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भाई गोपाल के पथ पर चलते हुए मंझे हुए राजनेता बने गोबिंद कांडा

रानियां में पहले चौ. रणजीत सिंह को तो ऐलनाबाद उपचुनाव में अभय सिंह को दी कड़ी टक्कर
 
govind kanda
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Mhara Hariyana News,Sirsa। विधायक गोपाल कांडा के छोटे भाई गोबिंद कांडा का दशहरे वाले दिन यानि पांच अक्टूबर को जन्मदिन है। विधायक गोपाल कांडा की गैर मौजूदगी में गोबिंद कांडा अपनी जिम्मेवारी बखूबी निभा रहे हैं वहीं भाजपा के प्रतिनिधि के रूप में भी लगातार जनसंपर्क में जुटे रहते हैं।

Gobind Kanda became a seasoned politician following the path of Bhai Gopal

सुबह से लेकर देर रात्रि तक जनसंपर्क में व्यस्त रहते हैं और आम लोगों के बीच रहते हैं तभी तो उनकी लोकप्रियता का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। 


रानियां में दिग्गजों के छुड़वाए पसीने 
बात अगर गोबिंद कांडा के राजनैतिक सफर की करें तो जहां भाई गोपाल कांडा ने सिरसा विधानसभा को अपनी कर्म भूमि बनाया तो गोबिंद ने रानियां हलका को चुना।

Gobind Kanda became a seasoned politician following the path of Bhai Gopal

पहले चुनाव में दिग्गजों की मौजूदगी के बावजूद शानदार प्रदर्शन किया तो दूसरी बार फिर इसी सीट से उतर कर दिग्गज नेता चौ. रणजीत सिंह को कड़ी टक्कर दी। विधायक गोपाल कांडा ने जब भाजपा सरकार को समर्थन दिया तो गोबिंद कांडा ने भगवा ध्वज थाम कर भाजपा ज्वाइन की। इनके पिता स्व. मुरलीधर कांडा भी जनसंघी रहे हैं और परिवार ने वर्षों पार्टी की सेवा की है। अपने पिता की भांति लगातार पार्टी के लिए काम कर रहे हैं।

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उपचुनाव में अभय को दी कड़ी टक्कर 
ऐलनाबाद उपचुनाव में जब एक तरफ इनेलो के अभय सिंह मैदान में थे तो दूसरी तरफ कांग्रेस के पवन बैनीवाल इनके बीच गोबिंद कांडा भाजपा प्रत्याशी के रूप में उतरे। किसान आंदोलन व केंद्र सरकार से वोटरों की नाराजगी के बावजूद गोबिंद कांडा ने चुनावी माहौल को एकतरफा बना दिया। ऐलनाबाद में बेशक जीत अभय सिंह की हुई परंतु इसमें कोई दोराय नहीं कि रानियां के बाद ऐलनाबाद हलके में भी गोबिंद कांडा ने अपनी दक्षता साबित की। जिसके चलते पार्टी हाईकमान की निगाह में उनका कद और बढ़ गया। 

 

बाबा तारा की पूजा अर्चना से शुरू होती है दिनचर्या
गोबिंद कांडा की दिनचर्या पर निगाह डालें तो सुबह सवेरे इनकी शुरूआत होती है अपने गुरु बाबा तारा जी की पूजा अर्चना से। भगवान भोलेनाथ का विधिविधान से पूजन करते हैं। उनसे सबके लिए मंगल की कामना करते हैं। उसके बाद उनका लोगों से मिलने का कार्यक्रम शुरू हो जाता है बाद में वे पार्टी व सरकार के कार्यों के संबंध में आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। दोपहर को अपने कार्यालय में जनसमस्याएं सुनते हैं। रात्रि में विभिन्न धार्मिक संस्थाओं द्वारा आयोजित जागरण, सत्संग इत्यादि कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। गोपाल कांडा की दानवीर छवि को गोबिंद कांडा ने और आगे बढ़ाया है। समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलना, उनके सुख दुख में शामिल होना, तीज त्योहार, पर्व की खुशियों में जाना इत्यादि गतिविधियों ने गोबिंद कांडा को जिले के कद्दावर नेताओं में खड़ा कर दिया है।