logo

सीडीएलयू प्रांगण में धूमधाम से मनाई जननायक चौधरी देवीलाल की जयंती

हवन यज्ञ में आहुति देकर हुई कार्यक्रम की शुरुआत, दिनभर चले विभागों में कार्यक्रम
 
 
The program started by offering sacrifice in Havan Yagya, programs continued throughout the day in departments.

Mhara Hariyana News, Sirsa
सिरसा।भारत के पूर्व उप-प्रधानमंत्री जननायक चौ. देवी लाल की जयंती के उपलक्ष्य में सामाजिक सरोकार से जुड़ी शैक्षणिक गतिविधियों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भारतीय परंपरा के अनुसार हवन यज्ञ में आहुति देते हुए किया गया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कुलपति ने कहा कि चौ. देवीलाल जी के विचारों की प्रासंगिकता आज भी है और ग्रामीण विकास का उन द्वारा सुझाया गया मॉडल राष्ट्र के विकास के लिए काफी कारगर साबित हुआ है। कुलपति ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि युवा पीढ़ी उन द्वारा दिखाए गए रास्ते पर आगे बढ़कर राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगी। उन्होंने अपने सम्बोधन में चौधरी देवीलाल के अनेक जनहितकारी फैसलों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी सोच थी की विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाएं जन जन तक पहुचें। उनका जीवन संघर्ष तथा त्याग के परिचय की मिसाल रहा है और वे वो महान हस्ती थे जिन्होंने राष्ट्र विकास को प्राथमिकता देते हुए भारत के प्रधानमंत्री के पद को भी ठुकरा दिया था। उन्होने हरियाणा के हितों की पैरवी की और हरियाणा के गठन में उनका अहम योगदान था। हरियाणा के मॉडल को आदर्श मानते हुए छत्तीसगढ़, झारखंड और तेलंगाना आदि राज्यों की स्थापना की गई ताकि कम क्षेत्रफल एवं प्रसासकीय दक्षता के साथ इन राज्यों का हरियाणा राज्य की तर्ज पर विकास सुनिश्चित किया जा सके। कुलपति ने कहा कि वे चौ0 देवीलाल के आदर्शों पर चलकर युवाओं की ऊर्जा को चैनेलाइज करके विश्वविद्यालय का विकास सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकता है। कुलपति ने कहा कि चौधरी देवीलाल का पूरा जीवन सामाजिक सरोकार के प्रति जिम्मेदारी की सीख देता है और विद्यार्थियों को उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलते हुए राष्ट्र विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 वेल्यू एडिड पाठ्यक्रमों के माध्यम से युवाओं में नए मूल्यों का संचार होगा। रक्तदान शिविर, पौधारोपण, स्वच्छता अभियान व व्याख्यान के माध्यम से युवाओं को जननायक द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया गया।


इस कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के युवा कल्याण निदेशालय, रेडक्रॉस की यूथ इकाई तथा जनरल ब्रांच द्वारा किया गया। रक्दान शिविर को सफल बनाने में सिविल अस्पताल की टीम व बाबा सर साई नाथ सेवा ट्रस्ट सिरसा ने अहम भूमिका निभाई। रक्तदान शिविर में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं स्टाफ सदस्यों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। विश्वविद्यालय की प्रथम महिला श्रीमति उषा मलिक तथा उनकी बेटी डॉ साक्षी मलिक ने भी रक्तदान करते हुए युवाओं का जोश बढ़ाया। इस मौके पर कुलपति प्रो. मलिक की अगुवाई में विश्वविद्यालय के कर्मचारियों तथा विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय परिसर में स्थित चौधरी देवीलाल की आदमकद प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित किये और ग्रीन कैंपस का संदेश देते हुए पौधारोपण किया। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ राजेश कुमार बंसल ने कहा कि चौ. देवी लाल ने जीवन भर समाज के वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते हुए राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान सुनिश्चित करने के लिए कार्य किया। इस मौके पर परीक्षा नियंत्रक डॉ शैलेन्द्र सिंह, यूथ रेडक्रॉस कोर्डिनेटर डॉ रोहताश, सांस्कृतिक समन्वयक डॉ राकेश कुमार, सीएमओ डॉ महेंद्र भादू, मेडिकल ऑफिसर डॉ सैफाली,  डॉ समता तथा उनकी टीम, सुरजीत सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

इतिहास विभाग में चौ. देवी लाल के योगदान पर हुआ व्याख्यान, जीवन की उपलब्धियों गिनवाई

चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के इतिहास एवं पुरातत्व विभाग में पीजेंट मोबलाइजेशन इन नॉर्थ-वेस्ट इंडियाः रोल ऑफ चौधरी देवीलाल विषय पर व्याख्यान देते हुए एमडीयू, रोहतक के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. जयवीर धनखड़ ने कहा कि किसी भी संस्थान का महापुरुषों के नाम पर नामकरण इस लिये किया जाता है ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ उनके विचारों से मार्गदर्शन हासिल करते हुए राष्ट्र निर्माण में भागीदारी सुनिश्चित कर सके। उन्होंने कहा कि त्याग के प्रतीक रहे जननायक का जीवन समाज के दबे कुचले वर्गों की कैसे आवाज़ बना जा सकता है ये सीख देता है। अपने वचन के लिए कैसे बड़ा  पद ठुकराया जा सकता है। इस अवसर पर विभाग की प्रभारी डॉ नीलम रानी ने मुख्यवक्ताओं का स्वागत किया और कहा कि सीडीएलयू का इतिहास विभाग समय-समय पर इस प्रकार के विस्तार व्याख्यानों का आयोजन करवाता रहता है। इससे पूर्व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. सवर्ण कुमार चहल ने चौधरी देवीलाल के जीवन से संबंधित विभिन्न पहलूओं पर चर्चा करते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को उनके द्वारा चलाई गई विभिन्न योजनाओं को वर्तमान परिदृश्य के साथ जोड़कर देखना चाहिए। इस अवसर पर सामाजिक संकाय के अधिष्ठाता प्रो. सत्यवान दलाल ने भी अपने विचार साँझा किये।