पीडि़तों की मदद के लिए  गांधी कालोनी सिरसा निवासी 32 वर्षीय जयसिंह फुटेला पुत्र मुरारी लाल फुटेला ने अपने जन्मदिन पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया जिसमें 35 परिजनों और मित्रगणों ने  रक्तदान किया। सभी रक्तदाताओं को शिव शक्ति ब्लड बैंक की ओर से प्रमाण पत्र और उपहार भेंटकर सम्मानित किया गया। जय सिंह ने सभी रक्तदाताओं का आभार व्यक्त किया।


गौरतलब हो कि गांधी कालोनी सिरसा निवासी जयसिंह फुटेला पुत्र मुरारी लाल फुटेला ने संकप्ल लिया कि वह रक्तदान शिविर आयोजित कर  थैलीसीमिया पीडि़तों की मदद करेगा। वह पिछले तीन साल से अपने जन्मदिन पर रक्तदान शिविर का आयोजन करता आ रहा है और लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित करता है। जब भी कभी किसी  थैलीसीमिया पीडि़तों को रक्त की जरूरत पड़ती है तो अपने रक्तदाता मित्रों से संपर्क कर रक्त की कमी को पूरा करता है। वाल्मीकि चौक स्थित शिव शक्ति ब्लड बैंक में अपने जन्मदिन पर तीसरा रक्तदान शिविर का आयोजन किया।  जिसमें जयसिंह फुटेला के  35 परिवारजनों और मित्रगणों ने  रक्तदान किया। रक्तदाताओं में जयसिंह के परिवारजन और मित्रों में मोहित सचदेवा, निखिल, बृजेश, रितिक,रक्षित,अजय,सुरेंद्र, निशा,राजकुमार बब्बर, सोनू फुटेला,अभय राघव, मोहित सचदेवा आदि मौजूद रहे।


इस अवसर पर थैलीसीमिया सोसायटी सिरसा के प्रमुख एवं वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ प्रवीण अरोड़ा भी मौजूद थे।  डा. अनिल जैन ने इस शिविर के आयोजन में अहम योगदान दिया।  शिव शक्ति ब्लड बैंक की ओर से डा.आरएम अरोडा और स्टाफ ने सभी रक्तदाताओं को प्रमाण पत्र और उपहार भेंटकर सम्मानित किया। इस मौके पर थैलीसीमिया सोसायटी सिरसा के प्रमुख  डॉ प्रवीण अरोड़ा ने कहा कि थैलीसीमिया  बच्चों को माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलने वाला रक्त-रोग है। इस रोग के होने पर शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में गड़बड़ी हो जाती है जिसके कारण रक्तक्षीणता के लक्षण प्रकट होते हैं।  इसकी पहचान तीन माह की आयु के बाद ही होती है। इसमें रोगी बच्चे के शरीर में खून की भारी कमी होने लगती है, जिसके कारण उसे बार-बार बाहर से खून की आवश्यकता पड़ती है। थैलेसीमिया दो प्रकार का होता है। यदि पैदा होने वाले बच्चे के माता-पिता दोनों के जींस में माइनर थैलेसीमिया होता है, तो बच्चे में मेजर थैलेसीमिया हो सकता है, जो काफी घातक हो सकता है। किन्तु माता-पिता में से एक ही में माइनर थैलेसीमिया होने पर किसी बच्चे को खतरा नहीं होता। यदि माता-पिता दोनों को माइनर रोग है तब भी बच्चे को यह रोग होने के 25 प्रतिशत संभावना है। अत: यह जरूरी है कि विवाह से पहले महिला-पुरुष दोनों इस संबंध में अपना टेस्ट कराएं। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत देश में हर साल सात से दस हजार थैलीसीमिया पीडि़त बच्चों का जन्म होता है।  भारत की कुल जनसंख्या का 3.4 प्रतिशत भाग थैलेसीमिया ग्रस्त है।