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किसान संगठनों ने फूंका मुख्यमंत्री का पुतला

 
किसान संगठनों ने फूंका मुख्यमंत्री का पुतला
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सिरसा। मुख्यमन्त्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा सिरसा में तीन दिवसीय जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा अपनाई गई अमर्यादित शब्दावली, किसानों पर लाठीचार्ज के विरोध में विभिन्न किसान संगठनों, सरपंच एसोसिएशन व विपक्षी पार्टियों के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को मुख्यमंत्री का पुतला फूंकते हुए राज्यपाल के नाम प्रशासन को एक ज्ञापन भेजा।

राज्यपाल के नाम भेजे गए ज्ञापन में बीकेई से मैक्स साहुवाला, गुरी सेखों, उदय प्रताप सिंह, स्वर्ण सिंह विर्क, जसबीर सिंह भट्टी, सरपंच एसोसिएशन के जिला प्रधान जसकरण सिंह कंग, सरपंच एसोसिएशन की राज्य उपप्रधान संतोष बैनीवाल, कुलदीप सिंह गदराना, सुरजीत सिंह बेगू, जिंदा नानूआना, मलकीत सिंह खोसा, गुरनाम सिंह झब्बर ने संयुक्त रूप से बताया कि 13, 14 व 15 मई को सीएम द्वारा सिरसा में आयोजित जन संवाद के नाम पर सीएम द्वारा आम लोगों की बात सुनने की बजाय अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया व सभा स्थल से मुख्यमन्त्री द्वारा बल प्रयोग करने के आदेश दिए गए, जोकि निंदनीय है। यहां तक की फरियादी को बाहर निकालो व पीटो जैसे शब्दों का प्रयोग भी किया गया।

डबवाली गांव में मांग पत्र लेकर आये आंगनवाड़ी वर्करों व किसानों को बुरी तरह पीटा गया। यही नहीं 17 किसानों व 2 आंगनवाड़ी वर्करों पर केस भी दर्ज किया गया।

इसी तरह गांव खैरेकां में गीता रानी नाम की महिला जो चिट्टे का नशा बन्द करवाने की मांग कर रही थी, उसे कहा गया कि आप किसी की सिखाई हुई बोल रही हैं।

गांव बणी में गांव के सरपंच नैना झोरड़ ने मुख्यमन्त्री के स्वागत कार्य का पूरा इंतजाम कर रखा था तथा सभी गांव के लोगों को बुला रखा था। जब उसने अपने पति पर जानलेवा हमला करने वालों क खिलाफ  कार्यवाही करने की मांग की तो उसकी मांग को अनसुना किया गया। तब नैना झोरड़ ने अपनी चुनरी मुख्यमन्त्री के पैरों में फैंककर कार्यवाही करने की मांग की तो मुख्यमन्त्री ने उसकी चुनरी सिर पर रखने की बजाये उसे नंगे सिर स्टेज से धक्के मारकर बाहर निकाला गया व गिरफ्तार किया गया।

ओटू हैड पर एक प्रश्नकर्ता गुरनाम सिंह झब्बर पहले बोलने का टोकन देकर बाद में गिरफ्तार कर रानियां थाना में बन्द कर दिया गया। गांव खैरेकां में सुरेश गांव बनसुधार ने बिजली-पानी की मांग रखी, उसको भी सभा स्थल से धक्के मारकर बाहर निकाला गया और पीटा गया। गांव खैरेकां में ही अपनी मांग को लेकर सैकड़ों जनप्रतिनिधियों को धक्के मारकर अपमानित किया गया व बाहर निकाला गया। हम सभी किसान संगठन मांग करते हैं कि उपरोक्त घटना, जो मुख्यमन्त्री दौरे के दौरान हुई, वो बेहद निंदनीय है और आपसे अपील है कि इसकी गहनता से जांच की जाये।


ये है मुख्य मांगें:
इस दौरे के दौरान किसानों व मजदूरों पर बनाये गये मुकदमे वापिस लिए जाएं। इस तमाम अभद्र व्यवहार के लिये मुख्यमन्त्री आमजन से सार्वजनिक तौर पर मांफी मांगें।