logo

राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक पाठशाला हैं गोपाल कांडा


सरलता, सहजता, सहयोग, स्नेह, संस्कार से सदैव सराबोर रहते हैं विधायक गोपाल कांडा
 
राजनीतिक, धार्मिक  और सामाजिक पाठशाला हैं गोपाल कांडा

सिरसा। वहीं व्यक्ति समाज में संपूर्ण होता है जो स्वयं के साथ-साथ दूसरों के लिए जीता है सोचता है, समझता है, दिखता है और लगता है। इन सबको स्वयं में परिभाषित करता है कांडा परिवार का चिराग विधायक, पूर्व गृहराज्यमंत्री एवं हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा। जिसने विरासत में मिले संस्कारों का पालन-पोषण करते हुए हर किसी को यथायोग्य सम्मान प्रदान किया।

गोपाल कांडा स्वयं में राजनीतिक, धार्मिक  और सामाजिक पाठशाला हैं जिन्होंंने अपने कर्मो से इन शब्दों के महत्व को ओर ज्यादा बढ़ाया है और समय-समय पर इनकी सार्थकता को सिद्ध भी किया है। सरलता, सहजता, सहयोग, स्नेह, संस्कार से सराबोर गोपाल कांडा राजनीतिक, धार्मिक  और सामाजिक क्षेत्र में अपनी अलग ही पहचान बना चुके हैं।

हर जरूरतमंद की ओर उनका हाथ बढ़ता है तो समाज द्वारा ठुकराये लोगों को गले से लगाने के लिए उनके कदम स्वयं उसकी ओर उठने लगते हैं। उनके शब्दकोष में न नाम का कोई शब्द नहीं है, दूसरे राजनेताओं की भंाति किसी को आश्वासनों का झुनझुना नहीं थमाया, लोगोंं की सुविधाओं और उनके हकों को लेकर सरकार से बात करते है अगर कोई अधिकारी नियमों का हवाला देकर मदद करने से गुरेज करता है तो स्वयं के कोष से मदद करते हैं।

सिरसा विधानसभा क्षेत्र के लोग उनकी इस अनोखी अदा के कायल हैं, लोग उनकी ओर स्वयं ही खिंचे चले आते हैं। गोपाल कांडा ने एक ऐसे परिवार में जन्म लिया जहां पर संस्कार घुट्टी में मिलाकर पिलाये गए। पिता स्वयं मुरलीधर कांडा एडवोकेट से समाज सेवा का भाव विरासत में मिला तो मां राधादेवी कांडा (मुन्नीदेवी कांडा) ने धर्म के रास्ते पर चलना सिखाया। पिता की उंगली पकडक़र गोपाल कांडा ने चलना शुरू किया तो उनके कदम  धर्म और सामाजिकता के दरवाजे पर जाकर रूके।

उनके अनुज गोबिंद कांडा सदैव साये की भांति उनके साथ रहते है और उनकी सोच सदा आगे बढ़ाया और उनकी सोच को हर हाल में मूर्तरूप प्रदान किया। घर की छत पर खड़े होकर ऊपर से गुजरते हवाई जहाज को देखने वाले गोपाल कांडा एक दिन एमडीएलआर एयरलाइंस कंपनी के मालिक बने क्योंकि वे सपनों को साकार करना जानते थे। उन्होंने हर उस मुकाम को हासिल किया जिसे वे चाहते या जिसके बारे में वे सोचते थे। गोवा का बच्चा-बच्चा उन्हें जीके के नाम से जानता है तो हर राजनीतिक, धार्मिक  और सामाजिक व्यक्ति उन्हें करीब से जानता है।

श्री बाबा तारा जी का आशीर्वाद उन पर सदा बना रहता है और उन्हीं की कृपा से सिरसा में श्री बाबा तारा जी कुटिया (श्री तारकेश्वरमधाम) की स्थापना की जो आज पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। गोपाल कांडा ने श्री बाबा तारा कुटिया परिसर में शिवरात्रि और महाशिवरात्रि पर देश के विख्यात भजन गायकों, गायकों प्रख्यात कथा वाचकों को मंच प्रदान किया।

देश का हर कथा वाचक श्री बाबा तारा कुटिया परिसर में स्थित सत्संग स्थल पर कथा वाचन करना चाहता है, गोपाल कांडा ने इसी कुटिया परिसर में अतिरूद्र महायज्ञ का आयोजन करवाया जो शायद देश में उससे पहले कभी नहीं हुआ। जरूरतमंद परिवारों की करीब एक हजार  कन्याओं के हाथ पीले किए यानि कांडा परिवार ने  स्वयं कन्यादान किया और स्त्रीधन भी प्रदान किया। श्री बाबा तारा जी नेत्रालय की स्थापना की, अब तक करीब 50 हजार रोगियों के आपरेशन हो चुके है और आठ लाख से अधिक मरीजों की जंाच की जा चुकी है, हर शनिवार को ओपीडी निशुल्क होती है।


कोरोना की पहली लहर में जब अचानक ही देश में  लॉकडाउन लगा तो गरीब वर्ग के लोगों के समक्ष रोटी का संकट पैदा हो गया, सडक़ों पर घूमने वाले गोवंश को चारा नहीं मिल पा रहा था, उन्हें यह भी पता चला कि पंजुआना नहर के पास बंदरों को भी खाना नहीं मिल रहा है ऐसी ही स्थिति शहर में कुत्तों की भी है। गोपाल कांडा ने कुटिया में लंगर सेवा शुरू करवाई उससे पहले टीम के द्वारा पता करा लिया था कि किस-किस वार्ड में किन-किन लोगों को भोजन की जरूरत है।

इसके बाद प्रतिदिन 25 से 30 हजार लोगों को उनके घर पर भोजन पहुंचाया गया, गोवंश को रोजाना सुबह शाम हरा चारा डाला गया जबकि कुछ सेवादार केंटर में रोटी लेकर निकलते कुत्तों को खिलाते, इसके साथ ही बंदरों के लिए रोजाना फल और अन्य सामान भेजा जाता।  इतना ही नहीं हर जरूरतमंद  के घर बच्चों के लिए बिस्कुट तक भेजे गए। जनसेवा के लिए गोपाल कांडा ने अपनी तिजोरी का मुंह खोल दिया था।

कोरोना की दूसरी लहर में जब आक्सीजन की कमी से लोग दम तोड़ रहे थे और गरीब वर्ग उपचार के अभाव में अस्पताल तक नहीं जा पा रहा था तब गोपाल कांडा और गोबिंद कांडा ने एक ऐसा कदम उठाया जिसे उठाने से पहले लोग हजार बार सोचेंगे। मात्र दस दिन में 150 बैड वाला कोविड केयर सेंटर (अस्पताल)खोल दिया जहां पर 15 वेेंटीलेटर और हर बैड पर ऑक्सीजन की सुविधा थी, दूसरे लोगोंं तक आक्सीजन गैस पहुंचाने के लिए 450 खाली सिलेंडर खरीदे और उन्हें बद्दी हिमाचल प्रदेश और नोएडा से भरवाकर मंगवाया जाता और हर जरूरतमंद तक निशुल्क पहुंचाएं जाते, उन्होंने मरीजों को ऑक्सीजन की कमी ही नहीं होने दी।

इतना ही उन्होंने करोडों रुपये की लागत के आक्सीजन कंसेंटेट्रर मंगवाए और अंत में आक्सीजन प्लांट ही स्थापित कर दिया। ऐसा करने वाले वे देश के एकमात्र विधायक है। विपक्षी दलों के लोगों ने भी उनके इस सेवा भाव की मुक्तकंठ से सराहना की। जब भी राजनीतिक, धार्मिक  और सामाजिक क्षेत्र को लेकर कही भी चर्चा होती है तो  लोगों की जुबां पर गोपाल कांडा का नाम जरूर आता है। आज उन्हीं गोपाल कांडा का जन्मदिन है और हम उनके स्वस्थ्य जीवन और उनकी दीर्घायु की कामना करते हैं।