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संदीप चौधरी को मिला साल-2022 का छत्रपति सम्मान

देश के विभाजन काल से चल रहा है राजनीति और धर्म का घालमेल: संदीप चौधरी
 
 
संदीप चौधरी को मिला साल-2022 का छत्रपति सम्मान
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Mhara Hariyana News, Sirsa

सिरसा।

वरिष्ठ पत्रकार एवं न्यूज 24 के कार्यकारी संपादक संदीप चौधरी ने कहा कि राजनीति और धर्म का घालमेल आज से शुरू नहीं हुआ है। इसके बीज देश के विभाजन से भी पहले बो दिए गए थे। यह एक प्रकार की खरपतवार है। शहीद रामचंद्र छत्रपति जैसे पत्रकार समय-समय पर इस खरपतवार को काटते हैं, लेकिन यह फिर से बढ़ती है। संदीप चौधरी रविवार को शहीद पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के शहादत दिवस के उपलक्ष्य में संवाद सिरसा द्वारा शुरू किए गए छत्रपति सम्मान समारोह के अंतर्गत पंचायत भवन, सिरसा में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।

2010 में ये सम्मान संवाद सिरसा संस्था द्वारा शुरू किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता अंशुल छत्रपति ने की। मंच संचालन संस्था के संरक्षक साहित्यकार हरभगवान चावला ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ पत्रकार छत्रपति की धर्मपत्नी कुलवंत कौर के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि देकर किया गया। उन्होंने कहा कि वास्तव में मैं यहां छत्रपति के लिए ही आया हूं। छत्रपति अपने आप में एक विचार हैं, जो सच्ची पत्रकारिता करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रेरित करते हैं।

विषय पर बोलते हुए उन्होंने अपने संबोधन में सत्ता व धर्म को बहुत पुराना खेल बताया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के काल से चले इस खेल के कारण ही देश के टुकड़े हुए। यह खेल तब से लगातार चलता आ रहा है और राजनेताओं को हमेशा इससे फायदा हुआ है। प्रत्येक राजनीतिक दल, प्रत्येक बड़ा राजनीतिज्ञ धर्म और जाति के नाम पर अपने दांव खेलता है। उन्होंने बाकायदा कांग्रेस और भाजपा के कई बड़े नेताओं और तथाकथित धर्मगुरूओं के रिश्तों को श्रोताओं के समक्ष रखा।


उन्होंने कहा कि राजनीतिक प्रश्रय के बिना कोई बड़ा बाबा नहीं बन सकता। आज के समय में धर्म सबसे बड़ा धंधा बन चुका है। उन्होंने कहा कि आम आदमी धर्म की अफीम के नशे के चलते इनके चंगुल में फंसता है। आप-हम जैसे लोग ही इन कर्मकांडों में फंसकर इन्हें ऐसी उंचाई तक पहुंचाते हैं, जहां ये धर्माधिकारी राजनेताओं के लिए वोटों का धंधा करते हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति और धर्म के इस गठजोड़ से बचने के लिए जन-चेतना की जरूरत है। जैसे-जैसे लोग इस घालमेल को समझकर चुनावों में वोट करेंगे, वैसे-वैसे इस धंधे पर नकेल कसी जाएगी। उन्होंने आमजन का आह्वान किया कि हमें छत्रपति, अंशुल और इन जैसे लोगों का साथ देने की जरूरत है, ताकि पूरे देश में जागरूकता पैदा की जा सके।


अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में अंशुल छत्रपति ने सभी अतिथियों और श्रोताओं का आभार व्यक्त करते हुए गुरमीत राम रहीम को सलाखों के पीछे पहुंचाने की राह में आई दिक्कतों को विस्तार से बताया। उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया के दौरान साथ देने वाले लोगों का जिक्र किया और कहा कि उन्होंने तो अपने पिता की लड़ाई लड़ी लेकिन जिन लोगों ने बिना किसी खून के रिश्ते के अंत तक इस लड़ाई में उनका साथ दिया, वे वास्तव में उनके आभारी हैं। रमेश मेहता एडवोकेट ने छत्रपति की दृढ़ता के किस्से सुनाए। प्रशस्ति पत्र का वाचन विशाल वत्स द्वारा किया गया। संस्था के संयोजक परमानंद शास्त्री ने सभी अतिथियों व श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।