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सीडीएलयू में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर एक कार्यशाला का हुआ आयोजन

मानवीय मूल्यों का समावेश करना भारतीय विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी : डॉ0 कैलाश चन्द्र शर्मा
 
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सिरसा  । शैक्षणिक संस्थानों द्वारा गुणवत्तापरक शिक्षा के माध्यम से युवाओं की एनर्जी को चैनेलाइज किया जाता है। विद्यार्थियों को रोजगार के लायक बनाने के साथ-साथ उनके अंदर मानवीय मूल्यों का समावेश करना भी भारतीय विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी का हिस्सा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी इन्हीं मूल्यों को दर्शाती है। विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने के लिए गुणवत्तापरक शिक्षा पर और अधिक ध्यान देना होगा। वास्तविक शिक्षा कक्षा तक सिमित नहीं, यह काफी हद तक बाहरी वातावरण तथा व्यवहारिक शिक्षा पर भी आधारित है।  

ये विचार हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद् के अध्यक्ष डॉ0 कैलाश चन्द्र शर्मा ने चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा के इंटरनल क्वालिटी एश्योरन्स सेल द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए व्यक्त किए। इस कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय से संबंधित महाविद्यालयो में आगामी शैक्षणिक सत्र से एनईपी को प्रभावी ढंग से लागू करने के उद्देश्य से किया गया। कार्यशाला में सभी कॉलेजिज के प्रिंसिपल तथा एनईपी नोडल अधिकारियो ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए डॉ0 शर्मा ने कहा कि शिक्षक केवल विद्यार्थियों के लिए नहीं बल्कि समाज के लिए आदर्श होता है और उसकी राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 
एनईपी के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि यह एनईपी का विषय फाउंडेशन स्टेज से लेकर पी जी स्टेज तक का विषय है जिसे कि चरणबद्ध तरीके से हासिल किया जाएगा। इसे लागू करने में सभी स्टेक होल्डर्स को मिलजुल कर कार्य करना होगा। इस प्रकार 2047 तक विकसित भारत का उद्देश्य प्राप्त किया जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि शोधार्थियों व शिक्षकों में रिसर्च एप्टीचयूड का होना अत्यंत आवश्यक है और एक अच्छा शोधार्थी अनुशासन प्रिय होता है। उन्होने अनेक अनुकरणीय उदाहरणों के साथ शोधार्थियों व प्राध्यापकों को बेहतर शोध करने के लिए प्रेरित किया। डॉ0 शर्मा ने कहा कि शोधार्थी प्रयास करें कि वे अपने शोध पत्रों का प्रकाशन उच्च कोटि के शोध जर्नलस् में करवाएं। डॉ0 शर्मा ने अध्यापन के क्षेत्र में पेडागोगी के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
 
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इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अजमेर सिंह मलिक ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि एनईपी मूल रूप से एक्टिविटी बेस्ड एजुकेशन की बात करती है। एनईपी का विषय स्टूडेंट सेंट्रिक होने के साथ-साथ एक्सपेरेंशल लर्निंग की बात करता है। उन्होंने कहा कि जो शोधार्थी टीचिंग के क्षेत्र में आना चाहते है, उन्हें ताउम्र अध्ययनशील रहना होगा। एक अच्छा शिक्षक अपने विद्यार्थियों में विषय के प्रति रूचि पैदा करने में सक्षम होता है और अपने विषय का विशेषज्ञ होता है। एनईपी-2020 पैराडाइम सिफट की बात करती है और प्रत्येक स्ट्रिम में थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिक्ल पर भी जोर देती है। उन्होंने विश्वविद्यालय में चल रहें विभिन्न पाठ्यक्रमों के बारे में विस्तारपूर्वक बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र की स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम निर्माण का कार्य विभिन्न विभागों द्वारा किया गया है और कौशल विकास के साथ साथ एन्टरर्प्योनसिंप को बढावा देने के प्रयास भी विश्वविद्यालय द्वारा किए जाते है। उच्चतर शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीय करण की आवश्यकता पर भी उन्होने जोर दिया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शैक्षणिक मामलों के अधिष्ठाता प्रो0 सुरेश गहलावत ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया तथा डीन ऑफ कॉलेजिज प्रोफेसर आरती गौड़ ने सभी का धन्यवाद किया। एनईपी के नोडल अधिकारी प्रोफेसर कुंडू ने एनईपी-2020 के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। कार्यक्रम का संचालन आईक्यूएसी कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर राज कुमार द्वारा किया गया।