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बुर्ज कर्मगढ़ संगर के किसानों का पराली प्रबंधन पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सार्थक कदम : उपायुक्त पार्थ गुप्ता

- उपायुक्त ने खेतों का दौरा कर स्ट्रा बेलर व सुपर सीडर से पराली प्रबंधन का किया निरीक्षण
 
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Mhara Hariyana News:

सिरसा 
उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने बुधवार को गांव बुर्ज कर्मगढ़ संगर के खेतों में जाकर पराली प्रबंधन कर रहे किसानों की न केवल प्रशंसा की बल्कि स्वयं किसान दलीप कुमार के खेत में ट्रेक्टर चलाकर स्ट्रा बेलर से गांठे बना कर किसानों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।

उन्होंने पराली प्रबंधन कर रहे किसानों की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि गांव बुर्ज कर्मगढ के किसान पराली प्रबंधन की दिशा में सराहनीय कार्य कर अन्य गांवों के किसानों को भी पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं तथा जिला को प्रदूषण मुक्त बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पराली प्रबंधन से भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है और किसान की आय में भी इजाफा होता है। प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को आधुनिक खेती के लिए प्रेरित करने के लिए कई कारगर योजनाएं क्रियांवित की गई है जिनके सराहनीय परिणाम सामने आ रहे हैं। पराली न जलाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है।


उपायुक्त ने कहा कि सरकार द्वारा फसल अवशेषों का सही प्रबंधन करने के लिए कृषि यंत्रों पर अनुदान भी दिया जाता है जिसके तहत स्ट्रा बेलर मशीन पर अधिकतम छह लाख रुपये तथा स्ट्रा रैक मशीन पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है।

उन्होंने बताया कि जिला में पिछले चार वर्षों के दौरान 178 स्ट्रा बेलर मशीन किसानों द्वारा खरीदी गई तथा इस समय जिला में करीब 2200 सुपर सीडर मशीन किसानों के पास हैं।

अगर किसान इन मशीनों का उचित शैड्यूल के साथ उपयोग करें तो रबी फसलों खासकर गेहूं की बिजाई आसानी से की जा सकती है, इसलिए किसान खेत में पराली न जलाकर इन मशीनों के द्वारा सीधे रबी फसलों की बिजाई कर पर्यावरण सरंक्षण में अपना अहम योगदान दें।
उन्होंने बताया कि पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को भी प्रोत्साहन स्वरुप राशि दी जाती है।

पराली प्रबंधन के लिए हरियाणा सरकार द्वारा पंजीकृत गौशालाओं को किसान के खेत से पराली उठाने के लिए परिवहन प्रोत्साहन राशि 500 रुपये प्रति एकड़ तथा अधीकतम 15 हजार रुपये प्रति गौशाला दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा किसानों को खेत में धान की पराली को मिट्टी में मिलाने व गांठे बनाने के लिए भी एक हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी जिसके लिए किसानों को ऑनलाइन पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा।

उन्होंने जिला के सभी किसानों से अपील की कि किसान अपने खेतों में धान की पराली को न जलाए बल्कि सरकार द्वारा पराली प्रबंधन के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उठाएं।


स्ट्रा बेलर से इस प्रकार होता है पराली प्रबंधन
उप निदेशक कृषि डा. बाबूलाल ने बताया कि उपायुक्त पार्थ गुप्ता के निर्देशानुसार विभाग द्वारा जिला में पराली जलाने की घटनाओं पर पूर्णतय अंकुश व पराली प्रबंधन को लेकर गंभीरता से कार्य किए जा रहे हैं। इसके लिए विभाग द्वारा गांव स्तर पर भी टीमों का गठन किया गया है।

ये टीमें पराली जलाने की घटनाओं पर निगरानी रखने के साथ-साथ किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक करती हैं और पराली प्रबंधन के लिए प्रेरित करती है।

उन्होंने बताया कि हैप्पी सीडर, स्ट्रा बेलर, फेयर हैट सहित अन्य माध्यमों से कम समय में पराली प्रबंधन किया जा सकता है। बेलर से एक दिन में 30 एकड़ एरिया के धान की फसल के अवशेषों के गठठे तैयार किए जा सकते हैं। पराली प्रबंधन की यह तकनीक पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ किसानों के लिए आमदनी का अच्छा माध्यम है।


पराली का प्रबंधन कर दूसरों को प्रेरित कर रहे हैं किसान मनोज
किसान मनोज कुमार ने खेती के साथ-साथ अन्य संसाधन अपनाकर अपनी आमदनी बढाने का इरादा किया और इन्हीं इरादों को पूरा करने के लिए गत वर्ष मनोज ने एक बेलर खरीद कर जिला के विभिन्न क्षेत्रों में पराली प्रबंधन का कार्य शुरू किया, जिससे वे अपनी आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ किसानों को पराली न जलाने का संदेश दे रहे हैं और पराली प्रबंधन अपनाने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं।

मनोज ने कहा कि खेती के साथ-साथ पराली प्रबंधन का कार्य अपनाकर हम अपनी आमदनी बढा सकते हैं। इसके अलावा साथ में अन्य व्यवसाय भी अपना सकते हैं।

किसान ने बताया कि जिला के किसान भी पराली प्रबंधन को लेकर गंभीर हैं और जिला प्रशासन द्वारा जागरूकता अभियान के माध्यम से पराली न जलाने का संकल्प भी ले रहे हैं।
इस अवसर पर सहायक कृषि अभियंता विजय जैन, एसडीओ सुखदेव कंबोज, सतबीर सिंह, किसान दलीप कुमार, सोहन लाल नंबरदार, मनोहर लाल, ढालू राम मौजूद थे।