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गुरुजी के आह्वान पर साध संगत ने जरूरतमंदों की मदद कर मनाई दीवाली

On Guruji's call, Sadh Sangat celebrated Diwali by helping the needy

 
On Guruji's call, Sadh Sangat celebrated Diwali by helping the needy
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Mhara Hariyana News:

बरनावा। दीपावली के पावन पर्व पर सोमवार को पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां देश-विदेश की साध-संगत से ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम मुखातिब हुए और सभी को दीपावली के पर्व की बधाई दी।

On Guruji's call,

उत्तर प्रदेश के जिला बागपत स्थित शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा से पूज्य गुरु जी ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम से साध-संगत से रूबरू होते हुए दीपावली के पावन पर्व पर मानवता भलाई कार्यो में कई नए कार्य शुरू करने का साध-संगत से आह्वान किया। जिस पर साध-संगत ने हाथ खड़े करके इन कार्यो को करने की हामी भरी और प्रण लिया।

पूज्य गुरु जी ने सही अर्थो में दीवाली मनाने के बारे में बताते हुए साध-संगत से आह्वान किया कि वे इस दिन को रोड पर बैठे, बस स्टैंड पर बैठे, रेलवे स्टेशन पर बैठे और कही घूमते अपंग, अपाहिज, अंगहीन, बेसहारा का सहारा बनके उसे महीने भर का राशन दे दें।  पूज्य गुरु जी ने कहा कि हमारे हिसाब से इससे अच्छी दीवाली कोई और नहीं हो सकती।

पूज्य गुरु जी ने कहा कि इस दिन सभी लोग नए-नए कपड़े पहनते है, इसलिए साध-संगत से आह्वान करते है की सर्दी आने वाली है, जिसमें गरीब बच्चे सर्दी के कारण बीमार पड़ जाते है और इससे कईयों की तो मौत तक हो जाती है। इसलिए इस दिन साध-संगत ऐसे गरीब लोगों और उनके बच्चों को कपड़े पहनाकर आए। इसके अलावा त्योहार के अवसर पर पेड़ जरूर लगाए तथा जो जरूरतमंद है और बीमार पड़े है, उनका इलाज भी साध-संगत जरूर कराए । गर्भवती महिलाओं को  स्वस्थ भोजन जरूर दें, ताकि उनकी आने वाली संतान सही सलामत पैदा हो।

वहीं पूज्य गुरु जी ने दीपावली के पावन पर्व पर कुपोषण के शिकार बच्चों का इलाज कराने और उन्हें खुराक देने का भी  आह्वान किया। पूज्य गुरु जी ने कहा कि यह सभी महान कार्य है और जो इन्हें करेंगें उन्हें भगवान जी जरूर खुशियां देंगे। इससे साध-संगत के घरों में खुशियों के और चार-चांद लग जाएंगे। इस दौरान साध-संगत ने हाथ खड़े करके इन सभी कार्यो को करने का भी संकल्प लिया।

पूज्य गुरु जी ने साध-संगत से आह्वान करते हुए कहा कि वे जो भी त्योहार आएंगे उन पर गरीब लोगों को कपड़े और खाना जरूर पहुंचाएंगे और त्योहार को इस नजरिये से मनाएंगे।


                   पूज्य गुरु जी ने कहा कि दीपावली का दिन राम जी का दिन है, न की रावण का दिन है। रामजी को फोलो करने वाला कोई-कोई है और रावण को फोलो करने वाले बहुत सारे है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि आज के दिन लोग नशा करते है,  तरह-तरह की पार्टिया देते है। जिसमें तरह-तरह के नशे चलते है। इस दिन जुआ खेला जाता है, जिसे लोग इंज्वाय मेंट कहते है।

आज का दिन इसलिए मनाया जाता है, जब बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। राम जी बुराईयों का खात्मा करके अयोध्या नगरी में पधारें थे, इसलिए दीपावली को मनाया जाता है।

इस दिन को लोगों ने घर-घर दिये जलाए थे। पूज्य गुरु जी ने साध-संगत से आह्वान किया कि वे इस दिन अपने अंदर की बुराईयों को जरूर छोड़े। अपनी जो लाइफ गुजर चुकी है, एकांत में बैठकर उसके बारे में जरूर सोचे और ज्यादा नहीं तो अपनी एक-दो, तीन बुरी आदतों को छोड़ने का प्रण जरूर करें। बुराईयों को छोड़ने का प्रण करें, यहीं साध-संगत की  सच्ची दीवाली होगी। पूज्य गुरु जी ने कहा कि बुरे कर्म तो सभी करते है।

अच्छा है कोई अपने बुरे कर्म को इस दिन छोड़ता है। इस दौरान साध-संगत ने हाथ खडे करके बुराईयां छोड़ने का प्रण लिया। पूज्य गुरु जी ने कहा कि त्योहार मनाने का असली रूप ये है। लोग अपने घरों की सफाई करते है जोकि वैज्ञानिक तौर पर अच्छी बात है। क्योंकि इससे बहुत से बैक्टीरिया, वायरस खत्म हो जाते है। यह मनुष्य के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए एक तोहफा है।

जोकि दीवाली के दिन श्रीरामजी ने इनड्रेक्टली हम लोगों को दे दिया। पूज्य गुरु जी ने कहा कि जिस प्रकार अपने बाहर के घरों को साफ करते है, उसी प्रकार शरीर रूपी घर, जो उस ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु ने बनाया है, उसके अंदर से कचरे को साफ करना चाहिए। पूज्य गुरु जी ने कहा कि जो ऐसा करेंगे, उनके लिए भगवान से प्रार्थना करते है कि वो आपके अंदर  ऐसी एक प्रकाश की किरण भेजे, जिससे आपको खुशियां मिले और आपके गम, चिंता, दुख दूर हो जाए।

दीपावली का शब्द दीप प्लस अवली से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ दीपों की अवली अर्थात दीयों की कतार या पंक्ति से है। पूज्य गुरू जी ने कहा कि एक प्रकार से दीपावली का त्योहार एक यज्ञ है।

क्योंकि जब घी या तेल के दिये जलाते है तो उससे भी वातावरण साफ होता है। घी व तेल के जलने से उसकी खूशबू वातावरण में फैलती है तो इससे मनुष्य के अंदर अच्छे विचार आने लगते थे और नकारात्मकता दूर होती थी तथा बैक्टीरिया, वायरस खत्म होते थे।