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धार्मिक व्यक्ति की परमात्मा, गुरू व ग्रंथ में अटूट श्रद्धा होती है : स्वामी राजेन्द्रानन्द जी महाराज

Religious person has unwavering faith in God, Guru and scripture: Swami Rajendranand Ji Maharaj
 
Religious person has unwavering faith in God, Guru and scripture: Swami Rajendranand Ji Maharaj
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Mhara Hariyana News: 
सिरसा

बिश्नोई सभा सिरसा के तत्वावधान में श्री गुरू जम्भेश्वर मन्दिर परिसर में चल रही साप्ताहिक जाम्भाणी हरिकथा के पांचवें दिन श्रद्धेय स्वामी राजेन्द्रानन्द जी महाराज ने अपने सम्बोधन में संतों के सान्निध्य का महत्व बताते हुए कहा कि संतों की संगति से मनुष्य भवसागर से पार हो जाता है। उन्होंने स्वाध्याय व प्रात: सायं संध्या तथा प्रभु सिमरन करने पर जोर देते हुए कहा कि हमें मन, वचन व कर्म से किसी का बुरा नहीं करना चाहिए।

उन्होंने लक्ष्मण रेखा का वृत्तान्त सुनाते हुए कहा कि हमें भी गुरू जाम्भोजी ने29 नियमों की आचार संहिता रूपी रेखा दी है। यदि हम इसकी पालना न करके रेखा से बाहर आएंगें तो दुख उठाना पड़ेगा।

विज्ञान और धर्म पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि विज्ञान बाह्य यात्रा है जबकि धर्म की यात्रा आंतरिक है। उन्होंने वाणी को विचार करके बोलने को कहा और बताया कि शब्द औषधि व घाव दोनों का काम करता है। हमें जीवन में हर छोटी-मोटी खरीद के लिए धन की आवश्यकता होती है जबकि मुक्ति अर्थात मोक्ष पाने कके लिए किसी धन की आवश्यकता नहीं पड़ती, फिर भी मनुष्य इसके लिए प्रयास नहीं करता, यह एक बड़ा आश्चर्य है।


आज की कथा में बिश्नोई सभा सिरसा के प्रधान खेमचन्द बैनीवाल, सचिव ओ.पी. बिश्नोई, उपाध्यक्ष कृष्णपाल बैनीवाल, सहसचिव भूपसिंह कस्वां, जगतपाल कड़वासरा, कार्यकारिणी सदस्य सुशील कुमार बैनीवाल, कृष्णपाल बैनीवाल, रूलीराम गोदारा, अमरसिंह पूनियां, देशकमल बिश्नोई, महासभा मुकाम उपाध्यक्ष सोमप्रकाश बिश्नोई, जिलाध्यक्ष रिछपाल बैनीवाल, सेवक दल जिला प्रधान कृष्ण कुमार सीगड़, सचिव अजय सिंह धायल सहित इन सभाओं के सदस्यों के अतिरिक्त   भूमि विकास बैंक सिरसा के चेयरमैन सुखबीर सिंह सिंवर सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

कथा में ढांड, महलसरा गऊशाला के प्रतिनिधि भी उपस्थित हुए तथा सभा द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया। आज के दिन अवकाश के कारण भारी संख्या में महिलाओं व पुरूषों के साथ-साथ छात्र-छात्राएं भारी संख्या में उपस्थित थे। उनके अभिभावकों द्वारा आगामी माह में होने वाली जाम्भाणी साहित्य ज्ञान परीक्षा 2022 हेतु पंजीकरण भी करवाया गया। कथा का समापन आरती व प्रसाद वितरण से हुआ।