सोशल मीडिया में सरकार की नीतियों की आलोचना करने वाले कर्मचारी और अधिकारियों का नपना तय

सिरसा। सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को लेकर दो मामले निरंतर चर्चा में है। एक है उनके द्वारा किया जाने वाला सोशल मीडिया का इस्तेमाल तो दूसरा है उनकी नौकरी सर्विस के दौरान दफ्तरों में गोपनीय जानकारी को गोपनीय रखने की जिम्मेदारी।
जहां एक तरफ सोशल मीडिया पर कई दफा सरकार की आलोचना के मामले सामने आ रहे हैं तो दूसरी तरफ सरकार की तरफ से यह भी कहा जा रहा है कि सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा गोपनीय जानकारी लीक होने के मामले प्राय: सुनने या देखने में आ रहे हैं।
अंदरुनी जानकारी में सामने आया है कि सरकार निरंतर ऐसे मुलाजिमों पर नजर रख रही है जो सोशल मीडिया पर किसी भी रूप में सरकारी नीतियों व सफलता के आलोचक हैं। वहीं दूसरी तरफ पिछले साल होम मिनिस्टर के कार्यालय में एक कर्मचारी को बेहद गोपनीय सूचनाएं लीक करते हुए पाया गया था।
फिलहाल भी इस तरह की जानकारी निरंतर सामने आ रही है कि कर्मचारी संबंधित कार्यालय की सूचना लीक कर रहे हैं और इसके चलते कार्यालय की गोपनीयता भंग हो रही है। हालांकि ऐसा नहीं है कि पहली दफा ही इस तरह की जानकारी रिपोर्ट हो रही है।
अब इसको लेकर सरकार सख्त मूड में नजर आ रही है। इसको लेकर पत्र जारी किया है जिसमें कहा गया है कि इस तरह की लापरवाही करने वाले कर्मचारियों को बख्शा नहीं जाएगा।
प्राप्त जानकारी में ये भी सामने आया है कि सभी सचिवालय में ऐसे कर्मियों पर निगाह रखी जा रही है जिन पर गुप्त जानकारी लीक करने का तनिक भी संदेह है। सभी ब्रांच हेड को इस बारे इत्तेला कर दिया गया है, दोषी पाए जाने पर संबंधित कर्मचारी का नपना तय है।
शोकॉज नोटिस जारी किया जाएगा
पिछले कुछ दिनों में सामने आया है कि रेलवे व एक अन्य राज्य में आदेश जारी किए गए हैं कि सोशल मीडिया पर सरकारी कर्मचारियों का सरकार के प्रति रवैया कैसा होना चाहिए। इनके अनुसार यह ऑब्जर्व किया गया है कि कर्मचारी अक्सर सोशल मीडिया पर सरकार की नीतियों की आलोचना करते हैं। इसके अलावा सरकार की उपलब्धियों पर भी नकारात्मक रुख सबके सामने सोशल मीडिया पर रखते हैं।
आदेशों के अनुसार अगर कोई कर्मचारी की सरकारी नीति या सफलता की सोशल मीडिया पर आलोचना करते हुए पाया गया तो उसको शोकॉज नोटिस किया जाएगा। इसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उत्तर मध्य रेलवे ने एक कर्मचारी को सोशल मीडिया पर रवैये के लिए शोकॉज नोटिस जारी कर दिया।
खेमका अपनी राय करते रहते हैं जाहिर
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ये किसी से छिपा नहीं है कि सरकारी चाहे कोई भी रही हो, सीनियर आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने कई दफा सरकार के खिलाफ अपना रुख जाहिर किया है।
खेमका ने सोशल मीडिया पर बार-बार सरकार की पॉलिसी व कार्यशैली को लेकर अपनी राय जाहिर की और कहीं न कहीं ये बात सरकार को नागवार भी गुजरी होगी। पिछले दिनों ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर सरकारी कर्मचारियों ने पंचकूला में धरना प्रदर्शन किया था।
इस मामले पर अशोक खेमका न साफ तौर पर ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के पक्ष में सोशल मीडिया अपनी राय रखी और कहीं न कहीं सरकार पर सवाल निशान भी लगा दिया। अब यहां यह देखना अहम होगा कि सरकार पूरे मामले के मद्देनजर खेमका के सोशल मीडिया इस्तेमाल को किस नजरिए से देखती है।
कंडक्ट रूल्स में ये नियम बनाए गए हैं
कर्मचारियों के कंडक्ट रूल्स में किसी कर्मचारी व अधिकारी की सर्विस के दौरान उसका कंडक्ट किस तरह का होना चाहिए इसको लेकर नियम बनाए गए हैं। सवैंधानिक आधार राइट टू स्पीच सबका अधिकार है तो वहीं दूसरी तरफ रूल बुक में सरकार की तरफ से भी इसको लेकर भी कुछ जरूरी बात व नियम हैं। नियमानुसार कोई भी कर्मचारी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या रेडियो या किसी किसी संचार के जरिए ऐसी कोई बात नहीं कहेगा जिसका भारत या हरियाणा सरकार की पुरानी व नई पॉलिसी पर आलोचना का मतलब निकलता हो।
राज्यपाल के द्वारा जारी आदेशों के अनुसार कोई भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी ऐसी कोई बात भी सामग्री टीवी रेडियो या किसी अन्य माध्यम के जरिए नहीं कहेगा जिसके जरिए प्रदेश सरकार या केंद्र सरकार के संबंध खराब हो। इसके अलावा ऐसे भी बात किसी माध्यम के जरिए नहीं कहेगा जिसके चलते हैं प्रदेश सरकार के किसी अन्य राज्य या देश की सरकार के किसी अन्य देश की सरकार के साथ संबंध खराब हो।